Murder Mystery Disclosed: मध्य प्रदेश के इंदौर और उत्तराखंड के ऋषिकेश में, अज्ञात महिला के शव के टुकड़े, रेलगाड़ी में बरामद किये जाने के मामले की गुत्थी सुलझ गयी है। जीआरपी इंदौर ने, महिला की शिनाख्त के साथ ही, हत्यारोपी को भी गिरफ्तार कर लिया है। महिला के हाथ पर गोदा गया नाम और उसका सिम कार्ड हत्या के खुलासे का जरिया बने।

दस जून को, इंदौर से ऋषिकेश पहुंची योगनगरी ऋषिकेश एक्सप्रेस ट्रेन के कोच एस-1, एस-2 के बीच, एक महिला के दोनों हाथ और पैर कटे हुये मिले थे। शव के इन टुकड़ों को, एक बोरे में बांधकर ट्रेन में छोड़ा गया था। यह बरामदगी तब की गयी थी, जब ट्रेन को वॉशिंग यार्ड में ले जाया गया था और सफाईकर्मी, हर कोच की सफाई कर रहे थे।

ऋषिकेश जीआरपी ने छानबीन शुरू की, तो मालूम हुआ कि दो दिन पहले, आठ जून को इंदौर में भी, डॉ. अंबेडकरनगर महू-इंदौर पैसेंजर ट्रेन में भी, दो बोरों से इसी तरह शव के टुकड़े बरामद किये गये हैं। वहां महिला का कटा हुआ सिर और धड़ बरामद किये गये थे।

ऋषिकेश में बरामद किये गये एक हाथ में, मीरा बेन गोपाल भाई गोदा हुआ मिला था। ऋषिकेश जीआरपी ने यह जानकारी, इंदौर जीआरपी को दी। माना जा रहा था, कि मीरा बेन महिला का ही नाम होगा। इसके बाद इंदौर पुलिस ने महिला के नाम के आधार पर तलाश शुरू की।

पुलिस ने हाल में गुमशुदा महिलाओं के बारे में जानकारी जुटायी, तो पता चला कि रतलाम जिले बिलपांक थाने में, मीरा बेन पत्नी भंवरलाल डामर उम्र 37 वर्ष गायब है। पता चला कि, वह छह जून को किसी बात पर घर से नाराज होकर कहीं चली गयी थी। पुलिस ने, भंवरलाल को ऋषिकेश में मिले हाथ पर गोदे गये नाम और शव की अन्य तस्वीरें दिखायीं, तो भंवरलाल ने शव अपनी पत्नी का होने की पुष्टि की।

अब, पुलिस के सामने हत्यारोपी की तलाश करने की चुनौती थी। जीआरपी ने इसके लिये साइबर सेल की मदद ली, लेकिन आरोपी का कुछ पता नहीं चल रहा था। महिला के मोबाइल नंबर को भी सर्विलांस पर लगाया गया था। इस दौरान मिले सुरागों के आधार पर, पुलिस कमलेश पटेल उम्र 60 वर्ष मूल निवासी ललितपुर उत्तर प्रदेश और हाल निवासी हीरा मिल की चाल, देवास गेट उज्जैन तक पहुंची।

कड़ी पूछताछ के बाद, कमलेश पटेल ने आखिर महिला की हत्या की बात कबूल कर ली। उसने बताया कि छह जून की शाम उसे महिला उज्जैन स्टेशन पर अकेली बैठी मिली थी। उसने बताया था कि वह मथुरा जाना चाहती है। कमलेश ने महिला को बताया कि इस वक्त उसे ट्रेन नहीं मिलेगी। वह मदद का भरोसा देकर और खाना खिलाने की बात कहकर, महिला को अपने घर ले गया।

सात जून को उसने, महिला की हत्या की और फिर शव को टुकड़ों में काट कर बोरों में पैक कर दिया। आठ जून की सुबह उसने दो बोरे डॉ. अंबेडकरनगर महू-इंदौर पैसेंजर ट्रेन में छोड़ दिये, जबकि उसी दिन शाम के समय, एक बोरा ऋषिकेश जाने वाली योगनगरी एक्सप्रेस में छोड़ आया।

