Trekking Group Stranded: उत्तरकाशी में उच्च हिमालयी क्षेत्र स्थित सहस्त्रताल के लिये, ट्रेकिंग पर निकला एक दल, खराब मौसम के बाद फंस गया है। रास्ता भटके 22 सदस्यीय दल के, चार सदस्यों की मौत की सूचना है। इसके बाद, जिला प्रशासन की ओर से फंसे दल को निकालने के लिये, तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं। जिला पुलिस, एसडीआरएफ और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के साथ मिलकर, साझा टीम रवाना की जा रही है। हेली रेस्क्यू के लिये वायुसेना से भी मदद मांगी जा रही है।

जिलाधिकारी उत्तरकाशी मेहरबान सिंह बिष्ट की ओर से, मंगलवार देर रात करीब 11ः30 बजे जारी की गयी जानकारी के अनुसार, उत्तरकाशी के मनेरी स्थित एक ट्रेकिंग एजेंसी के जरिये, 22 सदस्यीय दल सहस्त्रताल ट्रेक के लिये निकला था। 29 मई को भटवाड़ी से रवाना हुये दल को, सात जून को वापस पहुंचना था। चार जून को, दल के सभी सदस्य अंतिम बेस कैंप से सहस्त्रताल पहुंच गये थे।

डीएम के अनुसार, ट्रेकिंग एजेंसी एसोसिएशन अध्यक्ष और गाइड राजेश ठाकुर ने मंगलवार देर शाम जिला प्रशासन को घटना की सूचना दी थी। उन्होंने बताया, कि दल के सहस्त्रताल पहुंचने पर मौसम अचानक खराब हो गया। इससे दल रास्ता भटक गया और ग्लेशियर में सही रास्ते से हटकर, दूसरी ओर निकल गया।

डीएम के अनुसार, राजेश ने बताया कि दल के भटक जाने की जानकारी मिलने पर, ट्रेकिंग एजेंसी की ओर से, खोजबीन शुरू की गयी। इस दौरान पता चला कि दल के चार सदस्यों की मौत हो चुकी है। बाकी सदस्य अब भी सहस्त्रताल के पास फंसे हुये हैं और मौसम खराब होने से, उनकी हालत भी बेहद खराब है।

ट्रेकिंग एजेंसी ने, जिला प्रशासन से चारों शवों और फंसे दल के सदस्यों को सुरक्षित निकालने के लिये मदद मांगी है। डीएम बिष्ट ने बताया कि, जानकारी मिलते ही, तत्काल जिला एसपी अर्पण यदुवंशी, एसडीआरएफ और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के विशेषज्ञों संग आपात बैठक की गयी है। इसके बाद, सहस्त्रताल ट्रेकिंग के बारे में अच्छी जानकारी रखने वाली एक टीम तैयार कर ली गयी है।

डीएम बिष्ट ने बताया, कि फंसे हुये दल को निकालने के लिये, बुधवार तड़के उत्तरकाशी से राहत बचाव टीम निकल जायेगी। उम्मीद जतायी कि बुधवार को ही शाम तक अभियान पूरा कर लिया जायेगा। उन्होंने बताया, कि मौसम की स्थिति को देखते हुये, अभियान में मदद के लिये वायुसेना से भी संपर्क किया जा रहा है।

टिहरी पुलिस से भी मांगी गयी है बचाव अभियान में मदद

सहस्त्रताल उत्तरकाशी और टिहरी जिले की सीमा पर स्थित है। ऐसे में, उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने, ट्रेकिंग दल को सुरक्षित निकालने के लिये, राहत बचाव अभियान में टिहरी जिला पुलिस से भी मदद मांगी है। डीएम मेहरबान सिंह बिष्ट ने इस संबंध में टिहरी के एसपी नवनीत भुल्लर से भी संपर्क किया है।

कर्नाटक और महाराष्ट्र के ट्रेकर हैं दल में शामिल

डीएम मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया, कि जानकारी मिली है, कि इस 22 सदस्यीय दल में कर्नाटक और महाराष्ट्र के ट्रेकर शामिल हैं। इनमें से 18 सदस्य कर्नाटक के हैं, जबकि एक महाराष्ट्र का है। इनके अलावा तीन स्थानीय टूर गाइड भी दल में शािमल हैं।

शासन को भी दी गयी है घटना की जानकारी

डीएम बिष्ट ने बताया, कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में हुयी इस घटना के संबंध में, शासन को भी जानकारी दे दी गयी है। उन्होंने बताया कि मंगलवार देर शाम ही, सचिव आपदा प्रबंधन रंजीत सिन्हा समेत अन्य उच्चाधिकारियों को घटना के बारे में बताने के साथ, राहत बचाव अभियान शुरू करने की भी जानकारी दे दी गयी है। शासन स्तर पर भी अभियान में मदद के लिये वायुसेना से संपर्क किया जा रहा है।

बचाव दल में आईटीबीपी और वन विभाग कर्मी भी शामिल

डीएम बिष्ट ने बताया, कि बुधवार को रवाना होने वाले राहत बचाव दल में, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और वन विभाग के कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है। इन जवानों और कर्मचारियों को सहस्त्रताल ट्रेक के रास्तों के बारे में पूरी जानकारी और अनुभव है।

उत्तरकाशी और टिहरी से निकलेंगी तीन बचाव टीमें

जिला प्रशासन की ओर से बताया गया है, कि बुधवार तड़के तीन टीमें अलग-अलग रूट से फंसे दल को निकालने के लिये रवाना होंगी। इनमें एक टीम उत्तरकाशी से, जबकि दूसरी टिहरी के घनसाली से निकलेगी। वहीं, उत्तरकाशी ट्रेकिंग एसोसिएशन की ओर से भी, सहस्त्रताल के नजदीकी सिल्ला गांव से स्थानीय लोगों की एक टीम को मौके पर भेजे जाने की सूचना दी गयी है।

4100-4400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है सहस्त्रताल

उत्तरकाशी और टिहरी जिले की सीमा पर स्थित सहस्त्रताल, उच्च हिमालयी क्षेत्र में, 4100 से 4400 मीटर की ऊंचाई पर है। खतलिंग ग्लेशियर के पश्चिमी किनारे पर स्थित यह झील, गढ़वाल मंडल की सबसे बड़ी झील है। इसी झील से, टिहरी जिले में बहने वाली भिलंगना नदी भी निकलती है। जबकि, इसके नजदीक ही गंगा नदी की सहायक नदी, बालगंगा भी बहती है।

यह है सहस्त्रताल ट्रेक का रूट

सहस्त्रताल को यह नाम, इस क्षेत्र में मौजूद कई झीलों के कारण मिला है। इस ट्रेक रूट पर जोगिन पर्वत समूह, कीर्ति स्तंभ, मेरू ग्लेशियर, क्यार्की बुग्याल, खतलिंग ग्लेशियर पड़ते हैं। कुछ हिस्सा फूलों की घाटी के नजदीक से भी गुजरता है। यही वजह है, कि यह उच्च हिमालयी ट्रेक के शौकीनों के लिये पसंदीदा ट्रेक है।

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