Joshimath Now Jyotirmath: चारधाम यात्रा मार्ग पर श्रीबद्रीनाथ धाम के मुख्य पड़ाव, एवं शीतकालीन गद्दीस्थल जोशीमठ नगर का नाम बदल गया है। उत्तराखण्ड सरकार के नाम बदलने के प्रस्ताव को, भारत सरकार से मंजूरी मिल गयी है। इसके बाद, जोशीमठ का नाम ज्योतिर्मठ कर दिया गया है।
बुधवार को, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर, भारत सरकार की ओर से आया पत्र जारी करते हुये यह जानकारी दी। सीएम धामी ने बताया, कि स्थानीय जनता की ओर से, लंबे समय से जोशीमठ का नाम बदलने की मांग की जा रही थी। इसे देखते हुये राज्य सरकार ने, केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया था।
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अब, भारत सरकार के अवर सचिव उन्नीकृष्णन की ओर से, राज्य सरकार को जारी पत्र में, जोशीमठ के नाम बदलाव पर, किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं होने की बात कही गयी है। पत्र में, जोशीमठ के नये नाम ज्योतिर्मठ की हिन्दी और अंग्रेजी वर्तनी की भी जानकारी दी गयी है। राज्य सरकार से नाम बदलने की जानकारी, सर्वे ऑफ इंडिया (Survey of India) के विभिन्न कार्यालयों को देने के लिये भी कहा गया है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने, करीब एक साल पहले चमोली जिले की जोशीमठ तहसील का नाम बदलने की घोषणा की थी। यहां यह भी बता दें, कि नगर का प्राचीन नाम ज्योतिर्मठ ही रहा है, जो अपभ्रंश होकर जोशीमठ कहा जाने लगा था। यही वजह है, कि स्थानीय निवासी लंबे समय से नगर के प्राचीन नाम को ही रखने की मांग उठा रहे थे।
कुछ वर्षों से लगातार स्थानीय लोगों द्वारा जोशीमठ का नाम बदलने की मांग प्रमुखता से उठाई जा रही थी, लेकिन इस पर अमल नहीं हो सका। मुख्यमंत्री धामी ने जनभावनाओं का सम्मान करते हुए जोशीमठ तहसील को ज्योतिर्मठ नाम देने का फैसला किया था।
— CM Office Uttarakhand (@ukcmo) June 12, 2024
आदिगुरु शंकराचार्य ने यहीं स्थापित किया था पहला मठ
आदिगुरु शंकराचार्य ने, देश में चार मठों (शंकरपीठों) की स्थापना की थी। ज्योतिर्मठ, उनके द्वारा स्थापित देश का पहला मठ है। इसके बाद, आदिगुरु शंकराचार्य ने श्रीबद्रीनाथ धाम मन्दिर की भी पुनर्स्थापना की। वहीं, देश में अन्य तीन पीठों, श्रीरामेश्वरम धाम में शृंगेरी पीठ, श्रीजगन्नाथपुरी में गोवर्धन पीठ और श्रीद्वारकापुरी में शारदा पीठ की स्थापना भी आदिगुरु शंकराचार्य ने की।
शीतकाल में, यहीं होती है भगवान बद्रीनाथ की पूजा
शीतकाल में, श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद, यहाँ स्थित नृसिंह मन्दिर ही, भगवान का शीतकालीन गद्दीस्थल होता है। कपाट खुलने तक, यहीं भगवान का विधिवत पूजन किया जाता है।
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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने जतायी खुशी
ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने, जोशीमठ का नाम बदलने पर खुशी जतायी है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जारी सन्देश में, लिखा कि लंबे समय से पिछली सरकारों से यह अनुरोध किया जाता रहा, लेकिन यह कार्य अब हुआ है।
शंकराचार्य ने, सरकार से देहरादून हवाई अड्डे के नाम ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के नाम पर रखने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने जोशीमठ का नाम बदलने का प्रस्ताव भेजने के लिये तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष रोहिणी रावत और भाजपा अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट का भी आभार जताया है।
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पिछले साल, भूस्खलन के कारण चर्चाओं में रहा जोशीमठ
पिछले साल, जोशीमठ भूस्खलन के कारण देश-दुनिया में खासी चर्चाओं में रहा। जोशीमठ, जिस पहाड़ पर बसा हुआ है, उसके दरकने से, यहां सैकड़ों घरों में दरारें आ गयी थीं। हालत यह थी कि यहां के 2152 में से 1403 घर बुरी तरह प्रभावित हुये थे।
लगातार बढ़ते खतरे और भूधंसाव के लिये, एनटीपीसी की जलविद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहराये जाने के बाद, राज्य सरकार ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से, जोशीमठ का सर्वे करवाया था। इस सर्वे की रिपोर्ट भी शासन को सौंपी जा चुकी है।
जानकारी के अनुसार, रिपोर्ट में जोशीमठ और औली में, बड़े पैमाने पर किये गये निर्माणों को भूधंसाव के लिये जिम्मेदार बताया गया। इस रिपोर्ट में, जोशीमठ के प्रभावित 432 घरों के पुनर्निर्माण की सलाह दी गयी थी। वहीं, 931 घरों की मरम्मत का सुझाव भी राज्य सरकार को दिया गया था।
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