Roads Updates: उत्तराखंड में जारी बारिश के चलते, भारत-नेपाल सीमा पर चम्पावत स्थित शारदा बैराज में जलस्तर बहुत अधिक बढ़ गया है। बैराज पर भारत और नेपाल को जोड़ने वाले पुल पर, वाहनों की आवाजाही रोक दी गयी है। दूसरी ओर, पूर्णागिरी मंदिर मार्ग पर भारी मलबा आने से रास्ता बंद हो गया है।

उत्तराखंड में तीन-चार दिन से जारी बारिश के बाद, चम्पावत जिले में नदियों का जलस्तर बहुत अधिक बढ़ गया है। बनबसा में शारदा बैराज में पानी की मात्रा लगातार बढ़ने के बाद, जिला प्रशासन ने बैराज पर बने, भारत और नेपाल को जोड़ने वाले पुल पर चारपहिया वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है। बहुत जरूरी होने पर ही, दोपहिया वाहनों को जाने दिया जा रहा है।

उधर, शारदा बैराज से शनिवार से रविवार तक डेढ़ लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा जा चुका है। इससे उत्तराखंड में बनबसा, खटीमा से लेकर उत्तर प्रदेश में बरेली, पीलीभीत, लखीमपुर, सीतापुर तक बाढ़ जैसे हालात बने हुये हैं। खटीमा और बनबसा में कई जगह घरों में जलभराव होने से, लोगों को सुरक्षित निकालकर स्कूलों में पहुंचाया गया है।

झनकईया के ग्रामीण क्षेत्रों में रविवार को, भारी बारिश और शारदा बैराज से पानी छोड़ने के बाद, कई घरों में लोग फंस गये थे। सूचना पर पहुंची झनकईया थाना पुलिस ने, लोगों को सुरक्षित निकाला। इसी तरह, बनबसा में भी 25 लोग नदी के तेज बहाव में फंस गये थे। सूचना पर पहुंची एसडीआरएफ की टीम ने राफ्ट के जरिये, इन सभी को सुरक्षित किनारे तक पहुंचाया।

टनकपुर को नेपाल के महेंद्रनगर से जोड़ता है बैराज पुल

बनबसा में शारदा बैराज पर बना पुल, भारत के टनकपुर को नेपाल के महंेद्रनगर क्षेत्र से जोड़ता है। भारत और नेपाल सीमा के बीच, खुला आवागमन होने से, इस पुल के जरिये दोनों देशों के लोग बड़ी संख्या में इधर-उधर जाते हैं।

शारदा बैराज का निर्माण 1928 में किया गया था। 598 मीटर लंबे इस बैराज से पानी छोड़ने के लिये 34 गेट बनाये गये हैं। बैराज से, बनबसा से रायबरेली तक उत्तर प्रदेश में करीब 550 किलोमीटर लंबी शारदा नहर से 22 लाख एकड़ भूमि को सिंचाई का पानी मिलता है।

छह लाख क्यूसेक है बैराज की जलघनत्व सहन क्षमता

शारदा बैराज की जलघनत्व सहन क्षमता छह लाख क्यूसेक है। वर्ष 2013 में उत्तराखंड में आयी आपदा के दौरान, शारदा बैराज में सर्वाधिक 5.44 लाख क्यूसेक पानी दर्ज किया गया था। उस दौरान निचले इलाकों को बाढ़ से बचाने के लिये, पानी रोके रखने के कारण, बैराज को नुकसान भी हुआ था।

पूर्णागिरी मंदिर का रास्ता टूटा, पुलिस की दर्शन टालने की अपील

भारी बारिश के कारण चम्पावत के थाना टनकपुर क्षेत्र अंतर्गत श्री मां पूर्णागिरि मुख्य मन्दिर मार्ग पर भारी मलबा और पत्थर गिरने से, मंदिर मार्ग बंद हो गया है। टनकपुर से लेकर मुख्य मंदिर तक जगह-जगह पर बरसाती नालों-नदियों में बहाव बहुत तेज बना हुआ है। इसके अलावा टनकपुर के कई मार्ग भी मलबा आने से बंद हैं।

इसे देखते हुये, चम्पावत पुलिस ने जनता से अपील की है कि जब तक मौसम साफ नहीं हो जाता, श्री मां पूर्णागिरि मंदिर में दर्शन के लिये जाने का कार्यक्रम टाल दें। पुलिस ने अपील की है कि जिले में आवागमन से पहले, चम्पावत पुलिस के हेल्पलाइन नंबर 112, 094111 12984 पर कॉल कर मार्गों के संबंध में जानकारी कर लें।

हल्द्वानी-रामनगर-देहरादून हाईवे बंद, रूट डायवर्जन जारी

हल्द्वानी-देहरादून स्टेट हाईवे पर कालाढूंगी-रामनगर के बीच, रविवार को पुलिया ढह गयी थी। शाम तक, सड़क पर आधे हिस्से में नियंत्रित तरीके से वाहन निकाले जा रहे थे। लेकिन अब, जिला पुलिस ने सड़क पर आवागमन को पूरी तरह रोक दिया है। पुलिया के ठीक होने तक, अगले कुछ दिनों के लिये नैनीताल पुलिस ने रूट डायवर्जन भी जारी कर दिया है।

  • रामनगर से हल्द्वानी आने वाले वाहनों को नया गाँव, बाजपुर, दोराहा, गदरपुर, रूद्रपुर, से होते हुए हल्द्वानी भेजा जायेगा
  • देहरादून, हरिद्वार, बिजनौर, जसपुर, हल्द्वानी आने वाले वाहन काशीपुर से दोराहा, गदरपुर, रूद्रपुर से होते हुए हल्द्वानी जायेंगे
  • हल्द्वानी की ओर से कालाढूंगी, बाजपुर/रामनगर को आने वाले वाहन हल्दानी से बाया रूद्रपुर गदरपुर, दोराहा, काशीपुर होते हुए जायेंगे।
  • दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, अफजलगढ और जसपुर से हल्द्वानी आने वाले वाहनों को वाया काशीपुर, दोराहा, गदरपुर, रूद्रपुर से होते हुए हल्द्वानी भेजा जायेगा
  • हल्द्वानी जाने वाले दोपहिया वाहन वाया कालाढूंगी, चकलुवा, विदरामपुर, भाखड़ा पुल होते हुये हल्द्वानी जायेंगे

गौला बैराज से छोड़ा 20 हजार क्यूसेक पानी

हल्द्वानी में काठगोदाम स्थित गौला बैराज से भी रविवार को 20 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे गौलापार, शांतिपुरी, लालकुआं क्षेत्र में नदी किनारे बसे इलाकों में जलभराव की परेशानी बढ़ गयी है। हल्द्वानी एसडीएम पारितोष वर्मा समेत प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी लगातार नदी किनारे बस्तियों में लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर भेजने में जुटे हैं।

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