BJP Internal Politics: रानीखेत और टिहरी में बीते कुछ दिनों से भाजपा नेताओं और उनके बीच खिंची तलवारों पर प्रदेश नेतृत्व ने संज्ञान लिया है। प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने विधायक प्रमोद नैनवाल, उत्तराखंड श्रम संविदा बोर्ड के उपाध्यक्ष कैलाश पंत, टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय, पूर्व विधायक दिनेश धनै और प्रदेश कार्यसमिति सदस्य खेम सिंह चौहान को देहरादून तलब किया। बताया जा रहा है कि पांचों को अनुशासन के दायरे में रहने की हिदायत दी गयी है।

रानीखेत के भतरौंजखान में 24 अप्रैल को ग्राम प्रधान संदीप खुल्बे ने विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल और भांजे संदीप बधानी पर मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में इस मामले में सतीश नैनवाल की ओर से भी संदीप खुल्बे पर गालीगलौज और मारपीट करने के आरोप में केस दर्ज कराया गया था।

मुकदमा दर्ज होने के बाद उत्तराखंड श्रम संविदा बोर्ड के उपाध्यक्ष कैलाश पंत और विधायक प्रमोद पंत के समर्थकों के बीच, सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया था। विधायक समर्थकों की नाराजगी की वजह यह थी कि प्रधान का मुकदमा दर्ज करवाने के लिये खुद पंत भतरौंजखान थाने में पहुंच गये थे।

सोशल मीडिया पर डाली गयी पोस्टों में मुकदमा दर्ज करवाने वालों पर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाजपा के विरोध में वोट डलवाने के आरोप लगाये गये। इसके साथ ही संबंधित नेताओं को पार्टी से निकालने की मांग भी विधायक के समर्थक उठाने लगे। इसी बीच एक ऑडियो भी वायरल हो गया।

वायरल ऑडियो में दो लोग राज्य सरकार में मंत्री बनाने के नाम पर 30 लाख की रकम पर बात कर रहे थे। एक व्यक्ति का कहना था कि वह रकम लेने वाले पर मुकदमा दर्ज करा सकता है। बातचीत करने वाले कथित रूप से विधायक नैनवाल और कैलाश पंत का एक समर्थक बताये गये। हालांकि, विधायक ने ऑडियो में अपनी आवाज होने से इनकार कर दिया था।

क्षेत्र में दोनों नेताओं के बीच तनातनी से पार्टी कार्यकर्ताओं में भी गलत संदेश जा रहा था। इसे देखते हुये, प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने रविवार को दोनों नेताओं को देहरादून बुलाया। बताया जा रहा है कि भट्ट ने दोनों को पार्टी के अनुशासन में रहने की हिदायत दी। जानकारी के अनुसार, दोनों नेताओं ने कहा कि कुछ गलतफहमियों की वजह से यह हुआ, जो आगे नहीं होगा।

किशोर उपाध्याय, दिनेश धनै में टिहरी झील के कामों पर था विवाद

भाजपा अध्यक्ष ने रविवार को टिहरी से भी विधायक किशोर उपाध्याय, पूर्व विधायक दिनेश धनै और पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य खेम सिंह चौहान को देहरादून बुलाया था। बीते दिनों विधायक उपाध्याय और पूर्व मंत्री दिनेश धनै और उनके समर्थकों के बीच भी सोशल मीडिया पर जुबानी जंग जारी थी।

कुछ दिन पहले धनै ने पार्टी की एक बैठक में टिहरी झील में कराये गये कार्यों को लेकर किशोर उपाध्याय पर सवाल उठा दिये थे। जवाब में किशोर उपाध्याय ने भी टीएचडीसी से ऐसे कार्यों की जानकारी सार्वजनिक करने को कह दिया था, जो कथित रूप से उनके कहने पर कराये हैं। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। उनका कहना था कि आरोपों से वह आहत हैं।

इस पर दिनेश धनै ने फिर कहा कि विधायक को अगर जांच के लिये पत्र लिखना ही था, तो ईडी या सीबीआई को लिखना चाहिये था। उनका कहना था कि उन्होंने अपनी बात पार्टी फोरम में रखी थी, विधायक को भी अपनी बात पार्टी फोरम में रखनी चाहिये थी। वहीं, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य खेम सिंह चौहान ने भी इसे लेकर अपनी राय रखी थी।

रविवार को इन तीनों नेताओं को भी देहरादून बुलाया गया। पार्टी अध्यक्ष भट्ट ने सभी नेताओं से बंद कमरे में एक-एक कर मुलाकात की और आपसी विवादों को सार्वजनिक पटल पर रखने के बजाय, पार्टी फोरम के भीतर ही सुलझाने की हिदायत दी। बाद में अध्यक्ष ने कहा कि, पांचों नेताओं से बात कर गलतफहमियां दूर कर ली गयी हैं।

नैनवाल समर्थकों ने सोशल मीडिया से पोस्टें हटायीं

देहरादून में भाजपा अध्यक्ष से बातचीत के बाद रानीखेत विधायक प्रमोद नैनवाल के भाई सतीश नैनवाल और अन्य समर्थकों ने बीते चार दिन में सोशल मीडिया पर की गयी अपनी सभी पोस्टें हटा ली हैं। इन पोस्टों में कैलाश पंत पर सवाल उठाये गये थे। हालांकि, सतीश नैनवाल पर मुकदमा दर्ज कराने वाले प्रधान संदीप खुल्बे के फेसबुक पर अब भी पोस्ट नजर आ रही है।

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