Mussoorie News: मसूरी के कैमल बैक रोड पर रविवार तड़के बड़ा हादसा हो गया। यहां 133 साल से स्थापित ब्रिटिशकालीन होटल द रिंक पूरी तरह जलकर राख हो गया। आग की चपेट में आकर तीन कार भी जल गयीं। फायर ब्रिगेड को आग पर काबू पाने के लिये करीब आठ घंटे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
मसूरी के कुलड़ी में कैमल बैक रोड पर 133 साल पुराना ब्रिटिशकालीन ऐतिहासिक होटल द रिंक पैवेलियन स्थित है। रविवार सुबह करीब पांच बजे आसपास के लोगों ने होटल से धुएं के गुबार उठते देखे तो पूरे इलाके में खलबली मच गयी। लोग होटल की ओर दौड़ पड़े, लेकिन चंद ही मिनटों में होटल से आग की ऊंची-ऊंची लपटें उठने लगीं।
आग इतनी तेज थी कि इसने कुछ ही देर में तीनमंजिला होटल के सभी कमरों को चपेट में ले लिया। इससे रिंक के नजदीक बने दूसरे होटलों, दुकानों और आवासीय भवनों पर भी आग का खतरा मंडराने लगा। वहीं, होटल के बाहर सड़क पर खड़ी तीन कारें भी आग की चपेट में आकर जल गयीं।सूचना पर पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गये।
फायर ब्रिगेड की टीम भी आ गयी। भीषण आग को काबू करने में आठ घण्टे से अधिक के समय लगा।बताया जा रहा है कि होटल भवन में आग की वजह शार्ट सर्किट हो सकती है। आग से होटल के सभी कमरे, लॉबी, स्केटिंग फ्लोर, वेडिंग हॉल लगभग पूरी तरह जलकर राख हो गये हैं। आग से लाखों के नुकसान की आशंका है।
दमकल के आठ वाहन आग बुझाने में जुटेः आग लगने की सूचना मिलते ही मसूरी में दमकल के तीनों वाहन होटल की ओर निकल गये थे। विकराल आग की जानकारी पर देहरादून से भी पांच गाड़ियां मसूरी भेज दी गयी थीं। इसके बाद आठों वाहनों से लगातार जलते होटल भवन पर पानी की बौछारें की जाती रहीं।
दिनभर सुलगती रहीं चिंगारियांः होटल में आग की जानकारी रविवार सुबह पांच बजे लगी थी। इसके कुछ समय बाद ही मसूरी के तीनों दमकल वाहन मौके पर पहुंच गये थे। कुछ समय बाद देहरादून से भी गाड़ियां आ गयी थीं। इसके बाद भी भीषण आग को बुझाने में दमकल वाहनों को दोपहर के करीब डेढ़ बज गये। इसके बाद भी भवन में चिंगारियां सुलगती रहीं।
होटल में चल रहा पुनर्निर्माणः जानकारी के अनुसार 133 साल पुराने इस होटल में इन दिनों पुनर्निर्माण का काम चल रहा था। होटल के कमरों और भवन के अन्य हिस्सों को नये तरीकों से बनवाया जा रहा था, लेकिन इस हादसे में भवन को खासा नुकसान हुआ है।
हादसे की वजह की होगी जांचः पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार हादसे की प्राथमिक तौर पर वजह शॉर्ट सर्किट ही मानी जा रही है। हालांकि, घटना की व्यापक जांच भी की जायेगी। इससे होटल में हुये नुकसान के बारे में भी ठीक से जानकारी स्पष्ट हो सकेगी।
होटल मालिक को पुलिस ने निकालाः जानकारी के अनुसार होटल मालिक अनिरुद्ध प्रताप पुनर्निर्माण कार्यों की देखरेख के लिये होटल में ही थे। होटल में आग लगने के बाद वह अपने कमरे में ही फंसे रह गये। होटलकर्मियों के जानकारी देने पर दमकलकर्मियों ने उन्हें होटल से सुरक्षित निकाला।
