BNS 2023: कोलकाता में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म-हत्या का मामला हो, या उत्तराखंड के देहरादून स्थित आईएसबीटी में किशोरी से गैंगरेप, पिछले कुछ दिनों में लगभग हर रोज महिलाओं से जुड़े अपराधों की दुःखद खबरें सामने आती रही हैं। ऐसे में, महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े सवाल भी उठ रहे हैं। ये सवाल इसलिये भी प्रासंगिक हैं, क्योंकि एक जुलाई 2024 से, देश में भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS 2023) लागू हो चुकी है।
भाारतीय न्याय संहिता 2023 लागू होने के बाद, नये कानूनों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या बदलाव आये हैं, सजा के क्या प्रावधान हैं और भारतीय न्याय संहिता में किन नये अपराधों को शामिल किया गया है। इन सबके बारे में, हमें नैनीताल उच्च न्यायालय के अधिवक्ता ललित मिगलानी, नये कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।
BNS 2023: भारतीय न्याय संहिता में शामिल किये गये हैं ये नये अपराध
भारतीय न्याय संहिता 2023 में कुछ नए अपराधों को शामिल किया गया है। इनमें, शादी का वादा कर धोखा देने के मामले में 10 साल तक की जेल का प्रावधान रखा गया है। नस्ल, जाति-समुदाय, लिंग के आधार पर मॉब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान है। वहीं, महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराध के फैसले, अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 63 से 97 के तहत किये जायेंगे।
BNS 2023: दुष्कर्म की धारा अब 63, नाबालिग से गैंगरेप और मृत्युदंड
दुष्कर्म की धारा अब 375 नहीं, 63 हो गयी है। भारतीय न्याय संहिता में धारा 63 में दुष्कर्म रेप की परिभाषा दी गई है, जबकि 64 से 70 में सजा का प्रावधान किया गया है। पहले आईपीसी में धारा 375 में रेप को परिभाषित किया गया था, जबकि 376 में सजा का प्रावधान था। आईपीसी की धारा 376 के तहत रेप का दोषी पाये जाने पर, 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। बीएनएस की धारा 64 में भी यही सजा रखी गई है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 70 (1) के तहत किसी महिला के साथ गैंगरेप के अपराध में शामिल, प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 20 साल की सजा सुनायी जायेगी। यह सजा उम्रकैद तक बढ़ायी जा सकती है। इस तरह के मामलों में, जुर्माना भी लगाया जायेगा और ये रकम पीड़ित महिला को मिलेगी।
भारतीय न्याय संहिता में, नाबालिगों से दुष्कर्म के अपराधों में सजा पहले से अधिक सख्त की गयी है। बीएनएस के सेक्शन 70 (2) के मुताबिक अगर पीड़ित 18 साल से कम यानी नाबालिग है, तो गैंगरेप में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को फांसी तक की सजा हो सकती है।
पिछले कानून में यानी आईपीसी की धारा 376 डी और बी के तहत, 12 साल से कम उम्र तक की नाबालिग से गैंगरेप करने के मामलों में फांसी और 12 साल से ऊपर की किशोरी से गैंगरेप के मामले में दोषियों को अधिकतम सजा आजीवन कारावास की सजा सुनायी जा सकती थी।
BNS 2023: वैवाहिक दुष्कर्म (Marital Rape) अपराध नहीं, लेकिन…
वैवाहिक दुष्कर्म यानी मैरिटल रेप का मुद्दा कई सालों से भारतीय न्यायिक परिचर्चा में एक विवादास्पद विषय रहा है। निर्भया रेप मामले के बाद जस्टिस वर्मा की कमेटी ने भी मैरिटल रेप के लिए अलग से कानून बनाने की मांग की थी। उनकी दलील थी कि शादी के बाद संबंध बनाने में भी सहमति और असहमति को परिभाषित किया जाना चाहिए।
BNS 2023 में मैरिटल रेप का जिक्र नहीं है, लेकिन धारा 63 के अपवाद ( 2) में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाता है, तो इसे रेप नहीं माना जायेगा। बशर्ते पत्नी की उम्र 18 साल से ज्यादा हो। बता दें, कि साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने महिला के बालिग होने की आयु 18 साल कर दी थी। यानी नाबालिग पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाना अपराध होगा।