नाम गुदवाने की परंपरा ने पुलिस को दिया बड़ा सुराग

जीआरपी इंदौर के अनुसार, गुजरात से लगे हुये, रतलाम क्षेत्र में बच्चों के हाथों पर भाई-बहन का नाम गुदवाने की परंपरा रही है। ऋषिकेश में मिले हाथ में, मीरा बेन गोपाल भाई लिखा हुआ था। ऐसे में, जीआरपी यही मानकर चली कि संभवतः यह महिला रतलाम क्षेत्र की ही रही होगी, और बचपन में महिला और उसके भाई का नाम हाथ पर लिखा गया होगा।

सिम अपने फोन में लगाते ही पकड़ में आया कमलेश

पुलिस ने महिला का मोबाइल सर्विलांस पर लगाया हुआ था, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था। इसी बीच, एक दिन अचानक आरोपी कमलेश ने, महिला का सिम अपने मोबाइल पर लगा लिया। इसके बाद पुलिस टीम उस तक पहुंची और हत्या का खुलासा हुआ।

मूक-बधिर पत्नी से पूछताछ के लिये बुलाये विशेषज्ञ

जीआरपी इंदौर के अनुसार, आरोपी कमलेश आरंभ में हत्या की बात से इनकार करता रहा। उसकी पत्नी मूक-बधिर है। उसे वारदात के बारे मंे जानकारी थी, लेकिन उससे जानकारी जुटाना मुश्किल बना हुआ था। ऐसे में पुलिस ने मूक-बधिरों से बातचीत में विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित की मदद ली। पुरोहित ने, कमलेश की पत्नी से बातचीत की और संकेतों के जरिये, वारदात की सिलसिलेवार जानकारी पुलिस को दी।

आरोपी ने महिला के खाने में मिलायी थीं नींद की गोलियां

पूछताछ में आरोपी ने बताया, कि महिला से बातचीत के बाद वह जान गया था कि महिला घर से नाराज होकर आयी है और उसके साथ कोई नहीं है। ऐसे में मदद का झांसा देकर, वह गलत नीयत से उसे अपने घर ले गया। महिला को दिये खाने में उसने नींद की गोलियां मिला दी थीं। लेकिन, गलत हरकत करने की कोशिश के दौरान, महिला जाग गयी और विरोध करने लगी।

पूछताछ में कमलेश ने बताया कि महिला के विरोध करने पर, उसने कमरे में रखा भारी बड़ा नट उसके सिर पर दे मारा। कई वार करने से, उसकी जान चली गयी। इसके बाद, वह बाजार गया और एक बड़ा छुरा और बोरे खरीदकर लाया। इसी छुरे से उसने शव के टुकड़े किये और फिर उन्हें बोरों में पैक कर दिया।

आउटर में ट्रेन खड़ी रहने का उठाया आरोपी ने फायदा

जीआरपी इंदौर के अनुसार, कई बार अलग-अलग कारणों से, ट्रेनों को उज्जैन स्टेशन के आउटर पर रखा जाता है। आठ जून की सुबह, महू-इंदौर पैसेंजर भी आउटर पर ही खड़ी थी। कमलेश ने इसका फायदा उठाया और दो बोरे, महू-इंदौर पैसेंजर में सीटों के नीचे रख दिये। इसके बाद वह किसी दूसरी ट्रेन का इंतजार करने लगा। शाम को योगनगरी एक्सप्रेस भी इसी आउटर पर खड़ी की गयी थी। मौका देखकर, उसने तीसरा बोरा इस ट्रेन में रख दिया।

जीआरपी इंदौर ने घोषित किया था दस हजार का इनाम

जीआरपी इंदौर के लिये, इस हत्या का खुलासा करना चुनौती बना हुआ था, क्योंकि महिला की शिनाख्त के बाद भी, हत्यारे तक पहुंचना मुश्किल था। पुलिस के पास कोई फुटेज भी नहीं थी, जिससे आरोपी की पहचान की जा सके। ऐसे में पुलिस ने, महिला की तस्वीरें साझा करने के साथ, हत्यारोपी के बारे में सुराग देने वाले के लिये दस हजार का इनाम भी घोषित किया था।

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