MLA Dileep Rawat: उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाओं के लगातार बढ़ने के बाद, दस वनकर्मियों को निलंबित किया गया है। वहीं, सात अन्य पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर यह कार्रवाई कर्मचारियों के लापरवाही बरतने पर की गयी है। लेकिन, कार्रवाई को लेकर भाजपा विधायक महंत दिलीप रावत ने सवालिया निशान खड़े किये हैं। विधायक ने सीएम से अनुरोध किया है कि इस कार्रवाई पर पुनर्विचार किया जाये।
उत्तराखंड के जंगलों में इस फायर सीजन में एक हजार से ज्यादा घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। वनाग्नि की इन घटनाओं में 1300 हेक्टेअर से अधिक वनसंपदा राख हो चुकी है। जंगलों की आग पर काबू पाने के लिये राज्य सरकार को सेना, वायुसेना तक की मदद लेनी पड़ी है। नैनीताल के बाद, पौड़ी में वायुसेना के हेलीकॉप्टर आग बुझाने में लगे हैं।
इस बीच, बुधवार को देहरादून सचिवालय में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वनाग्नि पर समीक्षा बैठक की थी। उन्होंने अधिकारियों को जंगलों की आग पर काबू पाने के लिये सख्त निर्देश दिये। इस दौरान लापरवाही के आरोपों में घिरे कर्मचारियों पर कार्रवाई भी की गयी। दस वनकर्मियों को निलंबित किया गया, जबकि पांच को अटैच कर दिया गया। दो को कारण बताओ नोटिस भी जारी किये गये हैं।
इधर, गुरुवार को भाजपा के लैंसडौन विधायक महंत दिलीप रावत ने मुख्यमंत्री धामी को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने वन विभाग के निचले कर्मचारियों के बजाय, अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग उठायी है। उन्होंने मुख्यमंत्री से यह भी अनुरोध किया है कि निचले स्तर के कर्मचारियों के निलंबन से पहले उनकी परेशानियों को भी समझा जाये।
निलंबित कर्मियों में चार दरोगा, चार आरक्षी
निलंबित किये गये दस कर्मियों में चार वन दरोगा, चार वन आरक्षी शामिल हैं। इनके अलावा एक कनिष्ठ सहायक और एक वाहन चालक को भी निलंबित किया गया है। यानी, कार्रवाई में निचले स्तर के ही कार्मिक शामिल हैं। इनमें दो वन आरक्षी लैंसडौन वन प्रभाग के हैं। लैंसडौन वन प्रभाग के एक वन क्षेत्राधिकारी को कारण बताओ नोटिस भी जारी हुआ है।
कर्मचारियों को नहीं मिल रहा नियमित वेतन
विधायक रावत ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों और फायर वाचरों का दर्द भी सीएम पुष्कर सिंह धामी को लिखे अपने पत्र में बयां किया है। विधायक ने कहा, संज्ञान में यह भी आया है कि जंगलों में नियुक्त दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों और फायर वाचरों को नियमित वेतन नहीं मिल पाता है। व्यवस्थाओं के चरमरा जाने का एक बड़ा कारण यह भी है।
दफ्तरों में बैठकर इतिश्री कर रहे हैं अफसर
विधायक रावत ने वनाग्नि की घटनाओं को लेकर वन विभाग के अफसरों की कार्यशैली पर नाराजगी भी जाहिर की है। उन्होंने लिखा है, यह भी संज्ञान में आया है कि संबंधित वनाधिकारी, प्रभागीय वनाधिकारी, क्षेत्रीय वनाधिकारी केवल चौकियों तक ही निरीक्षण कर अपनी जिम्मेदारियों की इतिश्री कर ले रहे हैं।
उन्होंने लिखा है, वन विभाग में कई बड़े अधिकारी उच्च स्तर पर तैनात हैं। लेकिन, ये अधिकारी अपने कार्यालयों में बैठकर ही विभाग की सेवा करते हैं। विधायक ने लिखा है कि अच्छा होता कि अग्नि घटनाओं पर उच्च स्तरीय अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती। इससे अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का बोध होता।
ब्रिटिशकालीन फायर लाइनों को पुनर्जीवित किया जाये
विधायक रावत ने सीएम को लिखे पत्र में बताया है कि ब्रिटिशकाल में जंगलों को आग से बचाने के लिये, फायर लाइन बनायी जाती थी। आग लगने पर ये फायर लाइनें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। वर्तमान में जंगलों में इस तरह की फायर लाइनें कहीं भी नजर नहीं आती हैं। विधायक ने मांग उठायी है कि फायर लाइनों को पुनर्जीवित करने पर कार्य किया जाना चाहिये।
वनों को बचाने के लिये जनसहभागिता जरूरी
विधायक ने पत्र में आम जनता के बीच वन अधिनियमों को लेकर बढ़े डर का भी जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि कड़े कानूनों के कारण स्थानीय जनता जंगलों से दूर होती जा रही है। उनके मन में यह भाव बढ़ता जा रहा है, कि जंगल उनके नहीं हैं और वनों के कारण उन्हें जनसुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। इसके चलते आग लगने की घटनाओं के दौरान जनसहयोग में कमी देखी जा रही है। इस पर विचार किया जाना जरूरी है।
‘मैंने की थी विशेष सत्र आहूत करने की मांग’
पत्र में विधायक महंत दिलीप रावत ने यह भी जिक्र किया है, कि इन्हीं सब समस्याओं को लेकर, उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी से एक विशेष सत्र आहूत करने की मांग भी उठायी थी। अगर यह सत्र आहूत किया जाता, तो इन समस्याओं पर विचार-मंथन हो सकता।
विधायक ने उठाये हैं ये सवाल
- निचले कर्मचारियों के निलंबन से पहले, यह ध्यान देना जरूरी है कि क्या अग्नि सुरक्षा हेतु पर्याप्त कर्मचारी नियुक्त हैं?
- क्या निचले स्तर पर कार्यरत कर्मचारियों को आग बुझाने के कार्य के लिये पूरे संसाधन उपलब्ध हैं?
- क्या फायर सीजन के दौरान रखे जाने वाले फायर वाचरों की संख्या पर्याप्त है?
- क्या वनों में आग बुझाने जाने वाले निचले स्तर के कर्मचारियों को पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम दिये जा रहे हैं?
- क्या निचले स्तर के कर्मचारियों के लिये आग बुझाने वाले स्थानों पर भोजन आदि की उचित व्यवस्था रहती है?