CBSE 10 Result 2024: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने, इंटरमीडिएट के बाद हाईस्कूल का परीक्षा परिणाम भी जारी कर दिया है। कुल उत्तीर्ण प्रतिशत 93.60 प्रतिशत रहा। परिणाम में छात्राओं का उत्तीर्ण प्रतिशत छात्रों के मुकाबले 2.04 प्रतिशत अधिक दर्ज किया गया है।

सीबीएसई ने सोमवार को सुबह 12वीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम के कुछ ही देर बाद, 10वीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम भी जारी कर दिये। बोर्ड की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, 2024 बोर्ड परीक्षा में 10वीं में छात्राओं का उत्तीर्ण प्रतिशत 94.75 प्रतिशत रहा, जबकि छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत 92.71 प्रतिशत दर्ज किया गया।

बोर्ड की ओर से दसवीं की परीक्षा 15 फरवरी 2024 से 13 मार्च 2024 के बीच आयोजित करवायी गयी थी। देशभर में इस बार 25724 स्कूलों में सीबीएसई 10वीं के छात्र पंजीकृत थे, जिनके लिये 7603 परीक्षा केंद्र बनाये गये थे। पिछले साल, 24480 स्कूलों में दसवीं के छात्र पंजीकृत थे। उनके लिये 7241 परीक्षा केंद्र बनाये गये थे।

सीबीएसई दसवीं का 2024 का परीक्षा परिणाम 2023 के मुकाबले 0.48 प्रतिशत अधिक रहा। पिछले साल, दसवीं के छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत 93.12 प्रतिशत रहा था, जबकि इस बार उत्तीर्ण प्रतिशत 93.60 प्रतिशत रहा। इस साल 21 लाख 84 हजार 117 छात्र पंजीकृत थे, जिनमें से 21 लाख 65 हजार 805 ने परीक्षा दी थी। उत्तीर्ण हुये छात्रों की कुल संख्या 20 लाख 16 हजार 779 रही है।

10वीं में भी त्रिवेन्द्रम रीजन का रहा दबदबा

सीबीएसई के 12वीं के रिजल्ट में टॉप 3 रहे तीनों रीजन, 10वीं के परिणाम में भी टॉप 3 रहे हैं। 10वीं में सबसे अव्वल रहे त्रिवेन्द्रम रीजन में छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत 99.75 रहा। दूसरे नंबर पर 99.60 प्रतिशत उत्तीर्ण छात्रों के साथ विजयवाड़ा रीजन रहा है। वहीं, चेन्नई 99.30 उत्तीर्ण प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर रहा है।

देहरादून रीजन का परीक्षा परिणाम 90.97 प्रतिशत रहा

सीबीएसई देहरादून रीजन का 10वीं का परीक्षा परिणाम, 12वीं के परिणाम के मुकाबले बेहतर रहा। 10वीं का रिजल्ट, 12वीं के रिजल्ट से सात प्रतिशत अधिक रहा है। 12वीं में देहरादून के छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत 83.82 रहा, जबकि 10वीं में रीजन के 90.97 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुये हैं।

अन्य रीजन में, बेंगलुरू का परिणाम 99.26, अजमेर का 97.10, पुणे का 96.46, दिल्ली ईस्ट का 94.45, दिल्ली वेस्ट का 94.18 प्रतिशत रहा। चंडीगढ़ का उत्तीर्ण प्रतिशत 94.14 रहा है। पटना का उत्तीर्ण प्रतिशत 92.91 प्रतिशत दर्ज किया गया है।

प्रयागराज 92.72 प्रतिशत, पंचकूला 92.16 प्रतिशत, भुवनेश्वर 92.03 प्रतिशत, भोपाल 90.58 प्रतिशत पर रहे। नोएडा रीजन का दसवीं का परीक्षा परिणाम 90.46 प्रतिशत दर्ज किया गया है। सबसे कम 77.94 प्रतिशत रिजल्ट गुवाहाटी रीजन का रहा है।

जवाहर नवोदय विद्यालय और केंद्रीय विद्यालय के छात्र सबसे आगे

सीबीएसई से संबद्ध शिक्षण संस्थानों के लिहाज से देखें, तो जवाहर नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों के छात्र सबसे आगे रहे। जवाहर नवोदय विद्यालयों (JNV) के छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत 99.09 प्रतिशत दर्ज किया गया है।

पहले नंबर पर ही केंद्रीय विद्यालय (KV) भी रहे हैं। केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत भी जवाहर नवोदय विद्यालय के समान 99.09 प्रतिशत रहा। दसवीं के परीक्षा परिणाम में केंद्रीय तिब्बतन स्कूल एसोसिएशन (CTSA) का प्रदर्शन, 12वीं के मुकाबले कुछ कम रहा है। सीटीएसए के 94.40 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुये, और वह संस्थानों की तालिका में चौथे स्थान पर है।

निजी स्कूलों ने सरकारी स्कूलों से मारी बाजी

12वीं के परीक्षा परिणाम में, सरकारी स्कूलों का उत्तीर्ण प्रतिशत निजी स्कूलों से काफी बेहतर रहा था। लेकिन, 10वीं के परीक्षा परिणाम में, निजी स्कूल सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों से काफी आगे निकल गये हैं। निजी स्कूलों का परिणाम, सरकारी स्कूलों से आठ और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों से 11 प्रतिशत अधिक रहा है।

निजी स्कूल 94.54 प्रतिशत रिजल्ट के साथ सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के परिणामों की तालिका में तीसरे स्थान पर हैं। सरकारी स्कूलों का रिजल्ट 86.72 प्रतिशत दर्ज किया गया है। वहीं, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों का उत्तीर्ण प्रतिशत 83.95 प्रतिशत रहा है।

छात्रों को मिलेगी साइकोलॉजी काउंसिलिंग

सीबीएसई की ओर से छात्रों को परीक्षा परिणाम के बाद, किसी भी तरह की मानसिक परेशानी से बचाने की भी कवायद शुरू की गयी है। जानकारी के अनुसार, बोर्ड की ओर से 14 मई से, साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग शुरू होगी। यह सुविधा 24×7 जारी रहेगी। इसके लिये जल्द ही सीबीएसई की वेबसाइट पर नोटिफिकेशन जारी होगा।

इस बार जारी नहीं की गयी है मेरिट लिस्ट

सीबीएसई ने इस बार 10वीं और 12वीं, दोनों ही कक्षाओं के परीक्षा परिणाम के लिये कोई मेरिट लिस्ट जारी नहीं की है। बोर्ड का तर्क है, कि मेरिट लिस्ट जारी करने से, सूची में शामिल नहीं हो पाने वाले छात्रों में अवसाद बढ़ता है। दूसरी ओर, अभिभावकों की ओर से भी बच्चों पर दबाव बनाया जाता है।

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