उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों की विरासत के संरक्षण-संवर्द्धन के लक्ष्य के साथ नैनीताल में स्थापित हिमालयन इकोलाॅजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट फाॅर ट्रेनिंग एंड ग्रासरूट इन्हेन्समेंट (हेरिटेज) ने पहाड़ के पारंपरिक नमक के स्वाद (Traditional Pahadi Salt) को नयी पहचान देने की ओर कदम बढ़ाया है।
उत्तराखंड के गढ़वाल-कुमाऊं मंडलों के पारंपरिक (Uttarakhand Tradition) खान-पान की चर्चा सिलबट्टे पर पिसे पारंपरिक नमक (जिसे गढ़वाल में लूण तो कुमाऊं में नून कहा जाता है) के स्वाद के बिना अधूरी लगती है। ’हेरिटेज’ ने पहाड़ के नून को एक खास पहचान देने की तैयारी पूरी कर ली है।
हेरिटेज की डाॅ. सरोज पालीवाल ने बताया कि संस्थान ने नैनीताल और अल्मोड़ा जिले के कुछ गांवों की महिलाओं के साथ पहाड़ी नमक (नून) का उत्पादन प्रारंभ किया है। संस्थान का लक्ष्य इस प्रयास के जरिये न सिर्फ नून के अनूठे स्वाद को देश-दुनिया से रूबरू कराने का है, बल्कि इसके माध्यम से पहाड़ की इन महिलाओं की आर्थिकी संवारने की भी पहल की जा रही है।
संस्थान की रूपा पालीवाल ने बताया कि इन महिलाओं को गांवों में ही उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों से पारंपरिक रूप से नून तैयार करना है, जिसकी पैकेजिंग और बिक्री हेरिटेज के जरिये की जायेगी। नून धनिया, भंगीरा, लहसुन आदि कई तरह के स्वादों में उपलब्ध होगा। उन्होंने बताया कि जल्द ही हेरिटेज एक वेबसाइट लांच करने जा रहा है, जहां से ग्राहक अपनी पसंद का नून आॅनलाइन आॅर्डर कर सकेंगे। बताया कि हेरिटेज आगे चलकर कई और पारंपरिक व्यंजनों (अचार, चटनियां, दालें, मडुवा आदि) को अपनी वेबसाइट के जरिये ग्राहकों तक पहुंचायेगा।
संस्थान के डाॅ. दीपक पालीवाल ने बताया कि नून का हर एक पैकेट हेरिटेज को इन महिलाओं के परिश्रम को खास पहचान दिलाने और उन्हें आर्थिक तौर पर मजबूत व स्वावलंबी बनाने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को और तेज करने की प्रेरणा देगा।