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Accidents in Utttarakhand: हर साल जा रही 1000 की जान!

Accidents in Utttarakhand

उत्तराखंड में हर साल, लगभग एक हजार लोगों की मौत सड़क हादसों में हो रही है।

Accidents in Utttarakhand: उत्तराखंड की सड़कें हादसों के मामले में खूनी बनती नजर आ रही हैं। आंकड़े बताते हैं, कि पांच साल में राज्य की सड़कों पर, करीब सात हजार 7000 दुर्घटनाएं दर्ज की गयीं। इनमें साढ़े चार हजार 4500 लोगों की जान चली गयी। वहीं, साढ़े छह हजार 6500 लोग हादसों में घायल हो गये। इस लिहाज से हर साल, लगभग एक हजार लोगों की मौत सड़क हादसों में हो रही है।

दिवाली के त्योहार की खुशियों के ठीक बाद, उत्तराखंड को सोमवार 04 नवंबर 2024 को बड़ा जख्म मिला है। मरचूला बस हादसे ने, अपने-अपने गांवों से लौट रहे 36 लोगों की जान ले ली, जबकि 27 घायल हो गये। मरचूला के इस हादसे ने, उत्तराखंड की सड़कों पर हादसों के खतरों को उजागर करने के साथ ही, राज्यवासियों की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं।

उत्तराखंड राज्य परिवहन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें, तो 2018 से 2022 तक (विभागीय वेबसाइट पर 2023-2024 के आंकड़े अपडेट नहीं हुये हैं) यानी पांच साल में राज्य में कुल 6940 सड़क हादसे दर्ज किये गये हैं। इन सड़क हादसों में कुल 6586 लोग घायल हुये, जबकि 4450 लोगों की सांसें थम गयीं।

अब अगर इन पांच साल का औसत देखें, तो साफ होता है, कि हर साल औसतन 1388 हादसे राज्य की सड़कों पर हो रहे हैं। इन हादसों में, 890 लोग राज्य की खूनी सड़कों का शिकार बन रहे हैं। जबकि हर साल 1317 लोग घायल हो रहे हैं। 2023 और 2024 के आंकड़े भी शामिल किये जायें, तो हर साल मौतों की संख्या लगभग 1000 हो जाती है। हादसों की इतनी बड़ी संख्या, और उसमें भी मौतों का बड़ा आंकड़ा पेशानी पर बल डालने वाला है।

सोमवार को मरचूला में हुये हादसे के बाद, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रामनगर अस्पताल में घायलों से मुलाकात की।

Accidents in Utttarakhand: देशभर के आंकड़ों से दोगुना है राज्य का आंकड़ा

विभागीय वेबसाइट पर, 2018 से 2022 तक के देशभर के हादसों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो साफ होता है कि उत्तराखंड में हादसों का आंकड़ा, देशभर से दो से तीन गुना अधिक है। उत्तराखंड में एक्सीडेंट सेवरिटी यानी प्रति एक सौ दुर्घटनाओं में मौत के आंकड़ों का प्रतिशत इन पांच साल में औसत 64.14 प्रतिशत रहा है, जबकि भारत का पांच साल का औसत 35.19 प्रतिशत रहा।

Accidents in Utttarakhand: एआरटीओ को निलंबित करने पर उठ रहे सवाल

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्यूनिटीज फाउंडेशन (एसडीसी) के संस्थापक अनूप नौटियाल ने भी, राज्य में सड़क हादसों के डराने वाले आंकड़ों पर चिंता जतायी है। नौटियाल का कहना है, कि हादसे रोकने के लिये सरकार के स्तर पर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, वहीं वह नागरिकों में भी बेहतर जागरूकता की जरूरत जताते हैं।

नौटियाल ने, हादसे के बाद एआरटीओ के निलंबन की कार्रवाई को भी अनुचित करार दिया है। उनका कहना है, कि सड़क सुरक्षा पर बेहतर तरीके से काम करने के लिये, बेहतर इंजीनियरिंग, बेहतर इमरजेंसी सुविधाएं, बेहतर शिक्षा और बेहतर प्रवर्तन पर ध्यानन देना होगा।

Accidents in Utttarakhand: 2024 में उत्तराखंड में हुये बड़े हादसे

Accidents in Utttarakhand: क्या हो सकते हैं, हादसों के प्रमुख कारण?

उत्तराखंड की सड़कों पर, हादसों के प्रमुख कारणों की जब भी बात होती है, ओवरलोडिंग, ओवरस्पीड, वाहनों की फिटनेस में कमी, चालक को झपकी आना और पर्वतीय मार्गों पर बदहाल-खराब सड़कें सबसे बड़ी वजहें बनकर सामने आती हैं। किसी भी हादसे में, इनमें से कोई न कोई वजह हमेशा उभरती ही है।

Accidents in Utttarakhand: पहाड़ पर परिवहन सेवाओं की कमी कब होगी दूर?

मरचूला बस हादसे में भी, 37 सीटर बस में 63 यात्रियों के सवार होने की बात स्पष्ट हो चुकी है। साफ करता है, कि बस ओवरलोड होकर चल रही थी। लेकिन, इस हादसे के बाद सामने आये इस पहलू से जुड़ी, दुःखद जमीनी हकीकत यह भी है, कि इस क्षेत्र में ओवरलोड चलने वाली, यह इकलौती बस नहीं होगी।

इस सड़क पर परिवहन सेवाओं की आज भी भारी कमी बनी हुयी है। इसके चलते, लगभग हर यात्री वाहन इसी तरह सवारियों से खचाखच भरा होता है। मरचूला हादसे के बाद, एआरटीओ को निलंबित किया गया है, लेकिन सवाल अब भी बना हुआ है, कि आखिर क्षेत्र को बेहतर परिवहन सुविधाएं कब मिलेंगी।

Accidents in Utttarakhand: 2018 में इसी रूट पर गयी थी 48 की जान

रामनगर-धुमाकोट-नैनीडांडा के जिस रूट पर, सोमवार को मरचूला में हादसा हुआ है, उसी मार्ग पर छह साल पहले भी ऐसा ही बड़ा दर्दनाक हादसा हुआ था। एक जुलाई 2018 को धुमाकोट में, क्वीन गांव के पास बस दो सौ मीटर खाई में जा गिरी थी। इस हादसे में 48 यात्रियों की जान गयी थी। तब भी 30 सीटर बस में, 61 यात्री सवार थे।

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