Inheritance Tax: लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) के दौरान विरासत कर (Inheritance Tax) को लेकर पक्ष-विपक्ष में मचे घमासान के बीच, प्रख्यात अर्थशास्त्री गौतम सेन ने अपनी राय रखी है। उनका मानना है कि भारत में इस तरह का कानून लागू करने की सोचने वाले, भारत के शुभचिंतक नहीं हो सकते हैं। सेन के अनुसार, अगर इस तरह की कोई व्यवस्था भारत में लागू होती है, तो देश आर्थिक संकटों से घिर जायेगा। ऐसी स्थिति, भारत पर हमले के लिये तैयार बैठे चीन-पाकिस्तान के लिये ही मुफीद होगी।
कुछ दिन पहले, इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (Indian Overseas Congress) के अध्यक्ष और राहुल गांधी के मुख्य सलाहकार सैम पित्रोदा ने भारत में संपत्ति वितरण योजना (Wealth Redistribution Plan) के संबंध में बयान दिया था। यह योजना कथित रूप से कांग्रेस के घोषणापत्र का हिस्सा है। सैम पित्रोदा ने कांग्रेस की इस प्रस्तावित योजना पर उठ रहे सवालों का बचाव अपने बयान के जरिये करने की कोशिश की थी।
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सैम पित्रोदा ने कहा था कि अमेरिका में उत्तराधिकार कर या विरासत कर की व्यवस्था लागू है। उनके अनुसार, इस कानून के तहत, सौ मिलियन डॉलर संपत्ति वाले किसी व्यक्ति के निधन के बाद, उसके परिवार को संपत्ति का 45 प्रतिशत हिस्सा ही मिलता है। उसकी संपत्ति का 55 प्रतिशत हिस्सा सरकार द्वारा अधिग्रहीत कर लिया जाता है।
उनका कहना था कि सरकार द्वारा अधिग्रहीत की जाने वाली संपत्ति का उपयोग, देश के अन्य जरूरतमंद लोगों की मदद के लिये किया जाता है। पित्रोदा ने यह भी कहा कि इस कानून के अनुसार, किसी व्यक्ति ने अपने जीवन में संपत्ति जुटायी, मृत्यु के बाद उसे संपत्ति का आधा हिस्सा जनता के लिये छोड़ना चाहिये। उनका कहना था कि भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होने से, देश के अमीरों की पूरी संपत्ति उनके बच्चों को मिल जाती है।
सैम पित्रोदा ने अपना बयान भले ही कांग्रेस घोषणापत्र पर उठ रहे सवालों के बचाव में दिया था, लेकिन उनकी कही बातें, लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के दौरान कांग्रेस के खिलाफ ही बड़ा हथियार बन गयीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत, भाजपा नेताओं ने अपनी हर जनसभा में पित्रोदा के बयान का जिक्र किया, और कहा कि कांग्रेस भारतवासियों की वह कमाई छीनना चाहती है, जो उन्होंने जीवनभर मेहनत कर अपने बच्चों के लिये जुटायी है।
#WATCH | Chicago, US: Chairman of Indian Overseas Congress, Sam Pitroda says, "…In America, there is an inheritance tax. If one has $100 million worth of wealth and when he dies he can only transfer probably 45% to his children, 55% is grabbed by the government. That's an… pic.twitter.com/DTJrseebFk
— ANI (@ANI) April 24, 2024
पित्रोदा के बयान पर अब, प्रख्यात अर्थशास्त्री गौतम सेन ने अपनी राय दी है। डॉ. गौतम सेन, करीब 20 साल तक, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस में प्रवक्ता रहे। एक इंटरव्यू में डॉ. सेन का कहना है कि अमेरिका की किसी व्यवस्था को भारत के लिये भी समान मान लेने का विचार अतार्किक है। कांग्रेस के घोषणापत्र में व्यक्तियों, व्यवसायों की संपत्ति के सर्वे की बात को भी वह कई कारणों से अव्यावहारिक मानते हैं।
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डॉ. सेन के अनुसार, भारत में करदाताओं की संख्या कुल आबादी का करीब ढाई प्रतिशत ही है। वह मानते हैं कि, इनमें से भी ऐसे करदाताओ की संख्या 12 लाख से अधिक नहीं होगी, जिनके पास उनके घरों में निजी संपत्तियां हैं। डॉ. सेन कहते हैं कि ऐसी स्थिति में अगर, इन लोगों को संपत्ति सरेंडर करने के लिये कहा जायेगा, तो इसका सीधा अर्थ उनके कारोबार पर ताले लगवा देना होगा।
डॉ. सेन कहते हैं कि अगर ऐसा हो गया, तो इससे भारत गहरे आर्थिक और राजनीतिक संकट में घिर जायेगा। जिसका सीधा असर सामरिक दृष्टि से भी होगा। वह कहते हैं कि अगर ऐसी स्थिति कभी बनी, तो इसका अर्थ भारत में इस तरह के संकट का इंतजार कर रहे चीन-पाकिस्तान को, भारत पर हमले करने का न्योता देना होगा।
भारत में बीते कुछ वर्षों में हुआ है व्यापक सुधार
डॉ. सेन का मानना है कि भारत में कुछ वर्षों में व्यापक सुधार आया है। देश में निवेश के बेहतर अवसरों के जरिये संपत्ति अर्जन के साथ बुनियादी ढांचे के विकास और पुनर्वितरण की ऐसी व्यवस्था तैयार हो रही है, जिसे लंबे समय तक हासिल नहीं किया जा सका था। ऐसे में विरासत कर जैसी व्यवस्था के बारे में सोचना, भारत के हित में नहीं है।
#WATCH | On Indian Overseas Congress Sam Pitroda's remark regarding 'Inheritance Tax', economist Gautam Sen says, "First of all, there is no Inheritance Tax in the US. They don't have Inheritance Tax, it is called Estate Duty and Gift Tax. In the US, it is paid by 0.14% of the… pic.twitter.com/s9kibe0a5j
— ANI (@ANI) May 8, 2024
अमेरिका में लागू नहीं है ऐसा कोई टैक्स
गौतम सेन का कहना है कि, सैम पित्रोदा ने अमेरिका में जिस विरासत कर की बात कही है, वास्तव में वैसा कोई कानून अमेरिका में है ही नहीं। उन्होंने बताया कि, अमेरिका में जो कानून लागू है, उसे एस्टेट ड्यूटी एंड गिफ्ट टैक्स (Estates Duty And Gift Tax) कहा जाता है। लेकिन, अमेरिका के अधिकतर एस्टेट्स भी इस कर के दायरे में नहीं आते हैं, क्योंकि वे इस कानून के तहत लागू छूट की शर्तों का लाभ पा लेते हैं।
25 लाख में से सिर्फ 4000 पर लागू हुआ टैक्स
गौतम सेन ने बताया कि अमेरिका में वर्ष 2022 तक मृत 25 लाख में से सिर्फ 4000 एस्टेट मालिकों पर यह कर लागू हुआ है। कर देने वालों यह संख्या, मृत व्यक्तियों का महज 0.14 प्रतिशत है। इसका कारण यह है कि कर के दायरे में वही लोग आते हैं, जिनकी आय 13.6 मिलियन डॉलर भारतीय मुद्रा के हिसाब से 01 अरब 13 करोड़ 56 लाख 81 हजार 600 रुपये है। इसमें भी अधिकतर धनी लोग, अपना धन ट्रस्ट में डालकर छूट प्राप्त कर लेते हैं।
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