आज 1 जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम लागू हो जाएंगे।
भारतीय न्याय संहिता 2023 BNS 356 धाराए
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023
BNSS-533 धाराए
भारतीय साक्ष्य संहिता 2023 BSA-170 धाराएपुलिस राज… pic.twitter.com/g2D2iYKjcX
— NCIB Headquarters (@NCIBHQ) July 1, 2024
आईपीसी के पुराने नियम में धारा 375 में प्रावधान था, कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा है, तो जबरन संबंध बनाना रेप नहीं माना जायेगा। यहां यह पहलू भी महत्वपूर्ण है, कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में 18 साल से कम उम्र में भी शादी की इजाजत है। इसलिए नए प्रावधान का प्रमुख असर मुस्लिमों पर होगा।
BNS 2023: झूठा वादा करके यौन संबंध बनाने पर हो सकती है दस साल की सजा
आपराधिक कानून में शादी का झूठा वादा करके सेक्स को खास तौर पर अपराध की श्रेणी में डाला गया है, जिसके लिये 10 साल तक की सजा होगी। भारतीय न्याय संहिता की धारा 69 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति शादी, रोजगार का वादा या छल करके महिला से यौन संबंध बनाता है तो यह अपराध होगा। इसके लिए दस साल तक की सजा बढ़ायी जा सकती है। दोषी को जेल भेजने के साथ, जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इस धारा के तहत, अगर कोई व्यक्ति पहचान छिपाकर शादी करता है तो उस पर भी दस साल तक की सजा का नियम लागू होगा। हालांकि इस धारा के अंतर्गत आने वाले मामलों को दुष्कर्म की श्रेणी (Rape Category) से बाहर रखा गया है।
पहले आईपीसी में शादी का झूठा वादा कर यौन संबंध बनाना, रोजगार या प्रमोशन का झूठा वादा करना और पहचान छिपाकर शादी करने जैसी चीजों के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था। अदालतें आईपीसी की धारा 90 के तहत इस तरह के मामलों को सुनती थीं, जहां झूठ के आधार पर ली गई सहमति को गलत माना जाता था। इ्स तरह के मामलों में आईपीसी की धारा 375 के तहत आरोप लगाए जाते थे, और 10 साल तक जेल का प्रावधान था। अब, नए प्रावधानों का लिव इन रिलेशन्स पर सबसे ज्यादा असर होगा।
BNS 2023: यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों में क्या होगा?
नए कानून में यौन उत्पीड़न जैसे अपराध को धारा 74 से 76 के तहत परिभाषित किया गया है, और इनमें कोई खास बदलाव नहीं किया गया है।
आईपीसी में यौन उत्पीड़न के अपराधों को धारा 354 में परिभाषित किया गया था। साल 2013 में ‘आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2013’ के बाद इस धारा में चार सब-सेक्शन जोड़े गये थे, जिसमें अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा के प्रावधान थे।
आईपीसी की धारा 354एः अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ सेक्सुअल नेचर का शारीरिक टच करता है, और मर्जी के खिलाफ पोर्न दिखाता है तो उसके लिए तीन साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान था।
आईपीसी की धारा 354 बीः अगर कोई आदमी किसी महिला के जबरन कपड़े उतारता है या फिर ऐसा करने की कोशिश करता है, तो ऐसे मामलों में तीन से सात साल तक की सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान किया गया था।
आईपीसी की धारा 354 सीः महिला के प्राइवेट एक्ट को देखना, उसकी तस्वीरें लेना और प्रसारित करना अपराध था। इसके लिए एक से तीन साल की सज़ा का प्रावधान था। अपराध दोहराने पर जुर्माने के साथ सजा बढ़कर तीन से सात साल तक हो जाती थी।
BNS 2023: आईपीसी की धारा धारा 354डी- महिला का पीछा करने पर कितनी हो सकती है सजा?
