Chitrakoot waterfall: अमेरिका का नियाग्रा वाटरफाॅल (Niagra Waterfall) दुनियाभर के सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है, लेकिन यहां भारत में भी चित्रकूट वाटरफाॅल (Chitrakoot Waterfall) एक ऐसा झरना है जो सुंदरता और नजारों के मामले में नियाग्रा से किसी सूरत में कम नहीं। यही वजह है कि इस वाटरफाॅल को भारत का नियाग्रा के नाम से जाना जाता है।
छत्तीसगढ़ के बस्तर में इन्द्रावती नदी पर स्थित चित्रकूट वाटरफाॅल भारत ही नहीं, एशिया का सबसे बड़ा झरना माना जाता है। करीब 95 फीट ऊंचा और लगभग साढ़े तीन सौ मीटर चैड़ाई में फैला यह झरना इसलिये भी खास है कि यह बस्तर जिले के जगदलपुर कस्बे से करीब 38 किलोमीटर दूर स्थित यह झरना खूबसूरत कुदरती नजारों के चलते देखने वालों को बस देखते ही रह जाने के लिये मजबूर कर देता है।
अर्द्धचन्द्राकार झरना जहां गर्मी और सर्दी के मौसम में चांदी जैसी चमक बिखेरता है, वहीं बरसात के मौसम में उफनता, कुलांचे भरता इसका लाल मटमैला पानी सैलानियों को लुभाता है।
प्राकृतिक नजारों के साथ इस झरने का आध्यात्मिक महत्व भी है। झरने के पास ही एक प्राचीन शिवमन्दिर है, वहीं झरने के ठीक नीचे कई शिवलिंग हैं, जिन पर झरने से बहते पानी की बूंदें जब गिरती हैं तो वह दृश्य अद्भुत नजर आता है।
इस झरने को देखने के लिये सालभर सैलानी पहुंचते हैं, लेकिन मानसून के दौरान इन्द्रावती नदी जब लबालब होती है, तब झरने का स्वरूप भी रौद्र हो जाता है, जिसे देखना अलग ही रोमांच का अनुभव देता है।
हालांकि, यहां पहुंचने का सबसे अच्छा समय अक्तूबर-नवंबर से फरवरी तक माना जाता है। चित्रकूट वाटरफाॅल तक पहुंचने के लिये रायपुर नजदीकी हवाई अड्डा है, जबकि नजदीकी रेलवे स्टेशन जगदलपुर है।
जगदलपुर से चित्रकूट वाटरफाॅल तक बस के जरिये पहुंचा जा सकता है। सबसे खास बात यह है कि यहां बोटिंग की भी सुविधा उपलब्ध है, जिसके चलते सैलानी नावों पर सवार होकर झरने को नजदीक से निहारने के साथ 95 फीट की ऊंचाई से गिरती बूंदों का लुत्फ उठा सकते हैं।