श्रावण मास पर इस बार सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2023) का दुर्लभ संयोग बन रहा है। 17 जुलाई 2023 को सावन के सोमवार के व्रत के साथ अमावस्या भी पड़ रही है। इससे यह दिन श्रद्धालुओं के लिये पितरों और दैवीय कृपा दोनों पाने का अद्भुत माध्यम बनने जा रहा है।

17 जुलाई सोमवार को भक्त एक ओर जहां सावन के सोमवार का व्रत रखकर देवाधिदेव महादेव की आराधना करेंगे, वहीं इस दिन अमावस्या भी पड़ने से यह दिन पितरों का भी आशीर्वाद दिलायेगा। भारतीय मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार वह अमावस्या जो सोमवार के दिन पड़ रही हो, उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। भगवान शिव की विशेष कृपा वाले इस दिन पर जो भी व्यक्ति अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण करता है मान्यता है कि उसे पितरों के आशीष से सफलता और हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है।

शुभ मुहूर्तः सोमवती अमावस्या तिथि 16 जुलाई 2023 की रात 10 बजकर आठ मिनट से प्रारंभ हो जायेगी। अमावस्या तिथि 18 जुलाई 2023 की दोपहर 12 बजकर एक मिनट तक रहने वाली है, लेकिन इस अवधि में सोमवती अमावस्या का व्रत 17 जुलाई 2023 को ही रखा जायेगा। 17 जुलाई को ही पितरों के निमित्त तर्पण आदि किये जा सकेंगे।

यह करना चाहियेः प्रातःकाल स्नान के उपरांत साफ कपड़े पहनें और पितरों को याद कर उनके निमित्त श्राद्धकर्म, तर्पण करें। सोमवती अमावस्या पर स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में संभव हो तो प्रयास करें कि गंगा अथवा अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सूर्यदेव को अघ्र्य देने के बाद विधिपूर्वक पितरों को तर्पण दें। तर्पण के साथ इस दिन पितरों के निमित्त दान, गोग्रास देने का भी विधान है, जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

उपवास से मोक्षः सोमवती अमावस्या पर पितरों के मोक्ष की कामना के साथ व्रत-उपवास का विशेष महत्व बताया गया है और इस बार तो श्रावण सोमवार भी इस दिन पड़ रहा है। ऐसे में उपवास रखना विशेष फलदायी होगा। उपवास के साथ किसी निर्धन को यथाशक्ति दान अवश्य दें।

पीपल और पौधरोपणः सोमवती अमावस्या पर पीपल वृक्ष को जल चढ़ाना शुभ फलदायी होता है। पीपल वृक्ष को जल देने के बाद सात फेरे लें। इसके अलावा इस दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू, तुलसी के पौधे लगाने की भी परंपरा रही है। इन पौधों में देवताओं का वास माना जाता है, ऐसे में इनका रोपण करना देवताओं की कृपा प्राप्त करने का माध्यम बनता है।

महादेव की कृपाः श्रावण सोमवार और सोमवती अमावस्या के इस अद्भुत संयोग पर देवाधिदेव महादेव की कृपा जातकों को पितृदोष से मुक्त करवाती है। मान्यता और परंपराओं के अनुसार भगवान शिव का सभी ग्रहों पर आधिपत्य है। ऐसे में इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विधिपूर्वक पूजन-अभिषेक करना चाहिये। शिवलिंग का दूध-दही से अभिषेक करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

उपरोक्त पूजन विधियों के अतिरिक्त सोमवती अमावस्या पर चींटियों को चीनी या सूखा आटा देने अथवा नदी-तालाब में मछलियों को आटे की गोलियां देने से भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त हनुमानजी की भी विशेष पूजा और हनुमान चालीसा के पाठ का भी इस दिन विशेष महत्व है।

(नोट: यहां बतायी गयी सभी जानकारियां मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित हैं। सोमवती अमावस्या पर पूजन विधि की पूर्ण जानकारी एवं विधियों के ठीक से पालन के लिये विशेषज्ञ धर्माधिकारियों अथवा सुयोग्य पंडितजी से अवश्य संपर्क करें।)

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