Uttarakhand Cloudburst: उत्तराखंड में, बुधवार को हुयी भारी बारिश और बादल फटने के बाद, भूस्खलन और बाढ़ ने दो दिन में, 17 लोगों की जान ले ली। वहीं, अलग-अलग क्षेत्रों से 16 लोगों के लापता होने की भी सूचना है। केदारनाथ धाम में फंसे यात्रियों को निकालने का काम अब भी जारी है। केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार की मदद की पहल की है।

बुधवार रात राज्यभर में भारी बारिश हुयी थी। श्रीकेदारनाथ धाम पैदल यात्रा मार्ग पर भीमबली के पास, टिहरी जिले के घनसाली में जखन्याली के पास नौताड़ गदेरे में, अल्मोड़ा जिले के जागेश्वर धाम के पास बादल फटने की घटनाएं भी दर्ज की गयीं। गदेरों, नदियों-नालों के उफान पर आ जाने के बाद, बुधवार रात ही नौ लोगों की जान चली गयी थी।

नौताड़ गदेरे में बहकर दंपति, भानुप्रसाद 50 और उनकी पत्नी नीलम देवी 45 की मौत हो गयी थी। दोनों के शव देर रात एसडीआरएफ ने बरामद किये थे। उनका बेटा विपिन बुरी तरह जख्मी हालत में मिला था। देर रात ही विपिन को अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन इलाज के दौरान विपिन ने भी दम तोड़ दिया। यह वीडियो बुधवार देर रात का है, जब नौताड़ गदेरे से निकाले गये घायल विपिन को अस्पताल ले जाया जा रहा था। दुःखद यह है, कि बहुत कोशिश के बावजूद विपिन की जान बचायी नहीं जा सकी:

हरिद्वार के रूड़की में मकान की छत ढहने से दो बच्चों की मौत हो गयी।रूद्रप्रयाग कालीमठ मार्ग के पास, नदी से एक शव बरामद किया गया था, जबकि रूद्रप्रयाग जिला अस्पताल में भी एक अज्ञात व्यक्ति को लाया गया, जिसे डॉक्टरांे ने मृत घोषित कर दिया था। वहीं, देहरादून में रायपुर क्षेत्र में अर्जुन सिंह राणा 52 निवासी तुनवाला रायपुर और सुंदर सिंह 40 निवासी तपोवन रायपुर की, बुधवार देर रात नाले में बहने से मौत हो गयी थी।

देहरादून में ही, सहस्त्रधारा में तीन युवक नदी में बह गये थे। इनमें से एक को बचा लिया गया, लेकिन इंद्रपाल और भूपेंद्र राणा की जान चली गयी। तीनों युवक दिल्ली से सहस्त्रधारा घूमने के लिये आये थे। दूसरी ओर, विकासनगर के कैंचीवाला सहसपुर में, आशीष कलूड़ा 34 की नाले में डूब जाने से मौत हो गयी।

इसके अलावा, अतिवृष्टि और भूस्खलन के चलते राज्यभर में अलग-अलग स्थानों पर हुये हादसों में, 10 लोग घायल हो गये। जिलावार मौतों के आंकड़ों की बात करें, तो टिहरी में तीन, हरिद्वार में चार, देहरादून में छह, चमोली में एक और रुद्रप्रयाग में तीन लोगों की जान इस दौरान गयी।

Uttarakhand Cloudburst: केदारनाथ में फंसे 4000 यात्रियों को सुरक्षित निकाला

केदारनाथ धाम पैदल मार्ग पर, भीमबली के पास बुधवार रात बादल फट गया था। इससे यहां पैदल मार्ग का बड़ा हिस्सा, और दो छोटे पुल बह गये हैं। रास्ता कई अन्य जगहों पर भी क्षतिग्रस्त है। वहीं, यात्रा पर सड़क मार्ग के अंतिम पड़ाव सोनप्रयाग में भी, केदारनाथ हाईवे का करीब सौ मीटर हिस्सा ढह गया है।

जिला पुलिस, प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की ओर से केदारनाथ पैदल मार्ग पर फंसे यात्रियों को निकालने का काम जारी है। यात्रियों को भीमबली, लिनचोली, जंगलचट्टी, गौरीकुंड से पैदल और हेलीकॉप्टरों के जरिये रेस्क्यू किया जा रहा है। बृहस्पतिवार रात तक 737 यात्रियों को हेलीकॉप्टरों से सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया, जबकि 3000 से अधिक यात्रियों को जंगलों के रास्तों से पैदल सोनप्रयाग पहुंचाया गया है।

सोनप्रयाग में भूस्खलन, पहाड़ी से भारी मलबा गिरा

सोनप्रयाग में शुक्रवार सुबह, भारी भूस्खलन से लोग दहशत में आ गये। क्षेत्र में पहाड़ी दरकने के बाद, भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर गिरने लगे। सोनप्रयाग में बुधवार रात ही, सभी होटल-लॉज खाली करवा लिये गये थे। सभी यात्रियों और स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रखा गया है।

Uttarakhand Cloudburst: जिला पुलिस ने जारी किये हेल्पलाइन नंबर

रूद्रप्रयाग जिला पुलिस ने, केदारनाथ यात्रा मार्ग पर फंसे यात्रियों की जानकारी देने के लिये, हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिये हैं। जिला पुलिस और प्रशासन ने, यात्रियों के परिजनों से अपील की है, कि वे इन नंबरों पर कॉल कर, अपने परिजनों के नाम आदि की जानकारी दे सकते हैं। पुलिस संबंधित यात्रियों को तलाशकर, उनकी बात परिजनों से करवायेगी।

पुलिस उपाधीक्षक हर्षवर्द्धनी सुमन ने कहा, कि सभी यात्री सुरक्षित हैं। उन्होंने यात्रियों के परिजनों से अपील की है, कि किसी भी तरह की अफवाहों से भ्रम में नहीं आयें। पुलिस से संपर्क कर, सही जानकारी हासिल करें। उन्होंने बताया कि यात्रियों को प्रशासन की ओर से भोजन, पानी और अन्य सुविधाएं मुहैया करवायी जा रही हैं।

Uttarakhand Cloudburst: वायुसेना के चिनूक और एमआई 17 भी गौचर पहुंचे

केदारघाटी में राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिये, वायुसेना के चिनूक और एमआई 17 विमान भी शुक्रवार सुबह गौचर पहुंच गये। एमआई 17 ने एक चक्कर लगाकर 10 लोगों को रेस्क्यू कर गौचर पहुंचा दिया है। भीमबली और लिनचोली से भी यात्रियों को एयरलिफ्ट करना शुरू कर दिया गया है। वहीं पैदल चलने में सक्षम यात्रियों को, जंगलों के रास्ते निकालने का काम भी जारी है।

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