AIIMS Rishikesh: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में एक युवक डॉक्टर की वर्दी पहनकर घूमता पकड़ा गया। आरोपी के पास से हजारों की नकदी और फोन पर लाखों के लेनदेन की जानकारी मिली है। मामले में एम्स प्रशासन की ओर से पुलिस को तहरीर सौंप दी गयी है। पुलिस से आरोपी की जांच और कार्रवाई की मांग की गयी है।
जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह एम्स के डॉक्टरों की वर्दी पहनकर गले में स्टेथोस्कोप टांगे एक युवक अस्पताल परिसर में इधर-उधर घूमता हुआ नजर आया। युवक पर संदेह होने पर अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों ने उससे जानकारी ली तो उसने खुद को अस्पताल में ही तैनात बताया। सुरक्षाकर्मी उसके दावे के बावजूद उसे पहचान नहीं पाये तो उन्होंने उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी।
जानकारी पर एम्स के अधिकारी मौके पर पहुंचे और युवक से पूछताछ की तो वह खुद को अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में तैनात बताने लगा। जांच में उसके अस्पताल में तैनात नहीं होने की पुष्टि होने पर एम्स के प्रशासनिक अधिकारी संदीप कुमार ने एम्स चौकी पुलिस को सूचना देकर बुला लिया। मामले में प्रशासनिक अधिकारी की ओर से पुलिस को तहरीर सौंप दी गयी है।
बताया जा रहा है कि आरोपी के पास से दस हजार रुपये नकद बरामद किये गये हैं। उसके फोन की जांच की गयी तो उसमें लाखों के लेनदेन की जानकारी मिली है। पुलिस अब जांच कर रही है कि यह युवक अस्पताल में डॉक्टर का भेष बनाकर क्यों घूम रहा था और किन लोगों से उसका हर रोज का लेनदेन चल रहा है।
एम्स प्रशासन की ओर से आरोपी को पुलिस को सौंप दिया गया। पुलिस की ओर से मामले में मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही आरोपी से पूछताछ कर एम्स ऋषिकेश में इस तरह के और भी लोगों के होने की जानकारी जुटायी जा रही है। मामले की जांच शुरू कर दी गयी है।
ऋषिकेश का ही रहने वाला है आरोपीः पुलिस की ओर से की जा रही जांच में अब तक पता चला है कि आरोपी का नाम सचिन कुमार है और वह ऋषिकेश की ही कृष्णा नगर कॉलोनी का रहने वाला है। पुलिस उसके परिवार और अन्य लोगों से भी उसके बारे में जानकारी जुटा रही है। उसके फोन से भी उसके बारे में पता लगाया जा रहा है।
डीआरडीओ अस्पताल में तैनात बताने लगाः प्रारंभिक जांच में जब साफ हो गया कि आरोपी सचिन कुमार अस्पताल में कार्यरत नहीं है तो फिर उसने बात बदलनी शुरू कर दी। इसके बाद वह कहने लगा कि वह 2019 में कोविडकाल में डीआरडीओ की ओर से बनाये गये अस्पताल में बतौर अटेंडेंट काम कर रहा था। बाद में वह यहां से चला गया था।
मरीजों के पंजीकरण की जानकारी मिलीः जांच के दौरान आरोपी का फोन खंगाला गया तो उसके पास से एम्स ऋषिकेश में इलाज करवा रहे 50 से अधिक मरीजों की पंजीकरण जानकारी मिली। मालूम हुआ है कि इन मरीजों का पंजीकरण आरोपी ने ही अपने फोन से करवाया था। आरोपी इन मरीजों तक कैसे पहुंचा, कैसे मिला और मरीजों को उसने क्या कहा, इसकी भी अब जानकारी जुटायी जा रही है।
हो सकता है बड़े फर्जीवाड़े का खुलासाः अस्पताल में फर्जी डॉक्टर बनकर घूम रहे युवक के पकड़े जाने के बाद बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा होने की उम्मीद है। बताया जाता है कि कई बाहरी लोग अस्पताल परिसर में घूम-घूमकर परेशान मरीजों और उनके तीमारदारों से संपर्क साधते हैं। ये लोग मरीजों और तीमारदारों को भरोसा दिलाते हैं कि वे अस्पताल में ही काम करते हैं और उनके इलाज में मदद कर सकते हैं। आशंका है कि आरोपी सचिन कुमार भी इसी तरह लोगों को झांसा देकर उनसे रकम ऐंठता होगा। हालांकि, पुलिस की जांच के बाद ही इसकी पुष्टि होगी।
वर्दी पर लिखवाया था अपना नामः आरोपी सचिन कुमार ने अस्पताल में घूमने के दौरान किसी को शक नहीं हो, इसके लिये न सिर्फ एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों की तरह ही वर्दी बनवायी, बल्कि वर्दी पर अपना नाम भी लिखवाया था। वर्दी पर उसका नाम डॉ सचिन कुमार लिखा हुआ है। पुलिस यह जांच करेगी कि उसने यह वर्दी कहां से हासिल की या कहां से सिलवायी। उसे वर्दी देने वाले की भी तलाश कर कार्रवाई की जायेगी।
कितने दिन से चल रहा था खेलः अभी यह साफ नहीं हो सका है कि आरोपी सचिन कुमार इस तरह डॉक्टर बनकर कितने दिन से अस्पताल परिसर में घूम रहा था। लेकिन उसके पास से 50 मरीजों की जानकारी मिलने के बाद आशंका है कि कई दिन से यह खेल चल रहा होगा। पुलिस उससे पूछताछ करने के दौरान इस संबंध में भी जानकारी जुटायेगी।
एम्स की सुरक्षा में सेंधः एम्स ऋषिकेश में फर्जी डॉक्टर बनकर घूम रहे युवक के पकड़े जाने के बाद यह आशंका बढ़ गयी है कि आरोपी सचिन की तरह और भी लोग यहां इसी तरह घूम रहे हो सकते हैं। फर्जी तरीके से बाहरी लोगों के एम्स परिसर में इस तरह मौजूद होने को अस्पताल की सुरक्षा के लिये बड़ा खतरा माना जा रहा है।
एम्स प्रशासन भी करेगा मामले की जांचः एम्स प्रशासन की ओर से भी मामले की अपने स्तर से जांच करायी जायेगी। बताया जा रहा है कि एम्स प्रशासन आरोपी के पास से मिली जानकारियों के आधार पर संबंधित मरीजों से जानकारी ले रहा है। इसके अलावा एम्स में बाहरी लोगों के इस तरह घूमने पर रोक लगाने और उनकी पहचान करने के लिये भी जल्द कड़े कदम उठाये जा सकते हैं।