Almora Forest Fire: अल्मोड़ा के बिनसर अभ्यारण्य में जंगल की आग से, चार वनकर्मियों की मौत पर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गहरा शोक जताया है। सीएम ने, हादसे में जान गवांने वाले कर्मचारियों के परिवारों को मदद का भरोसा दिलाया है। उन्होंने चारों वनकर्मियों को, दस-दस लाख का मुआवजा देने का ऐलान भी किया है। वहीं, घायल कर्मियों को बेहतर इलाज देने के निर्देश दिये गये हैं।

अल्मोड़ा जिले के बिनसर अभ्यारण्य में बृहस्पतिवार को, आग बुझाने के लिये गये वनकर्मी, जंगल की आग की चपेट में आ गये थे। हादसे में वन बीट अधिकारी समेत चार वनकर्मियों की जलकर मौत हो गयी, जबकि चार अन्य वनकर्मी बुरी तरह झुलस गये। हादसे में, वन विभाग का वाहन भी जलकर राख हो गया।

घटना पर, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दुःख जताया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर किये ट्वीट में, सीएम ने लिखा कि इस दुःख की घड़ी में राज्य सरकार दिवंगतों के परिजनों के साथ खड़ी है और हरसंभव सहायता के लिये प्रतिबद्ध है।

सीएम धामी ने जानकारी दी है, कि हादसे में जान गवांने वाले प्रत्येक वनकर्मी के परिजनों को दस लाख की अनुग्रह धनराशि दी जायेगी। उन्होंने यह भी बताया, कि अल्मोड़ा से घायल वनकर्मियों को हल्द्वानी पहुंचाने के लिये एयरलिफ्ट करने के निर्देश अधिकारियों को दे दिये गये हैं।

वहीं, प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने भी घटना पर दुःख जताया है। उन्होंने एक्स पर लिखा है- बिनसर वन्यजीव विहार में वनाग्नि से चार वनकर्मियों के निधन का अत्यंत हृदयविदारक समाचार प्राप्त हुआ। इस दुख की घड़ी में हमारी सरकार दिवंगतों के परिजनों के साथ खड़ी है। ईश्वर से दिवंगतों की आत्मा को शांति एवं घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं।

उधर, अल्मोड़ा बेस अस्पताल के डॉ. अशोक कुमार ने बताया है, कि चार घायलों में से एक की हालत बेहद गंभीर बनी हुयी है। वह 80 प्रतिशत तक झुलस गया है। वहीं, तीन अन्य वनकर्मियों के 40 से 50 प्रतिशत तक झुलस जाने की जानकारी उन्होंने दी है।

हादसे में इन कर्मचारियों की चली गयी जान

हादसे में बिंसर रेंज के वन बीट अधिकारी त्रिलोक सिंह मेहता पुत्र नारायण सिंह मेहता निवासी उडलगांव बाड़ेछीना, वन विभाग के दैनिक श्रमिक दीवान राम पुत्र पदीराम निवासी ग्राम सौड़ा कपड़खान, फायर वाचर करन आर्या पुत्र बिशनराम और पीआरडी जवान पूरन सिंह पुत्र दीवान सिंह निवासी ग्राम कलौन अल्मोड़ा की जान चली गयी।

इन चार कर्मचारियों को किया गया है हल्द्वानी रेफर

अल्मोड़ा बेस अस्पताल से, फायर वाचर कृष्ण कुमार पुत्र नारायण राम निवासी ग्राम भेटुली अयारपानी, पीआरडी जवान कुंदन सिंह नेगी पुत्र प्रताप नेगी निवासी ग्राम खांखरी, वाहन चालक भगवत सिंह भोज पुत्र बची सिंह निवासी ग्राम भेटुली अयारपानी और दैनिक श्रमिक कैलाश भट्ट पुत्र बद्रीदत्त भट्ट निवासी ग्राम धनेली को हल्द्वानी रेफर किया गया है।

अल्मोड़ा बेस अस्पताल में नहीं है बर्न यूनिट

मीडिया को जानकारी देते हुये, डॉ. अशोक कुमार ने बताया, कि अल्मोड़ा अस्पताल में सभी घायल कर्मचारियों को प्राथमिक तौर पर उपचार दिया गया है। बताया कि आग से जलने के मामलों में 40 से 50 प्रतिशत तक झुलसे मरीजों को भी, गंभीर श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे में सभी चारों कर्मचारियों की हालत नाजुक बनी हुयी है।

डॉ. अशोक ने बताया, कि अल्मोड़ा अस्पताल में अलग से बर्न यूनिट नहीं होने के कारण, यहां वनकर्मियों को और बेहतर इलाज और देखभाल कर पाना संभव नहीं है। इसके चलते, चारों को हायर सेंटर रेफर करने का निर्णय लिया गया है।

अल्मोड़ा जिले में ही अब तक वनाग्नि से नौ की मौत

अल्मोड़ा जिला, जंगल की आग के मामले में, सबसे ज्यादा चिंता बढ़ा रहा है। पिछले कुछ दिन से, जिले में लगातार जंगलों में आग की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है। हालात यह हैं, कि इस वर्ष अब तक जिले में हुयी वनाग्नि की घटनाओं में नौ लोगों की जान जा चुकी है। बृहस्पतिवार को चार वनकर्मियों की मौत का आंकड़ा भी इसमें शामिल है।

 

जनता ने उठाये, आग बुझाने के इंतजामों पर सवाल

सीएम पुष्कर सिंह धामी और वन मंत्री सुबोध उनियाल के ट्वीट्स पर, एक्स यूजर्स भी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ लोग जहां घटना पर दुःख जता रहे हैं, वहीं कई इस घटना को सरकारी लापरवाही का नतीजा मानते हैं। प्रकाश नाम के यूजर ने लिखा- स्टाफ और ग्रामीणों को आग बुझाने के लिये बेहतर उपकरण दिये जाने चाहिये।

शंकर का कहना है, जंगलों में आग लगाने वालों को कड़े दंड की व्यवस्था होनी चाहिये। शिवराज सिंह ने लिखा है, कि यह घटना साफ करती है, कि आग बुझाने के इंतजाम थे ही नहीं। भूपेंद्र का कहना है, कि जंगलों में आग की घटनाओं पर, प्रदेश के वन मंत्री की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिये। संतोष ने पूछा है, कि इस मामले में मंत्री-अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी।

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