Uttarakhand Disaster: मानसूनी बारिश यमकेश्वर ब्लॉक की ताल घाटी के ग्रामीणों को गहरे जख्म दे गयी है। क्षेत्र को देश-दुनिया से जोड़ने वाली सड़कें कहीं मलबों के ढेर में दबी हैं तो कहीं बह गयी हैं। कोई बीमार हो तो उसे अस्पताल पहुंचाने के लिये नदियों के तेज बहाव में उतरना और मीलों चलना मजबूरी बन गया है।

बरसात ने इस बार यमकेश्वर के गांवों पर कहर बरपाया है। बीते दिनों बैरागढ़ गांव में कई घर मलबे में दब गये थे। क्षेत्र में कई जगह सड़कें करीब एक माह से बंद हैं। सड़कें कहीं वॉशआउट हुयी हैं तो कहीं मलबे के ढेर में दब गयी हैं। इससे ग्रामीणों को आवाजाही में दिक्कतें आ रही हैं।

रविवार को ऐसी ही घटना सामने आयी। यहां बुकण्डी गांव के बेलवाला तोक निवासी दर्शनी देवी की तबीयत बिगड़ गयी। ग्रामीण उन्हें कुर्सी पर बिठाकर कंधों पर लेकर निकले। इस दौरण ग्रामीणों को ताल नदी के तेज बहाव में जान जोखिम में डालकर उतरना पड़ा।

ग्रामीणों ने करीब 10 किलोमीटर पैदल चलकर दर्शनी देवी को गंगाभोगपुर पहुंचाया। वहां से उन्हें गाड़ी से अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान उन्हें रास्ते मे कई बार ताल नदी में उतरना पड़ा।

इन गांवों में दिक्कत: सबसे ज्यादा परेशानी ताल घाटी, विन्ध्यवासिनी, नौगांव बुकण्डी, ढोसन, त्योडो क्षेत्र के लोगों को उठानी पड़ रही है। देवराना, शीला, गुंडी, आवाई, चमकोटखाल, निशनी, काण्डई, पीपलडंग आदि गांव देश-दुनिया से पूरी तरह कट चुके हैं।

यमकेश्वर क्षेत्र की सड़कों का हाल।

कब खुलेगी सड़क: डांडामंडल-गुंडी रोड पहले से बंद थी, दो दिन से कौड़िया-किमसार मार्ग भी बंद होने से यहां न कोई जा पा रहा है, न ही आ पा रहा है। बताया जा रहा है कि कौड़िया-किमसार मार्ग से मलबा तो हटा लिया गया है, लेकिन यहां फिसलन के कारण अभी वाहन नहीं चल रहे हैं।

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