Tehri News: टिहरी गढ़वाल में तैनात उत्तराखंड पुलिस के एक जवान और होमगार्ड की तत्परता ने एक सैलानी की जिंदगी लौटा दी। चलती गाड़ी में अचानक हार्ट अटैक पड़ने से यह व्यक्ति बेहोश हो गया था। जानकारी मिलते ही जवान ने उसे सीपीआर दिया, जिसके बाद कुछ ही मिनटों में व्यक्ति की सांसें और धड़कनें चलने लगीं। बाद में उसे उपचार के लिये अस्पताल भेज दिया गया।

जानकारी के अनुसार टिहरी जिले की मुनि की रेती थाना क्षेत्र स्थित भद्रकाली पुलिस चौकी पर कांस्टेबल संजय कुमार और होमगार्ड सुरेश कुमार बैरियर ड्यूटी पर तैनात थे। देर रात चंबा की ओर से दिल्ली की एक कार संख्या DL1C-AF-9103 चौकी पर पहुंची। चालक ने कार बैरियर पर रोकी और उतरकर पुलिसकर्मियों से मदद की गुहार लगायी।

चालक ने बताया कि कार अगली सीट पर उसके साथ सवार राजेश गुप्ता (45) पुत्र जयभगवान गुप्ता निवासी मॉडल टाउन, नॉर्थ वेस्ट दिल्ली बेहोश हो गये हैं। चालक ने आशंका जतायी कि उन्हें हार्ट अटैक पड़ा है। संजय और सुरेश तुरंत कार के पास पहुंचे और राजेश को चेक किया। वह अचेत हो गये थे और उनका शरीर ठंडा पड़ चुका था। उनकी धड़कनें भी थम गयी थीं।

इस पर कांस्टेबल और होमगार्ड राजेश की धड़कनें लौटाने के अभियान में जुट गये। राजेश को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (Cardio Pulmonary Resuscitation: CPR) दिया गया। कुछ ही सेकंड बाद राजेश के शरीर में हरकत हुयी और उनकी धड़कनें लौट आयीं। इसके बाद तुरंत उन्हें नजदीकी अस्पताल भेजा गया। अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद राजेश को उनके साथी दिल्ली लेकर चले गये।

राजेश के साथियों ने जवान संजय कुमार और होमगार्ड सुरेश कुमार का आभार जताया। वहीं, जिला पुलिस अधिकारियों और डीजीपी अशोक कुमार ने भी दोनों की सूझबूझ की सराहना की है। दूसरी ओर, डीजीपी के सोशल मीडिया पोस्ट पर घटना की जानकारी दिये जाने के बाद यूजर्स संजय और सुशील की तारीफ करने के साथ उन्हें सम्मानित करने की बात लिख रहे हैं।

क्या होता है सीपीआरः सीपीआर आपात स्थिति में उपयोग की जाने वाली प्राथमिक उपचार की एक प्रक्रिया है। इसकी मदद से कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक प्रभावित व्यक्ति की सांसों और धड़कनों को लौटाया जा सकता है। सीपीआर के जरिये पीड़ित व्यक्ति के शरीर में श्वसन और ब्लड सर्कुलेशन को सही किया जाता है।

इससे सांस नहीं ले पाने के कारण बेहोश हो चुके पीड़ित के फेफड़ो को ऑक्सीजन मिलने लगती है। ऑक्सीजन मिलते ही दिल फिर काम शुरू करता है, जिससे धड़कन सामान्य होने के साथ ही पूरे शरीर में ऑक्सीजन और रक्त का प्रवाह सामान्य हो जाता है।

अटैक के बाद एक घंटा अहमः किसी भी व्यक्ति को हार्ट अटैक पड़ने पर अगला एक घंटा गोल्डन ऑवर माना जाता है। इस समयावधि में तुरंत इलाज मिलने पर उसकी जान बचायी जा सकती है। सीपीआर इस गोल्डन ऑवर में ही दे दिये जाने पर मरीज को अस्पताल पहुंचने तक सामान्य स्थिति में लाया जा सकता है। इससे मरीज की बेहोशी दूर होती है और उसके शरीर में रक्तप्रवाह बना रहता है।

मस्तिष्क तक ऑक्सीजन पहुंचना जरूरीः किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में अगर तीन से चार मिनट तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचे तो उसके दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती हैं। हार्ट अटैक पड़ने पर दिल की पंपिंग बंद होने से रक्तप्रवाह थम जाता है। ऐसे में तत्काल सीपीआर देकर पंपिंग दोबारा शुरू करना और दिमाग तक ऑक्सीजनयुक्त रक्त पहुंचाना बहुत जरूरी हो जाता है।

कोई भी दे सकता है सीपीआरः यूं तो सीपीआर और इसकी तकनीक देखकर यही लगता है कि इसके लिये प्रशिक्षित चिकित्साकर्मी होना जरूरी है, लेकिन असल में कोई भी व्यक्ति किसी पीड़ित व्यक्ति को सीपीआर दे सकता है। इसके ट्यूटोरियल वीडियो देखे जा सकते हैं और उसके अनुसार हार्ट अटैक से पीड़ित रोगी को कभी भी, कहीं भी सीपीआर दी जा सकती है। इसके लिये किसी औपचारिक प्रशिक्षण या प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं होती है।

कैसे देनी चाहिये सीपीआरः सीपीआर देते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सीपीआर देने वाले को पीड़ित व्यक्ति के सीने के बीचोंबीच हथेली रखकर सीन को दबाना होता है। किसी को हार्ट अटैक पड़ने के बाद जितना जल्दी सीपीआर शुरू किया जायेगा, उतनी ही जल्दी उसकी धड़कनें लौटने की संभावना रहती है। सीने पर दबाव के अलावा पीड़ित को मुंह से सांस भी दी जाती है, जिसे माउथ टू माउथ रेस्पिेरशन कहा जाता है। इससे पीड़ित के फेफड़ों तक ऑक्सीजन जल्दी पहुंचती है।

30ः2 का ध्यान रखेंः सीपीआर देते समय 30ः2 का ध्यान रखा जाना चाहिये। इसका मतलब यह है कि सीपीआर के दौरान हर 30 बार छाती पर दबाव बनाने के साथ दो बार मुंह से कृत्रिम सांस दिया जाना चाहिये। इस अनुपात के हिसाब से सीपीआर देने पर मरीज को बेहतर प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराया जा सकता है।

नोटः सीपीआर के बारे में यहां दी गयी जानकारी सामान्यतः उपलब्ध और सर्वसुलभ स्रोतों के आधार पर है। सीपीआर के बारे में और अधिक जानने-सीखने के लिये विशेषज्ञ सलाह जरूर लें।

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