Mangalaur Election Result: हरिद्वार जिले की मंगलौर सीट पर, भारतीय जनता पार्टी का कमल खिलाने का सपना, एक बार फिर अधूरा रह गया है। काजी निजामुद्दीन ने, 422 वोट के अंतर से यह सीट जीत ली। हालांकि, इस उपचुनाव को मिलाकर, अब तक हुये कुल विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा, यहां कड़ा मुकाबला देते हुये, दूसरे पायदान पर पहुंची है।

हरिद्वार जिले की मंगलौर विधानसभा सीट पर, राज्य गठन के बाद से 2022 तक पांच विधानसभा चुनावों में, मुख्य मुकाबला हमेशा कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के बीच ही रहा है। इन दोनों ही दलों में हर बार, सरवत करीम अंसारी और काजी निजामुद्दीन ही, कांग्रेस से बसपा और बसपा से कांग्रेस में जाकर, आमने-सामने बने रहे।

ऐसे में, इस बार भारतीय जनता पार्टी के सामने, उपचुनाव में इस सीट पर कमल खिलाना चुनौती बना हुआ था। पार्टी ने, विधानसभा क्षेत्र के सियासी समीकरणों को ध्यान में रखते हुये, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में विधायक रह चुके, गुर्जर नेता करतार सिंह भड़ाना को मैदान में उतारा था। पार्टी की यह रणनीति काफी हद तक, ठीक भी साबित हुयी, लेकिन यह चाल जीत में नहीं बदल सकी।

करतार सिंह भड़ाना 422 वोट के अंतर से चुनाव हार गये। भड़ाना को 31 हजार 305 वोट हासिल हुये हैं, जबकि विजयी उम्मीदवार कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन को 31 हजार 727 वोट प्राप्त हुये। भड़ाना यह चुनाव भाजपा की झोली में नहीं डाल सके, लेकिन मंगलौर सीट पर, पहली बार भाजपा कड़ा मुकाबला देते हुये, दूसरे स्थान पर पहुंची।

भारतीय जनता पार्टी ने, हर चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारे जरूर, लेकिन बसपा और कांग्रेस के सीधे मुकाबले में, 2002 से 2022 तक भाजपा प्रत्याशी किसी भी चुनाव में, दूसरे पायदान तक भी नहीं पहुंच सके थे। 2002 के पहले चुनाव में, भाजपा उम्मीदवार नागेंद्र कुमार 8298 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। वह विजयी उम्मीदवार काजी से करीब 13 हजार वोट पीछे रह गये थे।

2007 में तो भाजपा का प्रदर्शन, अब तक हुये सभी चुनावों में, सबसे कमजोर रहा था। इस चुनाव में पार्टी प्रत्याशी हवलदार हरपाल सिंह को महज 1302 वोट मिले थे। वह विजयी उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन से 22 हजार से ज्यादा वोटों से पीछे रह गये थे। इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही कांग्रेस भी, भाजपा से 17 हजार वोट आगे थी।

2012 में भी भाजपा के कलीम चौथे स्थान पर रहे थे। उन्हें महज 2062 वोट हासिल हुये थे। यह चुनाव बसपा से सरवत करीम अंसारी ने जीता था, जबकि काजी निजामुद्दीन दूसरे स्थान पर थे। भाजपा और अंसारी के वोटों का अंतर, 22 हजार से अधिक का था। तीसरे स्थान पर, आरएलडी के गौरव चौधरी भी, भाजपा प्रत्याशी से 17 हजार वोट आगे थे।

2017 में भाजपा के ऋषिपाल बालियान ने 16 हजार 964 वोट पाकर, पहली बार मंगलौर में भाजपा की मौजूदगी का अहसास कराया था। हालांकि, वह तीसरे स्थान पर विजयी उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन से 15 हजार वोट पीछे रह गये थे। दूसरे नंबर पर अंसारी भी बालियान से करीब 12 हजार वोट से आगे थे।

2022 के चुनाव में, भाजपा ने दिनेश सिंह पंवार को मैदान में उतारा। दिनेश ने 18 हजार 763 वोट हासिल किये और विजेता सरवत करीम अंसारी से, करीब 13 हजार वोट पीछे रहे। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के काजी और बालियान के वोटों का अंतर भी 12 हजार से अधिक का रहा था।

सरवत करीम अंसारी, पूर्व विधायक, मंगलौर

काजी और अंसारी के बीच ही रहा हमेशा मुकाबला

2002 के पहले विधानसभा चुनाव में, काजी निजामुद्दीन बसपा प्रत्याशी थे, जबकि सरवत करीम अंसारी कांग्रेस के टिकट पर उतरे थे। काजी ने यह चुनाव 6594 वोट के अंतर से जीत लिया था। 2007 में भी काजी बसपा के टिकट पर यहां से विधायक चुने गये, इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सरवत करीम अंसारी तीसरे स्थान पर रहे थे। दूसरे नंबर पर, आरएलडी के चौधरी कुलवीर सिंह थे। काजी की जीत का अंतर 3393 रहा था।

2012 में, काजी कांग्रेस में चले गये, जबकि सरवत करीम अंसारी बसपा में आ गये। इस बार अंसारी ने काजी को शिकस्त देकर विधायकी हासिल की। उनकी जीत 698 वोट से हुयी। 2017 में कांग्रेस से काजी निजामुद्दीन और बसपा से सरवत अंसारी फिर मुकाबले में उतरे। काजी ने एक बार फिर यह सीट अंसारी से, 2668 वोट से छीन ली।

2022 के चुनाव में, बसपा के टिकट पर तीसरी बार मैदान में उतरे अंसारी ने, कांग्रेस के काजी को 598 वोट से हरा दिया, और दूसरी बार विधायक चुन लिये गये। गत वर्ष बीमारी के चलते, उनके निधन के बाद से यह सीट खाली चल रही थी। इसी वजह से, यहां उपचुनाव कराया गया।

उबेद-उर-रहमान, प्रत्याशी 2024, बहुजन समाज पार्टी

उपचुनाव में तीसरे नंबर पर खिसक आयी बसपा

हरिद्वार जिले में बहुजन समाज पार्टी की अच्छी पकड़ मानी जाती रही है। मंगलौर विधानसभा सीट पर, 2022 तक हुये हर चुनाव में यह साफ नजर भी आता रहा है। लेकिन, 2024 के उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी का जनाधार खिसकता दिख रहा है।

यह स्थिति तब है, जबकि पार्टी ने 2022 में पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये, सरवत करीम अंसारी के बेटे उबेद-उर-रहमान को ही, उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया था। सियासी जानकारों की मानें, तो इस उपचुनाव में भाजपा ने बसपा के वोट बैंक में गहरी सेंध लगायी है। इसके चलते, बसपा के मतों का बड़ा हिस्सा भड़ाना को चला गया, जबकि उबेद को 19 हजार 559 वोट पाकर, तीसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा।

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