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Poetry: देखो देखो, राम आये…

Poetry: आपका अपना Tagnewslist.com दे रहा है ऐसे पाठकों को अवसर, जिन्हें कविता-कहानी लिखने का शौक है। Tagnewslist.com पर ऐसे नवोदित लेखकों-कवियों की रचनाओं को स्थान देने का हम प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज प्रस्तुत है, उदीयमान रचनाकार विजयप्रकाश कुशवाहा ‘कुश’ की प्रभु श्रीराम को समर्पित यह रचना:

देखो देखो राम आये…
झूम कर मन नृत्य कर ले
दृश्य ये आखों में भर ले
आज अयोध्या राम आये
लौट अपने धाम आये
मैं भी जा पहुँचूँ अयोध्या
तब मुझे आराम आये
देखो-देखो राम आये
राम मेरे राम आये..!

आज अयोध्या सजी है ऐसे
स्वर्ग की नगरी हो जैसे
दीप जगमग तुम जलाओ
आज दीवाली मनाओ
वे स्वयं भी इस निशा में
होके दीप्तिमान आये..
देखो-देखो राम आये…

है ये वर्षों की परीक्षा
सबने ही की है प्रतीक्षा
देखो सबके पुण्य फले हैं
आज सब के भाग्य खुले हैं
आज होंठों पर सभी के
बस यही एक नाम आये..!
देखो-देखो राम आये…

कविता पाठ करते विजयप्रकाश कुशवाहा ‘कुश’

विजयप्रकाश ने यह कविता 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर में प्रभु की प्राणप्रतिष्ठा के सुअवसर पर रची थी। प्रभु के प्रति अपने अनन्य भावों को उन्होंने शब्दों में अभिव्यक्त करते हुये, इस कविता में पिरोया है। आशा है, विजयप्रकाश की यह कविता आपको पसंद आयेगी।

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