IGNFA Convocation: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (IGNFA) में भारतीय वन सेवा (Indian Forest Services) के 101 नव परिवीक्षार्थियों का दीक्षांत समारोह आयोजित हुआ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रशिक्षण अवधि में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 22 प्रशिक्षु अधिकारियों को प्रमाणपत्र एवं पुरस्कार प्रदान किये।

बुधवार को देहरादून स्थित वन अकादमी के 2022-24 बैच का दीक्षांत समारोह वन अनुसंधान संस्थान (Forest Research Institute: FRI) के दीक्षांत सभागार में हुआ। मुख्य अतिथि के तौर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उत्तराखंड के राज्यपाल ले. जन. गुरमीत सिंह (रि.) दीक्षांत समारोह में मौजूद रहे।

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परिवीक्षार्थियों को सम्बोधित करते हुये, राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि जब आप अपने कार्यक्षेत्र में जाएँ तो वहाँ के जनजातीय लोगों के बीच समय बिताएं। उनका स्नेह एवं विश्वास अर्जित करें। वहाँ के समाज से सीखें और उनका प्रचार-प्रसार भी करें। अपील की कि नव अधिकारी जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभाकर आदर्श बनें, जो  उस क्षेत्र के बच्चों को भी वन सेवा में आने के लिए प्रेरित करे।

वन सेवा में विज्ञान एवं तकनीक के महत्व पर राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व के कई भागों में वन संसाधनों की क्षति बहुत तेजी से हुई है। यह एक तरह से मानवता का विनाश करना है। विज्ञान और तकनीकों की मदद से हम तेज गति से क्षतिपूर्ति कर सकते हैं। ऐसे विभिन्न विकल्पों का आकलन करके भारत की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप समाधान विकसित करने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस दिशा में नव अधिकारियों का योगदान महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि पृथ्वी की जैव-विविधता एवं प्राकृतिक सुंदरता का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है जिसे हमें अति शीघ्र करना है। वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन के जरिए मानव जीवन को संकट से बचाया जा सकता है। इसमें Indian Forest Service के अधिकारियों का महत्वपूर्ण दायित्व है।

जनजातीय समाज के सदियों से संचित ज्ञान का पर्यावरण संरक्षण में उपयोग करना आवश्यक

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सदियों से जनजातीय समाज द्वारा पारम्परिक ज्ञान संचित किया गया है। इसके महत्व को समझकर, पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए उसका उपयोग किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि जनजातियों के सामूहिक ज्ञान से हमें पारिस्थितिकी के संरक्षण, सामाजिक न्याय के मार्ग पर बढ़ने में मदद मिल सकती है।

हम संसाधनों के मालिक नहीं, जंगलों के महत्व को भुलाने की गलती कर रहा है मानव समाज

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि जंगलों के महत्व को जान-बूझ कर भुलाने की गलती मानव समाज कर रहा है। हम यह भूलते जा रहे हैं कि वन हमारे लिए जीवन दाता हैं। यथार्थ यह है कि जंगलों ने ही धरती पर जीवन को बचा रखा है। हम संसाधनों के मालिक नहीं। हमारी प्राथमिकता मानव केन्द्रित नहीं, प्रकृति केंद्रित होनी चाहिये।

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उत्तराखण्ड को मिले तीन वन अधिकारी, 101 में दो प्रशिक्षु अधिकारी मित्र देश भूटान से

IGNFA दीक्षांत समारोह में कुल 101 वन अधिकारी पासआउट हुये हैं। इनमें से 99 भारतीय हैं, जबकि दो प्रशिक्षु मित्र देश भूटान से हैं। 99 IFS में से सर्वाधिक 15 अधिकारी मध्य प्रदेश को मिले हैं, जबकि तीन अधिकारी उत्तराखण्ड में जल्द तैनाती लेंगे।

1938 में हुई थी राष्ट्रीय वन अकादमी की स्थापना

राष्ट्रीय वन अकादमी भारत और मित्र देशों को उच्च प्रशिक्षित वन अधिकारी देने की जिम्मेदारी 86 साल से निभा रही है। 1938 में उच्च वन अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिये इंडियन फॉरेस्ट कॉलेज (Indian Forest College) के नाम से इसकी स्थापना की गयी थी।

1987 में इस संस्थान का नाम इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी किया गया। वन अनुसंधान संस्थान (FRI) परिसर में स्थित इस अकादमी ने अब तक सैकड़ों वन अधिकारी देश को दिये हैं। यही नहीं, अकादमी से 14 मित्र राष्ट्रों के 365 वन अधिकारी भी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।

एक दिन पहले एम्स ऋषिकेश के दीक्षांत समारोह में भी शामिल हुयीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

एक दिन पहले, ऋषिकेश एम्स में भी चौथा दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। वहां भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शामिल हुयीं और डॉक्टरों से कहा कि आप सभी विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा सिद्ध कर दी है। अब आप सब को चिकित्सक के रूप में अपनी निष्ठा सिद्ध करनी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि वह चाहती हैं कि आपके मरीज, आपको आपकी विशेषज्ञता के साथ-साथ आपके special healing-touch के लिए याद करें। मरीजों का और उनके परिजनों का स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त करना, आपकी सबसे बड़ी कमाई होगी।

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