Haldwani Railway Encroachment: उच्चतम न्यायालय ने हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने, रेलवे से कहा है कि रेलवे की जमीन पर बसे, परिवारों को हटाने से पहले, रेलवे राज्य और केंद्र सरकार के साथ मिलकर पुनर्वास योजना तैयार करे। अदालत ने, अपनी टिप्पणी में यह भी कहा, कि अतिक्रमणकारी भी आखिर इंसान हैं।

हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर लंबे समय से अतिक्रमण है। यहां हल्द्वानी स्टेशन के पास, बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे ट्रैक के किनारे कई मकान बनाकर, बस्तियां बसायी जा चुकी हैं। रेलवे, काफी समय से यहां से अतिक्रमण हटाकर, जमीन खाली करवाने की कोशिश में है।

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने, हल्द्वानी में रेलवे भूमि पर अतिक्रमण के मामले में, कार्रवाई के निर्देश दिये थे। इसके बाद, रेलवे ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की थी, लेकिन रेलवे की जमीन पर बसी बस्तियों में रहने वाले लोगों ने, जमीनों पर अपना मालिकाना हक बताते हुये, कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके बाद से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई बंद है। मामले में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर, रोक हटाने का अनुरोध किया था। इस मसले पर, बुधवार को अदालत की जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच में सुनवाई हुयी।

सुनवाई के दौरान, अदालत ने रेलवे से पूछा, कि जो लोग वर्षों से वहां रह रहे हैं, उनके लिये पुनर्वास की कोई योजना है या नहीं? कोर्ट ने यह भी पूछा, कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने से पहले, रेलवे की ओर से प्रभावित परिवारों को कोई नोटिस भेजा गया था या नहीं? यह भी पूछा, कि रेलवे कितने लोगों को हटाना चाहता है?

सुनवाई के बाद, कोर्ट ने अपने आदेश में रेलवे, उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। उत्तराखंड के मुख्य सचिव को, प्रभावित परिवारों के चिह्नीकरण और उनके, तथा केंद्र सरकार के साथ बातचीत करने को कहा गया है। अदालत ने, अतिक्रमणकारियों के विस्थापन से पूर्व, पुनर्वास योजना बनाने को भी कहा है, और इसके लिये जमीन अधिग्रहण के निर्देश भी दिये हैं। अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी

‘निर्दयी नहीं हो सकती है अदालत’

सुप्रीम कोर्ट ने, अपनी टिप्पणी में यह भी कहा, कि वे लोग दशकों से वहां रह रहे हैं। अधिकतर ने पक्के मकान बनाये हुये हैं। ऐसी स्थिति में अदालत निर्दयी नहीं हो सकती है, लेकिन अतिक्रमण को भी बढ़ावा नहीं दिया जायेगा। अदालत ने कहा, कि वे लोग जब दशकों से वहां रह रहे थे, तो तब सरकार क्या कर रही थी?

4365 परिवारों ने बनाये हैं, रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर मकान

रेलवे की ओर से अदालत में दी गयी जानकारी के अनुसार, हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर 4365 परिवार बसे हुये हैं। इन परिवारों की कुल आबादी 50 हजार से अधिक है। रेलवे, अतिक्रमण को खाली करवाना चाहता है। लेकिन, संबंधित लोग इन जमीनों पर मालिकाना हक जताते रहे हैं।

‘रेलवे को विस्तारीकरण के लिये तत्काल जमीन की जरूरत’

रेलवे की ओर से, अदालत में दलील देते हुये, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा, कि रेलवे हल्द्वानी स्टेशन का विस्तार करना चाहता है। भविष्य में हल्द्वानी से वंदे भारत जैसी रेलगाड़ी संचालित करने की भी योजना है। इसे देखते हुये, रेलवे को तुरंत जमीन की आवश्यकता है।

इस दौरान, एएसजी भाटी ने कोर्ट से अतिक्रमण हटाने पर लगी रोक हटाने का अनुरोध करते हुये, यह भी कहा कि जगह की कमी के कारण, रेलवे को अपने कई प्रोजेक्ट पूरे करने में बड़ी परेशानी हो रही है। उन्होंने कोर्ट को बताया, कि हल्द्वानी उत्तराखंड के कुमाउं मंडल को देश से जोड़ने वाला अंतिम स्टेशन है।

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