Kotdwar: कोटद्वार में बहुप्रतीक्षित मेडिकल कॉलेज का निर्माण पीपीपी मोड पर किया जायेगा। स्वास्थ्य विभाग जल्द उत्तराखण्ड में होने वाले इन्वेस्टर्स समिट के दौरान मेडिकल कॉलेज के लिये इच्छुक और उपयुक्त उद्यमियों से चर्चा की जायेगी।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने यह जानकारी दी। वह गुरुवार को कोटद्वार अस्पताल में डेंगू मरीजों के इलाज के लिये की गयी व्यवस्थाओं का जायजा लेने पहुंचे थे। अस्पताल में निरीक्षण के बाद उन्होंने कोटद्वार मेडिकल कॉलेज के लिये चयनित भूमि का भी निरीक्षण किया।

सचिव पौड़ी गढ़वाल सीएमओ डॉ. प्रवीण कुमार और अन्य अधिकारियों संग कलालघाटी में चयनित भूमि पर पहुंचे। बाद में पत्रकार वार्ता में सचिव ने बताया कि मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिये करीब 20 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। यहां कॉलेज और अस्पताल का निर्माण होगा।

सचिव ने बताया कि विभाग ने कोटद्वार मेडिकल कॉलेज का निर्माण पीपीपी मोड पर कराने का प्रस्ताव रखा है। बताया कि इस सम्बंध में प्रयास शुरू किये जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि जल्द ही राज्य में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट होने वाला है।

कोशिश की जा रही है कि समिट के दौरान ऐसे निवेशकों को तलाशा जाये जो स्वास्थ्य सेवाओं में काम कर रहे हैं। बताया कि इसके अलावा जल्द ही स्वास्थ्य विभाग की एक टीम चेन्नई और हैदराबाद जाने वाली है। यह टीम स्वास्थ्य सेवाओं में काम कर रहे निवेशकों से मुलाकात करेगी।

सचिव ने उम्मीद जतायी कि जल्द ही निवेशकों से मुलाकात और बातचीत के बाद बेहतर विकल्प का चयन कर लिया जायेगा। इसके बाद कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के निर्माण का काम शुरू हो जाने की भी पूरी उम्मीद है।

जमीन पर खनन की पुष्टि: मेडिकल कॉलेज की जमीन पर भवन तो नहीं बना, लेकिन खनन माफिया ने यहां खुदाई कर डाली। जमीन पर गहरे गड्ढे हो चुके हैं। इसकी जानकारी मिलने पर ही सचिव यहां निरीक्षण के लिये पहुंचे थे। मौके पर खनन की पुष्टि हुयी है। मामले में डीएम पौड़ी को जांच के लिये कहा गया है।

लछमपुर में बनना है कॉलेज: कोटद्वार मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिये चिकित्सा शिक्षा विभाग को 192 बीघा जमीन कुछ साल पहले दी जा चुकी है। यह जमीन कलालघाटी क्षेत्र के लछमपुर में स्थित है।

चार करोड़ से बनी चहारदीवारी टूटी: मेडिकल कॉलेज के लिये जमीन हस्तांतरण के साथ ही चार करोड़ का बजट भी जारी किया गया था। इस रकम से जमीन की चहारदीवारी करवायी गयी। लेकिन, वर्तमान में यह चहारदीवारी पूरी तरह टूट चुकी है।

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