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Siddhbali Mela 2023: पहले दिन शोभायात्रा, दूसरे दिन संतों का आशीर्वचन

Siddhbali Mela 2023: श्रीसिद्धबली मन्दिर कोटद्वार का तीन दिवसीय वार्षिक अनुष्ठान समारोह और मेला शुक्रवार को शोभायात्रा के साथ आरंभ हो गया। पहले दिन विधिवत पूजन के बाद शाम को सिद्धबली मन्दिर से देवी मन्दिर तक निकली शोभायात्रा ने नगर को भक्तिमय किये रखा। हर ओर जय श्रीराम, जय महावीर बजरंगी के नारे गूंजते रहे। शोभायात्रा में शामिल झांकियां लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं।

श्रीसिद्धबली मन्दिर का तीनदिवसीय वार्षिक अनुष्ठान समारोह एक से तीन दिसंबर तक होना है। शुक्रवार को पहले दिन मन्दिर के महन्त लैंसडौन विधायक दलीप रावत के नेतृत्व में पिंडी अभिषेक, मन्दिर परिक्रमा के साथ विधिवत पूजन किया गया। इससे पूर्व श्रद्धालुओं ने मन्दिर के पास खोह नदी से कलश में जल लिया, जिसके बाद कलशयात्रा मन्दिर तक पहुंची।

शाम को मन्दिर से विधिवत पूजन के बाद शोभायात्रा को रवाना किया गया। मन्दिर परिसर से आरंभ हुयी यह यात्रा बद्रीनाथ मार्ग, मालवीय उद्यान, झंडा चौक, देवी मन्दिर चौराहा, देवी रोड होते हुये देवी मन्दिर पर पहुंची। पांच किलोमीटर लंबे मार्ग पर निकली शोभायात्रा में बड़ी संख्या में शामिल देवी-देवताओं की झांकियों ने लोगों का मन मोह लिया।

इनके अलावा शोभायात्रा में नगर और आसपास से बड़ी संख्या में कीर्तन मंडलियों ने भी अपनी झांकियां पेश कीं। इनमें नंदा देवी राजजात यात्रा, रामायण के विभिन्न प्रसंग, राधा-कृष्ण की झांकियां रहीं। इससे पूर्व शोभायात्रा को मन्दिर परिसर से स्थानीय विधायक और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने रवाना किया।

वहीं, श्रीसिद्धबली मन्दिर वार्षिक अनुष्ठान समारोह के दूसरे दिन शनिवार को क्षेत्र की जनता को संतों का आशीष मिला। संत राजराजेश्वराश्रम महाराज, महामंडलेश्वर ललितानंद महाराज ने जनता को संबोधित किया। इस दौरान सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत भी मौजूद रहे।

रोबोट हाथी बना आकर्षण का केंद्र

शोभायात्रा में इस बार हरिद्वार से खास रोबोट हाथी लाया गया था। बिल्कुल असली हाथी की तरह नजर आने वाला यह हाथी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। शोभायात्रा में सबसे आगे चल रहे इस हाथी को देखने के लिये जगह-जगह भीड़ जुटती रही। कान और सूंड हिलाते हाथी को देख बच्चे खासे प्रसन्न नजर आये।

शहरभर में जगह-जगह स्वागत

शोभायात्रा का पूरे नगर में जगह-जगह पुष्पवर्षा और जयकारों के साथ भव्य स्वागत किया गया। इसके अलावा अलग-अलग स्थानों पर श्रद्धालुओं के लिये प्रसाद वितरण, शोभायात्रा में शामिल कलाकारों, भक्तों के लिये जलपान आदि की भी व्यवस्था की गयी थी।

भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने को जुटे भक्त

शोभायात्रा में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी शामिल की गयी थी। भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिये श्रद्धालुओं में होड़ लगी रही। मन्दिर परिसर से ही लोग रथ से बंधे रस्सों को पकड़कर चलते रहे। रास्ते में अलग-अलग स्थानों पर रथ के रूकने पर भक्तों ने भगवान के दर्शन किये और फिर रस्सा खींचते हुये चलने लगे।

सिद्धों का डांडा में किये दर्शन

पहले दिन श्रीसिद्धबली मन्दिर के वार्षिक अनुष्ठान में पहुंचे श्रद्धालु बड़ी संख्या में सिद्धों का डांडा स्थित सिद्धबाबा के प्राचीन मन्दिर में भी पहुंचे। सिद्धबली मन्दिर के ठीक पीछे स्थित पहाड़ी की चोटी पर स्थित सिद्धों का डांडा को झंडीधार भी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार यह परमसिद्ध गुरू गोरखनाथजी की तपस्थली रही है। प्रतिवर्ष अनुष्ठान से पूर्व यहां पहुंचकर झंडा चढ़ाया जाता है।

सनातन फिर जाग रहा है

दूसरे दिन जनता को संबोधित करते हुये विधायक महंत दलीप रावत ने कहा कि यह गर्व का विषय है कि आज सनातन फिर जाग रहा है। वर्षों तक दासता के दौर में सनातनी लोग अपनी परंपराओं से दूर हो गये थे, लेकिन अब फिर जन-जन अपने धर्म के प्रति जागरूक हो रहा है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में पांच सौ साल बाद भगवान श्रीराम का मन्दिर बनना इसी पुनर्जागरण का द्योतक है।

सिलक्यारा से लौटे गबर सिंह का सम्मान

बीते दिनों उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग हादसे में फंसे श्रमिकों के सुपरवाइजर कोटद्वार निवासी गबर सिंह को समारोह के दूसरे दिन सम्मानित किया गया। महंत दलीप रावत ने कहा कि गबर सिंह ने अपनी जीवटता से सुरंग में फंसे श्रमिकों को हर वक्त डटे रहने का प्रोत्साहन दिया। मन्दिर समिति की ओर से उन्हें शॉल ओढ़ाकर, माल्यार्पण कर भगवान श्रीसिद्धबली का चित्र भेंट कर सम्मानित किया गया।

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