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Uttarakhand Highcourt: ऋषिकेश में खुलेगी हाईकोर्ट बेंच, आदेश पर अधिवक्ता नाराज

Uttarakhand Highcourt: उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल की एक बेंच ऋषिकेश में खोली जायेगी। हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई के दौरान अचानक इसके मौखिक आदेश जारी कर दिये। कोर्ट ने आईडीपीएल को हाईकोर्ट बेंच के लिये उपयुक्त जगह बताया है। अदालत के इस आदेश के बाद, अधिवक्ताओं में नाराजगी है। आनन-फानन में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने आपात बैठक बुलाकर आदेश पर विरोध जताया। इसके बाद, मुख्य न्यायाधीश ने बार एसोसिएशन को बातचीत के लिये बुलाया है।

जानकारी के अनुसार, बुधवार को ऋषिकेश स्थित आईडीपीएल इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल लिमिटेड से जुड़ी याचिकाओं पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी। सुनवाई हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में जारी थी। सुनवाई के बाद, आदेश लिखवाते हुये अदालत ने मौखिक तौर पर कहा कि हाईकोर्ट को शिफ्ट करने के बजाय, आईडीपीएल ऋषिकेश में हाईकोर्ट की बेंच शुरू करना अधिक उपयुक्त है।

अदालत के मौखिक आदेश की जानकारी मिलते ही, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में खलबली मच गयी। आनन-फानन में अधिवक्ता बार भवन में जुटे और आपात बैठक में आदेश को लेकर नाराजगी जताने लगे। यहां तक कि, अधिवक्ता कोर्ट में ही, मुख्य न्यायाधीश से इस मसले पर बातचीत करने पहुंच गये। मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें दोपहर बाद मुलाकात करने को कहा।

गौलापार में शिफ्टिंग के पक्ष में नहीं अदालत

बता दें कि लंबे समय से नैनीताल हाईकोर्ट को हल्द्वानी के गौलापार में शिफ्ट करने की कवायद चल रही है। लेकिन, बताया जा रहा है कि बुधवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह गौलापार में कोर्ट शिफ्टिंग के पक्ष में नहीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने आईडीपीएल में हाईकोर्ट बेंच स्थापित करने का प्रस्ताव भी रख दिया।

मुख्य सचिव रतूड़ी भी जुड़ी थीं सुनवाई में

मंगलवार को आईडीपीएल मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया था। इस आदेश के अनुपालन में बुधवार को सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी वर्चुअल तौर पर जुड़ी हुयी थीं। जानकारी के अनुसार, अदालत ने सरकार को आईडीपीएल में बेंच स्थापना की संभावनाएं तलाशने को भी कह दिया है।

आईडीपीएल में अब भी रह रहे हैं कई पूर्व कर्मचारी

आईडीपीएल की स्थापना 1962 में हुयी थी। 1967 में उत्पादन शुरू होने के बाद, यहां साढ़े चार हजार कर्मचारी कार्यरत थे। 1996 में यहां उत्पादन सीमित कर दिया गया था और कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी। 2019 में आईडीपीएल को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। यहां कर्मचारियों के 2600 आवास बने थे, जिनमें से 1162 खाली हैं।

यहां रह रहे पूर्व कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें अब तक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद देयकों का भुगतान नहीं किया गया है। 2023 में कर्मचारियों से आवास खाली करवाने की कोशिश की गयी थी, लेकिन जुलाई 2023 में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी। तबसे कोर्ट में केस जारी है।

कोर्ट आने वाले 70 प्रतिशत केस गढ़वाल मंडल से

जानकारी के अनुसार, अदालत ने अपने मौखिक आदेश मे कहा है कि नैनीताल हाईकोर्ट में आने वाले 70 प्रतिशत केस गढ़वाल मंडल से हैं। ऐसे में इन मुकदमों की सुनवाई के लिये आईडीपीएल ऋषिकेश में बेंच की स्थापना करना उपयुक्त है। बाकी, कुमाउं मंडल के 30 प्रतिशत मुकदमों की सुनवाई नैनीताल में ही करने की बात कही गयी।

834 एकड़ जमीन पर बना है आईडीपीएल

जानकारी के अनुसार, सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी कहा कि, आईडीपीएल में 834 एकड़ जमीन है। इसमें से 130 एकड़ भूमि पर कर्मचारियों के आवास बने हुये हैं। पर्याप्त जमीन और भवनों की उपलब्धता के चलते अदालत ने बेंच की यहां स्थापना के लिये कहा है। हालांकि, आईडीपीएल की काफी जमीन और भवन बीते कुछ समय में एम्स, पुलिस, शिक्षा विभाग, बीआरओ, बीएसएनएल, आयकर विभाग को दिये गये हैं।

2021 में खत्म हो चुकी है जमीन की लीज

आईडीपीएल को 800 एकड़ से अधिक भूमि लीज पर दी गयी थी, जिसकी अवधि 2021 में खत्म हो चुकी है। लीज अवधि खत्म होने के बाद, यह जमीन नियमानुसार राज्य सरकार में निहित हो चुकी है। लेकिन, पूर्व कर्मचारियों के अब भी बड़ी संख्या में यहां रहने से विरोध शुरू हो गया। अब अदालत में मुकदमा चलने से यहां भवनों को खाली करवाने की कार्रवाई पर रोक लगी हुयी है।

कोर्ट में हंगामे के बाद पुलिस बल तैनात

जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट के मौखिक आदेश के बाद अदालत में हंगामेदार माहौल बना हुआ है। अधिवक्ता मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर विरोध जता रहे हैं। उनके मुख्य न्यायाधीश की अदालत में घुस जाने के बाद, कोर्ट परिसर में भारी संख्या में पुलिसकर्मी भी तैनात किये गये हैं। अभी स्पष्ट नहीं हुआ है कि मुख्य न्यायाधीश के साथ बातचीत में क्या अंतिम निर्णय निकला है।

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