Kotdwar Hospital: कोटद्वार में डेंगू के बढ़ते प्रकोप के बीच बेस अस्पताल में अव्यवस्थाओं और खामियों का खुलासा हुआ। स्वास्थ्य सचिव के निरीक्षण में अस्पताल के डेंगू वार्ड से लेकर पैथोलॉजी लैब तक बड़ी लापरवाहियां सामने आयीं। इसे लेकर सचिव ने कड़ी नाराजगी जतायी।
कोटद्वार में डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हालत यह है कि अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, हर रोज बेस अस्पताल की ओपीडी में बुखार, कमजोरी की शिकायत लेकर मरीज पहुंच रहे हैं। अस्पताल में डेंगू रोगियों के लिये अलग आइसोलेशन वार्ड भी बनाया गया है।
राज्यभर में डेंगू से निपटने के लिये अस्पतालों में व्यवस्थाओं का जायजा लेने निकले स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार गुरुवार को कोटद्वार अस्पताल पहुंचे। उन्होंने सीएमएस डॉ. विजयेश भारद्वाज और फिजीशियन डॉ. जेसी ध्यानी के साथ अस्पताल में निरीक्षण शुरू किया।
इस दौरान सचिव ने एक्सरे रूम, इमरजेंसी वार्ड और एमआरआई रूम का निरीक्षण किया। यहां से सचिव डेंगू आइसोलेशन वार्ड में पहुंचे तो वहां अव्यवस्थाएं देख उनका पारा चढ़ गया। यहां एक मरीज की प्लेटलेट्स बहुत कम होने पर उन्होंने फिजीशियन से उसके बारे में जानकारी मांगी।
लेकिन, फिजीशियन और सीएमएस भी सचिव को बता नहीं सके। इस पर सचिव बुरी तरह बिफर पड़े। वह इस कदर नाराज हुये कि उन्होंने फिजीशियन से उनकी डिग्री तक पूछ डाली। उन्होंने सख्त शब्दों में कहा कि मरीज की हालत नाजुक बनी हुयी है और डॉक्टर को जानकारी ही नहीं है?
उन्होंने अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) और चिकित्सकों को कड़े निर्देश दिये कि मरीजों के इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाये। इस दौरान सचिव ने इस वार्ड और अन्य वार्डों में भर्ती मरीजों से बातचीत कर उनसे भी व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली।
वार्ड के बाद सचिव अस्पताल की पैथोलॉजी लैब में पहुंचे तो यहां के हालात देखकर उनकी नाराजगी और अधिक बढ़ गयी। लैब से जो रिपोर्ट मरीजों को दी जा रही थी, उनमें प्लेटलेट्स की जानकारी हाथ से लिखी गयी थी। यह देख सचिव ने कड़ी नाराजगी जताते हुये कम्प्यूटराइज्ड रिपोर्ट ही देने को कहा।
यहां लैब टेक्नीशियन भी सचिव को जांच के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दे सके। सैम्पलों के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि सैम्पल एक बार जांच के बाद नष्ट किये जा रहे हैं। इस पर सचिव ने कहा कि कई बार मामला संदिग्ध होने पर 24 घण्टे के भीतर उसी सैम्पल से दोबारा जांच की जा सकती है।
सचिव ने निर्देश दिये कि सैम्पल 24 घण्टे तक सुरक्षित रखे जायें। अस्पताल की व्यवस्थाओं से बेहद नाखुश नजर आये स्वास्थ्य सचिव ने बाद में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. प्रवीण कुमार को कोटद्वार अस्पताल में मिली खामियों को तत्काल दूर करने के निर्देश दिये।
हो सकती है सख्त कार्रवाई: अस्पताल की व्यवस्थाओं से विभागीय सचिव की असंतुष्टि और नाराजगी के बाद तय माना जा रहा है कि डॉक्टरों, लैब कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है। सचिव के सख्त रुख के बाद कार्रवाई का डर अस्पताल कार्मिकों पर बना हुआ है।
कंटेन्मेंट जोन बनाये जायेंगे: स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया है कि किसी भी क्षेत्र में पांच डेंगू मरीज मिलने पर उस क्षेत्र को माइक्रो कंटेन्मेंट जोन बनाया जायेगा। सम्बन्धित मरीजों की स्वास्थ्य विभाग की ओर से निगरानी की जायेगी।
शुक्रवार से महा अभियान की शुरुआत: स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुये शुक्रवार 15 सितम्बर 2023 से राज्यभर में महा अभियान शुरू किया जा रहा है। बताया कि स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और अन्य विभागों के साथ मिलकर यह अभियान चलाया जायेगा।
घर-घर पहुंचेंगी विभागीय टीमें: सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि महा अभियान के दौरान विभागीय टीमें घर-घर पहुंचेंगी। इन टीमों का लक्ष्य घरों में डेंगू के खतरों की पहचान करना, लोगों को जागरूक करना और संदिग्ध रोगियों की पहचान करना है।
निजी लैबों की भी होगी जांच: स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने सीएमओ पौड़ी गढ़वाल डॉ. प्रवीण कुमार को निर्देश दिये कि कोटद्वार समेत जिले की निजी पैथोलॉजी लैबों पर भी जांच करें। वहां डेंगू जांच के तरीकों के अलावा मरीजों का रिकॉर्ड भी नियमित जांचने को कहा गया।
बुखार हो तो लापरवाही नहीं करें: स्वास्थ्य सचिव ने जनता से अपील की है कि बुखार आने पर बिल्कुल भी लापरवाही नहीं करें। तत्काल डॉक्टर से मिलें और खून की जांच करायें। कहा कि समय रहते डेंगू का इलाज शुरू करने पर प्लेटलेट्स गिरने से बचाव हो सकता है।
जिले में 121 डेंगू मरीज: सीएमओ डॉ. प्रवीण कुमार ने सचिव को जानकारी दी कि पौड़ी गढ़वाल जिले में डेंगू के 121 मामले सामने आ चुके हैं। उधर, कोटद्वार के जौनपुर निवासी मनोज नेगी (38) की डेंगू से मौत हो गयी। उन्हें एक दिन पहले ही देहरादून रेफर किया गया था। कोटद्वार में यह चौथी मौत है।
डेंगू का डी-2 स्ट्रेन घातक: उत्तराखण्ड में इस बार डेंगू मरीजों में डेंगू का डी-2 स्ट्रेन पाया जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार यह स्ट्रेन सामान्य डेंगू से बहुत अधिक खतरनाक है। यह पीड़ित के लिवर, किडनी और फेफड़ों पर सीधा असर डाल रहा है।