किसी के हताहत होने की सूचना नहींः होटल में पुनर्निर्माण के चलते इन दिनों वहां किसी सैलानी को नहीं ठहराये जाने की जानकारी मिली है। हालांकि, अभी यह साफ नहीं हुआ है कि घटना के वक्त होटल में कितने कर्मचारी थे। फिलहाल बताया जा रहा है कि जो भी कर्मी वहाँ थे, वे आग लगते ही निकल गये थे।
लकड़ी से बना हुआ था भवनः ब्रिटिशकालीन इस होटल के भवन में लकड़ी का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया गया था। इसके सभी कमरे, स्केटिंग फ्लोर और हॉल भी लकड़ी से बने हुये थे। माना जा रहा है कि होटल में लगी आग के विकराल रूप लेने की बड़ी वजह यह भी रही।
मीलों दूर तक नजर आयीं लपटेंः होटल में लगी आग से इतनी ऊंची लपटें और गहरा धुआं उठा कि वे मीलों दूर से भी नजर आ रहे थे। मसूरी नगर के बिल्कुल बीचोंबीच से इस तरह धुआं उठता जिसने भी देखा, वह मौके पर दौड़ पड़ा।
फंस गयी फायर ब्रिगेड की गाड़ीः कैमल बैक रोड पर कई होटल हैं। इनमें ठहरने वाले लोग और स्थानीय आवासीय भवनों में रहने वाले लोग भी सड़क पर ही अपने वाहन पार्क रखते हैं। रविवार सुबह आग लगने की सूचना पर फायर ब्रिगेड घटनास्थल के लिये निकली, लेकिन सड़क पर फंस गयी। वाहनों को हटवाने के बाद किसी तरह दमकल वाहन मौके पर पहुंचा।
होटल-घर खाली करवायेः होटल में लगी आग के आसपास फैलने का अंदेशा था। इसे देखते हुये पुलिस ने तत्काल आसपास के दूसरे होटलों और आवासीय भवनों में रह रहे लोगों को बाहर कर भवन खाली करवा लिये। हालांकि, आग से अन्य भवनों को किसी तरह के नुकसान की अभी तक कोई सूचना नहीं है।
भारत का सबसे बड़ा स्केटिंग फ्लोर राखः होटल रिंक में भारत का सबसे बड़ा वुडन स्केटिंग फ्लोर था। यह स्केटिंग फ्लोर होटल आने वाले देसी-विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र हुआ करता था। बताया जा रहा है कि आग से फ्लोर को भी बहुत नुकसान हुआ है। इस स्केटिंग रिंक में करीब तीन हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था है, जबकि एक ओर मंच भी बना हुआ था।
होटल में थे कुल 22 कमरेः द रिंक होटल में कुल 22 कमरे थे। इनमें 12 स्टैंडर्ड रूम और चार डीलक्स रूम थे। इनके अलावा यहां छह सुपर डीलक्स रूम भी थे। लगभग सभी कमरों में लकड़ी का ही सबसे अधिक काम किया गया था। कमरों के फर्श और छत भी लकड़ी से ही बने हुये थे। आग से लगभग सभी कमरे बुरी तरह जल गये हैं।
क्वीन मैरी का किया था स्वागतः द रिंक होटल की स्थापना ब्रिटिशकाल में वर्ष 1889 में हुयी थी। तब इसे ब्रिटिश अधिकारियों के मनोरंजन के लिये थियेटर, बॉलरूम और स्केटिंग रिंक के तौर पर बनाया गया था। अंग्रेज अधिकारी यहां फुर्सत के पल बिताने आया करते थे। 1910 में इस होटल का महत्व तब और बढ़ गया था, जब भारत दौरे पर आयी क्वीन मैरी मसूरी पहुंचकर इस होटल में ठहरी थीं।