Law Awareness: किसी भी आपराधिक घटना के होने पर, सबसे पहले जो दो शब्द अकसर सुनायी देते हैं, वो होते हैं- तहरीर और प्राथमिक रिपोर्ट एफआईआर। आमतौर पर, सही जानकारी के अभाव में लोग इन दोनों को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन वास्तव में कानूनी तौर पर, इन दोनों में बड़ा अंतर है। तहरीर और मुकदमे का यह अंतर, भारतीय जागरूकता समिति और ऑल इंडियन जागृति वीमेंस कांफ्रेंस की कार्यशाला में विस्तार से समझाया गया।
शनिवार को श्यामपुर स्थित डिवाइन नर्सिंग कॉलेज में, एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला (Law Awareness Workshop) का आयोजन किया गया। भारतीय जागरूकता समिति और ऑल इंडियन जागृति वीमेंस कांफ्रेंस की ओर से, हरिद्वार पुलिस, हरिद्वार यातायात पुलिस और पीटीसी हरिद्वार के साथ मिलकर, आयोजित इस कार्यशाला में, छात्रों को कानूनों और अधिकारों की जानकारी दी गयी।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता, नैनीताल उच्च न्यायालय के अधिवक्ता ललित मिगलानी ने, छात्रों को विभिन्न कानूनी प्रावधानों, सजा, एफआईआर आदि के बारे में विस्तार से बताने के साथ, अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया। मिगलानी ने छात्रों को बताया, कि जब भी कोई घटना घटित होती है, तो उस घटना का विवरण एक कागज पर उतारना अनिवार्य होता है।
अधिवक्ता मिगलानी ने बताया, कि कागज पर लिखे जाने वाले इस विवरण में, घटना का समय, स्थान एवं गवाहों का जिक्र होना भी आवश्यक है। अधिवक्ता मिगलानी ने बताया, कि कागज पर लिखे इस विवरण को कानूनी भाषा में तहरीर कहा जाता है। जब यह तहरीर किसी थाने में दी जाती है, और वहां इसे दर्ज कर लिया जाता है, तब यह एफआईआर में तब्दील हो जाती है।
पीटीसी इंस्पेक्टर प्रीतम सिंह, सब-इंस्पेक्टर संजय गौड़ ने छात्रों को बीएनएस, बीएनएसएस और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बारे में विस्तार से जानकार दी। डिवाइन नर्सिंग कॉलेज के मेनेजिंग डायरेक्टर सुनील श्रीवास्तव ने समिति के कार्याे की सरहाना की ओर सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में जागृति आल इंडिया वीमेंस कांफ्रेंस की ज्योत्सना मेहरोत्रा, रजनी अरोरा, नीरू जैन, कमला जोशी, डिवाइन कॉलेज के गगन यादव, हेमंत तोमर, प्रभाकर, सतीश कुमार, डॉ आदित्य शर्मा, डॉ भूमिका बुटोला, सौरभ पल, सुमित श्रीवास्तव, समिति से नेहा मालिक, विनोद कुमार आदि उपस्थित रहे।
Law Awareness: एफआईआर नहीं लिखी जाये तो एसएसपी से करें शिकायत
अधिवक्ता ललित मिगलानी ने, छात्रों को बताया कि अगर किसी थाने में एफआईआर नहीं लिखी जाती है, तो इसकी शिकायत संबंधित जिले के एसपी-एसएसपी से की जा सकती है। अगर इसके बाद भी तहरीर पर एफआईआर दर्ज नहीं की जाये, तो जिले के सीजेएम कोर्ट में एप्लीकेशन दी जाती है।
नए आपराधिक कानूनों के तहत, संगठित अपराध का तात्पर्य व्यक्तियों के समूह द्वारा अकेले या संयुक्त रूप से, या किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य के रूप में या उसकी ओर से की जाने वाली निरंतर गैरकानूनी गतिविधि से है l#AzadBharatKeApneKanoon #NewCriminalLaws #UttarakhandPolice pic.twitter.com/r2tVhSWHmC
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) August 24, 2024
Law Awareness: अब कहीं भी हो घटना, दर्ज करा सकते हैं जीरो एफआईआर
अधिवक्ता मिगलानी ने छात्रों को जानकारी देते हुये बताया, कि भारतीय न्याय संहिता में जीरो एफआईआर का प्रावधान आ गया है। इसके तहत, अब किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज करायी जा सकती है। उन्होंने बताया, कि पहले एफआईआर उसी थाने में लिखी जाती थी, जिसके क्षेत्र में घटना हुयी हो। अब नये प्रावधान के बाद, एफआईआर कहीं भी दर्ज करायी जा सकती है, चाहे घटना कहीं भी हुयी हो।
Law Awareness: यातायात निरीक्षक ने छात्रों से की नियमों के पालन की अपील
यातायात निरीक्षक अरविंद राणा ने छात्रों को यातायात नियमों की जानकारी दी। उन्होंने छात्रों से वाहन चलते हुये हेलमेट पहनने और सीट बेल्ट अनिवार्य रूप से लगाने की अपील की। उन्होंने बताया, कि नाबालिग के वाहन चलाते पकड़े जाने पर 25 हजार के जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे मामलों में गाड़ी सीज करने के साथ, माता-पिता को सजा भी हो सकती है।
Law Awareness: 1090 या 112 पर कॉल कर मदद मांग सकती हैं महिलाएं
कार्यशाला में नये कानूनों में, महिलाओं से जुड़े प्रावधानों की जानकारी देते हुये, सब-इन्स्पेटर अंजना चौहान ने बताया, कि भारतीय न्याय संहिता 2023 में महिलाओं से संबंधित अपराधो में सजा का प्रावधान पहले से सख्त हो गया है। उन्होंने छात्राओं से अपील की, कि किसी भी तरह के अपराध की स्थिति में, तुरंत 1090 या 112 पर कॉल कर, पुलिस की मदद लें।