BNS 2023 की धारा 77 के मुताबिक महिला का पीछा करने, मना करने के बावजूद बात करने की कोशिश, ईमेल या किसी दूसरे इंटरनेट संचार पर नजर रखने जैसे अपराधों को इसमें परिभाषित किया गया है, जिसमें आईपीसी की तरह ही सज़ा का प्रावधान है यानी कोई बदलाव नहीं किया गया है।
आईपीसी में भी, इस तरह की हरकतों को अपराध माना गया था। आईपीसी की धारा 354डी के तहत पहली बार इस तरह के अपराध करने पर, जुर्माने के साथ सजा को तीन साल तक बढ़ाया जा सकता था। वहीं दूसरी बार अपराध करने पर जुर्माने के साथ सजा को पांच साल के लिए बढ़ाने का प्रावधान था।
BNS 2023: विवाहित महिला को फुसलाना भी अपराध माना गया है
भारतीय न्याय संहिता की धारा 84 के तहत अगर कोई शख्स किसी शादीशुदा महिला को फुसलाकर, धमकाकर या उकासाकर अवैध संबंध के इरादे से ले जाता है, तो इस कृत्य को भी दंडनीय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। भारतीय न्याय संहिता में व्यवस्था दी गयी है, कि इस अपराध के दोषी को दो साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
BNS 2023: दहेज हत्या से जुड़े प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं
कानून के मुतबिक अगर शादी के सात सालों के अंदर किसी महिला की मौत जलने, शारीरिक चोट लगने या संदिग्ध परिस्थितियों में होती है, और बाद में यह मालूम चले कि महिला की मौत का जिम्मेदार, उसका पति, पति के रिश्तेदारों की तरफ से उत्पीड़न है तो उसे ‘दहेज हत्या’ माना जायेगा। भारतीय न्याय संहिता में धारा 79 के अंतर्गत दहेज हत्या को परिभाषित किया गया है और सजा में कोई भी बदलाव नहीं हुआ है।
यानी जिस तरह की सजा की व्यवस्था आईपीसी में थी, ठीक वही सजा का प्रावधान नई भारतीय न्याय संहिता में भी दिया गया है। दहेज हत्या में पहले आईपीसी की धारा 304बी के तहत कम से कम सात साल कैद की सज़ा का प्रावधान किया गया था, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।
नए आपराधिक क़ानून 2023
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— Akashvani आकाशवाणी (@AkashvaniAIR) August 23, 2024
BNS 2023: अडल्ट्री (Adultery) अब अपराध में शामिल नहीं
BNS 2023 में अडल्ट्री को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है। अडल्ट्री को अपराध मानने वाली आईपीसी की धारा 497 जिसमें अडल्ट्री के नियमों को बताया गया है को सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में मनमाना होने और संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करने के कारण रद्द कर दिया था।
इटली में रहने वाले प्रवासी भारतीय जोसेफ शाइन की ओर से, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। इस पर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था, कि ऐसा कोई भी कानून जो व्यक्ति कि गरिमा और महिलाओं के साथ समान व्यवहार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, वह संविधान के खिलाफ है।
यहां बता दें कि अडल्ट्री पर कानून 1860 में बना था। आईपीसी की धारा 497 में इसे परिभाषित करते हुए कहा गया था, कि अगर कोई मर्द किसी दूसरी शादीशुदा औरत के साथ उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है, तो महिला के पति की शिकायत पर इस मामले में पुरुष को अडल्ट्री कानून के तहत आरोप लगाकर मुकदमा चलाया जा सकता था। ऐसा करने पर पुरुष को पांच साल की कैद और जुर्माना या फिर दोनों ही सजा का प्रवाधान भी था।
BNS 2023: भारतीय न्याय संहिता के ये नये बदलाव बेहतरीन
जांच-पड़ताल में अब फॉरेंसिक साक्ष्य जुटाने को अनिवार्य बनाया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी का ज्यादा इस्तेमाल, जैसे खोज और बरामदगी की रिकॉर्डिंग, सभी पूछताछ और सुनवाई ऑनलाइन मॉड में करने जैसे बदलावों का विशेषज्ञों ने स्वागत भी किया गया है।
हालांकि, ये बदलाव कितने प्रभावी होंगे, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि इन्हें कैसे लागू किया जाता है। भारतीय न्याय संहिता में एफआईआर, जांच और सुनवाई के लिए अनिवार्य समय-सीमा तय की गयी है। उदाहरण के लिए, अब सुनवाई के 45 दिनों के भीतर फैसला देना होगा, शिकायत के तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करनी होगी।
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