Chandrayaan 3: चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा दुनिया का पहला रोवर ‘प्रज्ञान’ अपना काम पूरा करने के बाद अब सो गया है। 21 सितम्बर तक स्लीप मोड (Sleep Mode) में रहने के बाद 22 सितम्बर को इसके फिर काम शुरू करने की उम्मीद है।

भारत के तहत चन्द्रयान मिशन का लैंडर विक्रम 23 अगस्त 2023 को चन्द्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरा था। उसी दिन रोवर प्रज्ञान ने लैंडर से निकलकर चांद पर चहलकदमी शुरू कर दी थी। प्रज्ञान चांद पर अब तक 100 मीटर चल चुका है।

तबसे अब तक प्रज्ञान चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के कई रहस्यों का खुलासा कर चुका है। प्रज्ञान यह भी पता लगा चुका है कि चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऑक्सीजन मौजूद है। प्रज्ञान से मिली यह जानकारियां भारत समेत दुनिया के भावी अंतरिक्ष अभियानों के मार्गदर्शन करेंगी।

अब 12 दिन बाद शनिवार को प्रज्ञान स्लीप मोड पर चला गया है। इसरो की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार प्रज्ञान अपनी जिम्मेदारी पूरी कर चुका है। प्रज्ञान ने जो भी डेटा चांद पर जुटाया, वह लैंडर विक्रम के जरिये इसरो को भेजा जा चुका है।

इसके बाद प्रज्ञान पर लगे कैमरों, स्पेक्ट्रोस्कोप और अन्य सभी उपकरणों को बंद कर दिया गया है। प्रज्ञान 21 सितम्बर तक स्लीप मोड पर ही रहेगा। उम्मीद है कि सब ठीक रहा तो 22 सितम्बर को प्रज्ञान दोबारा काम शुरू करने लगेगा।

क्यों पड़ी स्लीप मोड की जरूरत: चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर शनिवार यानी 02 सितम्बर से रात हो गयी है। इसका अर्थ है कि अब वहां तक सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच रही है। इस दौरान वहां का तापमान भी बहुत अधिक गिर जाता है। प्रज्ञान सोलर पैनल से मिलने वाली ऊर्जा से काम करता है। ऐसे में अगले 20 दिन उसकी बैटरी चार्ज नहीं हो सकती।

22 सितम्बर को फिर होगी रोशनी: चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अब 20 दिन बाद यानी 22 सितम्बर 2023 को सूर्य की रोशनी पड़ेगी। सब ठीक रहा तो तब सूर्य की रोशनी मिलने के बाद प्रज्ञान दोबारा काम शुरू कर सकता है।

बैटरी का साथ देना जरूरी: अगले 20 दिन तक चन्द्रमा पर प्रज्ञान में लगी बैटरी का साथ देना बहुत जरूरी है। इसरो ने बताया है कि प्रज्ञान पर लगी बैटरी शनिवार को उसके स्लीप मोड पर जाने से पहले फुल चार्ज की जा चुकी थी। अब यही उम्मीद है कि बैटरी 20 दिन तक बची रहे, ताकि 22 सितम्बर को प्रज्ञान स्लीप मोड से निकल सके।

सोलर पैनल की दिशा ठीक: प्रज्ञान के स्लीप मोड पर जाने से पहले उस पर लगे सोलर पैनल को भी इस तरह दिशा निर्धारित किया गया है कि 22 सितम्बर को पैनल पर सूर्य की रोशनी सीधी पड़ने लगे और उसकी बैटरी काम करे। इसरो के अनुसार ऐसा हो गया तो प्रज्ञान को अगले स्लीप मोड पर जाने तक कुछ और टास्क दिये जायेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो भी प्रज्ञान चन्द्रमा पर भारत के प्रतिमान के तौर पर हमेशा मौजूद रहेगा।

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