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Uttarakhand Disaster: कंधे पर 10 किलोमीटर ले गये, पर नहीं बचा सके मरीज की जान, Video

Uttarakhand Disaster: पौड़ी जिले के यमकेश्वर प्रखंड में जुलाई-अगस्त में आयी आपदा के दंश अब भी ग्रामीण झेल रहे हैं। यहां एक मरीज की हालत बिगड़ी तो ग्रामीण कंधों पर चारपाई लेकर नदी पार कर निकले। सड़क तक भी पहुंचा दिया, लेकिन जान नहीं बचायी जा सकी।

यमकेश्वर ब्लॉक की ताल घाटी के गांवों में मौसम सामान्य होने के बाद भी आम जनजीवन की दुश्वारियां कम नहीं हुयी हैं। बारिश होते ही भूस्खलन से सड़कों के बंद होने का सिलिसिला अब भी बना हुआ है। इससे ग्रामीणों को त्योडो ताल नदियों को पार करना पड़ रहा है।

इस दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत उन ग्रामीणों को उठानी पड़ रही है, जो बीमार हैं। उन्हें कुर्सियों-चारपाइयों में बिठाकर ग्रामीण कंधों पर मीलों उठाकर ले जाने पर मजबूर हैं। ऐसी ही एक दुःखद घटना रविवार को हुयी। यहां बुकण्डी गांव निवासी शांति प्रसाद गैरोला (37) की तबीयत बिगड़ गयी।

कुछ दिन पूर्व ही शांति पेट में दिक्कत के चलते डॉक्टर से दवा लेकर आये थे। रविवार को अत्यधिक दर्द होने पर परिजन और ग्रामीण उन्हें चारपाई पर लेकर निकले। इस दौरान ताल नदी पार कर करीब 10 किलोमीटर पैदल चलने के बाद ग्रामीण सड़क तक पहुंचे।

ऋषिकेश जाने के लिये ग्रामीणों ने पहले ही सड़क पर गाड़ी बुलवा ली थी। शांति को गाड़ी में बिठाकर ग्रामीण अस्पताल के लिये निकले, लेकिन उनका दर्द लगातार बढ़ता गया और अस्पताल पहुंचने से पहले ही दिउली के पास उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके बाद ग्रामीण वहीं से लौट गये।

गांव की सड़क है बंद: बुकण्डी गांव को जोड़ने वाला नौगांव बुकण्डी मार्ग तिमली अकरा के पास भूस्खलन के कारण बंद है। इसके कारण ग्रामीण शांति को इस रास्ते से नहीं ले जा सके। इसके अलावा ऋषिकेश की ओर जाने के लिये क्षेत्र के लोगों को ताल से होकर ही निकलना पड़ता है।

20 साल से सड़क की मांग: विन्ध्यवासिनी क्षेत्र के नौगांव बुकण्डी आदि गांवों को जोड़ने के लिये 20 साल से विन्ध्यवासिनी ताल रोड बनाने की मांग उठ रही है। लेकिन इस समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है। इसके चलते बारिश के मौसम में यह पूरा क्षेत्र दो से तीन महीने दुनिया से कट जाता है।

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महिला को लेकर पांच किलोमीटर चले: ताल क्षेत्र के ही सैजाद गांव से भी ग्रामीण एक बुजुर्ग महिला को कंधों पर लेकर पांच किलोमीटर चले। यहां भागीरथी देवी को गौशाला में काम के दौरान पैर में गहरी चोट लग गयी थी। सड़क टूटी होने से ग्रामीण उन्हें कुर्सी पर बिठाकर निकले। नजदीकी रोड तक पहुंचाने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

दो हफ्ते पहले भी यही हाल: करीब दो सप्ताह पहले भी बुकण्डी गांव से एक रोगी महिला को ग्रामीण इसी तरह कुर्सी पर बिठाकर अस्पताल तक ले गये थे। इसके अलावा रोजमर्रा की जरूरतों के लिये भी लोगों को यहां आवाजाही के लिये भी नदी के तेज बहाव में उतरना पड़ रहा है।

राज्य में अब भी 159 सड़कें बंदः उत्तराखंड में अब भी 159 सड़कें बंद हैं। लोक निर्माण विभाग की डेली रिपोर्ट के अनुसार 12 सितंबर 2023 तक प्रदेश में बंद कुल सड़कों में एक राज्य राजमार्ग यानी स्टेट हाईवे, 50 ग्रामीण सड़कें (सिविल) और 101 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी सड़कें शामिल हैं। इन सड़कों को खुलवाने के लिये लोक निर्माण विभाग की ओर से 154 जेसीबी तैनात की गयी हैं।

वैली ब्रिज का काम चल रहाः लोनिवि निर्माण खंड बैजरो के अंतर्गत थलीसैंण-बूंगीधार-मरचूला स्टेट हाईवे संख्या 52 करीब दो माह से बंद है। यहां 20 जुलाई 2023 को एक पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। सड़क पर कई अन्य जगह भी मलबा आने से काफी हिस्सा टूट गया था, जिसे अब ठीक किया जा चुका है। यहां अब वैली ब्रिज का निर्माण कार्य प्रगति पर है। उम्मीद है कि इस माह अंत तक पुल निर्माण पूरा होने के बाद यहां सड़क पूरी तरह खोल दी जायेगी।

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