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Neeb Karori Baba: बाबा जिन्होंने बदल दी हजारों की जिन्दगी

एप्पल के संस्थापक स्टीव जाॅब्स हों या फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग या भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली, इन तीनों समेत दुनियाभर के हजारों लोगों की जिन्दगी में आध्यात्मिक ठहराव जिनकी वजह से आया, उनका नाम है नीब करौरी बाबा (Neeb Karori Baba)। आमतौर पर उन्हें नीम करौरी या नीम करौली बाबा (Neem Karoli Baba) भी पुकारा जाता है। प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त महावीर हनुमानजी पर अगाध श्रद्धा रखने वाले बाबा नीब करौरी महाराज ने भारत ही नहीं, बल्कि विश्वभर के हजारों लोगों के जीवन को नयी दिशा देने का काम किया।

कौन थे बाबा!
वर्ष 1900 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव के एक धनी ब्राह्मण परिवार में जन्मे बालक का नाम माता-पिता ने लक्ष्मणदास रखा। बचपन से ही लक्ष्मणदास का मन सांसारिक बातों में नहीं रमता था। वह तो हर वक्त ध्यान-साधना की ओर मन लगाये रहते थे, यही वजह थी कि महज 11 साल की उम्र में वह साधु बन जाने के लिये घर छोड़ निकल गये। हालांकि, पिता की इच्छा को पूरा करने के लिये वह लौटे और गृहस्थी बन गये। विवाह किया, संतानें भी हुयीं लेकिन परिवार की जिम्मेदारियां निभा लेने के बाद एक बार फिर उनका मन अध्यात्म-संन्यास की ओर मुड़ गया।
वर्ष 1958 में लक्ष्मणदास ने फिर घर छोड़ दिया और ईश्वर साधना को ही अपना लक्ष्य मान अध्यात्म के मार्ग पर चलने लगे। अध्यात्म की उनकी यह यात्रा जब तक चली, वह अपने साथ अनुयायियों को कभी न भूल पाने वाले भावों के बंधन से बांधते चले गये। क्या अमीर, क्या गरीब, क्या देसी, क्या विदेशी, जो भी बाबा से एक बार मिला या बस दर्शनभर भी कर लिये तो फिर वह बाबा का ही होकर रह गया। 1973 में धरती पर अपनी दैहिक यात्रा पूर्ण करने तक बाबा लाखों लोगों को अपने स्नेहपाश से बांध चुके थे।

कैसे मिला नाम
बाबा लक्ष्मणदास साधु जीवन अपना लेने के बाद लगभग पूरा उत्तर भारत भ्रमण करते रहे। वृन्दावन से लेकर गुजरात तक कई स्थानों पर उन्होंने तप किया। वह जहां रहे, वहां जिस तरह तपस्या करते, उसी आधार पर लोग उन्हें पुकारने लगते। कुछ लोग उन्हें हांडी वाले बाबा कहते तो कुछ के लिये वह तिकोनिया वाले बाबा थे। वृन्दावन में तो उन्हें चमत्कारी बाबा के नाम से जाना जाता था। हालांकि, इन सब नामों में उनका जो नाम सबसे ज्यादा प्रचलित हुआ, वह है नीब करौरी बाबा या नीम करौली बाबा।
बाबा के इस नाम के पीछे भी एक चमत्कारी कहानी है। बताया जाता है कि एक बार भ्रमण के दौरान बाबा उत्तर प्रदेश के में रेलगाड़ी पर चढ़े। बाबा थे, तो धन नहीं होने के कारण टिकट नहीं ले सके थे। यात्रा शुरू होने के कुछ देर बाद टिकट चेकर ने बिना टिकट होने के कारण उन्हें गाड़ी रुकवाकर उतार दिया।

जिस स्थान पर रेलगाड़ी रुकी, वह नीब करौरी या नीम करौली गांव था। टिकट चेकर ने बाबा को उतार तो दिया, लेकिन इसके बाद गाड़ी एक इंच भी आगे खिसक नहीं सकी। इंजन के काफी जोर लगाने पर भी गाड़ी नहीं चली तो अन्य सवारियों ने टिकट चेकर को समझाया कि हो न हो यह साधु के अपमान का नतीजा है। आखिर टिकट चेकर ने बाबा से माफी मांगी, उन्हें दोबारा रेलगाड़ी में ससम्मान बिठाया, तब जाकर गाड़ी आगे बढ़ सकी।

खास बात यह थी कि नीब करौरी गांव में उस वक्त तक रेलवे स्टेशन नहीं था, गांव के लोगों को रेलगाड़ी पकड़ने के लिये लंबी दूरी तय करनी होती थी। गाड़ी पर चढ़ने से पहले बाबा ने टिकट चेकर से रेलवे अधिकारियों तक गांव में स्टेशन बनाने की मांग रखी साथ ही भविष्य में कभी किसी अन्य साधु से इस तरह अभद्रता नहीं करने की शर्त रखी। इसके बाद ही वह गाड़ी पर सवार हुये। कुछ समय बाद ही नीब करौरी गांव में स्टेशन बना दिया गया। इसके साथ ही इस गांव का नाम भी हमेशा के लिये बाबा के नाम से जुड़ गया।

कहां है मन्दिर
बाबा नीब करौरी महाराज महावीर हनुमानजी के भक्त थे। उन्होंने नैनीताल में हनुमान मन्दिर का निर्माण करवाया। वह लंबे समय तक नैनीताल के ही भवाली में शिप्रा नदी के तट पर आश्रम बनाकर रहे, जहां अब भव्य कैंचीधाम है। इसके अलावा वृन्दावन में भी उनका आश्रम है। 11 सितंबर 1973 को महासमाधि के बाद यहीं उनकी समाधि बनायी गयी है।

तनाव से मुक्ति दिलाता है आशीर्वाद
माना जाता है कि बाबा का आशीर्वाद सांसारिक तनावों से मुक्ति दिलाने के साथ आध्यात्मिक शांति देने का माध्यम बनता है। यही वजह है कि कैंचीधाम में हर साल बाबा के दर्शन के लिये हजारों भक्त पहुंचते हैं। एप्पल के संस्थापक स्टीव जाॅब्स तो यहां तब पहुंचे, जब बाबा महासमाधि ले चुके थे, लेकिन भौतिक रूप में दर्शन नहीं बाबा के कर पाने के बावजूद उन्हें यहां मानसिक शांति मिली। इसी तरह मार्क जुकरबर्ग, हाॅलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबट्स् समेत कई नामचीन विदेशी हस्तियां यहां आ चुकी हैं। हाल में विराट कोहली भी कैंचीधाम दर्शन के लिये पहुंचे थे।

हर साल लगता है मेला
हर साल 15 जून को कैंचीधाम में मन्दिर के स्थापना दिवस पर मेला लगाया जाता है। यहां देशभर से बाबा के भक्त दर्शन और पूजन के लिये पहुंचते हैं।

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