Rahul Gandhi: उत्तर प्रदेश की रायबरेली और अमेठी सीट पर कई दिनों से बरकरार कांग्रेस का सस्पेंस आखिर खत्म हो गया। कांग्रेस ने राहुल गांधी को रायबरेली सीट से तो किशोरीलाल शर्मा को अमेठी से प्रत्याशी बनाया है। दोनों नामों की घोषणा, इन सीटों पर नामांकन की अंतिम तिथि पर पर्चे भरने से चंद घंटे पहले की गयी। कांग्रेस के इस ऐलान के बाद, कांग्रेसियों का इंतजार तो खत्म हुआ, लेकिन राहुल गांधी भाजपा के निशाने पर आ गये हैं।

उत्तर प्रदेश की रायबरेली और अमेठी संसदीय सीटों का कांग्रेस और गांधी परिवार से लंबा जुड़ाव रहा है। दोनों सीटों पर अब तक हुये लोकसभा चुनावों में 70 प्रतिशत से अधिक बार कांग्रेस ही जीत हासिल करती रही। इनमें भी, निर्वाचित सांसदों में दादी इंदिरा गांधी से लेकर पोते राहुल गांधी तक के नाम शामिल रहे।

यही वजह है, कि हर लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की ये दोनों संसदीय सीटें चर्चाओं के केंद्र में रहती हैं। इन सीटों पर कांग्रेस किसे मैदान में उतारने वाली है, इस पर सबकी नजर बनी रहती है। 2019 में अमेठी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी भाजपा की स्मृति ईरानी से हार गये थे। हालांकि, तब केरल के वायनाड से चुनाव जीत जाने से वह संसद पहुंच गये थे।

रायबरेली संसदीय सीट पर 2019 में सोनिया गांधी ने अपनी जीत बरकरार रखी थी, लेकिन इस बार वह चुनाव लड़ने से पहले ही इनकार कर चुकी थीं। ऐसे में राहुल इस बार अमेठी से उतरेंगे या नहीं और रायबरेली से सोनिया के बाद कौन होगा, यह सवाल लंबे समय से सियासी हलकों में तैर रहा था।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी पार्टी प्रत्याशी को लेकर बेचौनी बनी हुयी थी। इस बीच, कुछ दिन पहले अमेठी से प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा चुनाव मैदान में उतरने की इच्छा जता चुके थे। इसके अलावा खुद प्रियंका गांधी को भी चुनाव लड़ाये जाने की चर्चाएं थीं। दूसरी ओर, राहुल गांधी के भी अमेठी आने की चर्चाएं थीं।

लेकिन, शुक्रवार सुबह जारी की गयी प्रत्याशियों की सूची में, अमेठी से किशोरीलाल शर्मा को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। राहुल गांधी को रायबरेली से उम्मीदवार बनाया गया है। इसके साथ ही दोनों सीटोें पर बना हुआ असमंजस समाप्त हो गया है। दोनों सीटों पर 20 मई को मतदान होना है, जिसके लिये नामांकन की अंतिम तिथि 03 मई थी।

राहुल गांधी ने दोपहर में रायबरेली निर्वाचन कार्यालय पहुंचकर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, उनकी मां सोनिया गांधी, बहन प्रियंका गांधी और जीजा रॉबर्ट वाडरा भी मौजूद रहे।

रायबरेली में जुटे कांग्रेस-सपा कार्यकर्ता

रायबरेली से राहुल गांधी के उतरने की जानकारी मिलते ही, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता कांग्रेस मुख्यालय पर जुट गये थे। जानकारी के अनुसार, राहुल गांधी हर चुनाव से पहले की जाने वाली परंपरा के अनुसार कांग्रेस मुख्यालय में विधिवत पूजन-हवन के बाद दोपहर में नामांकन पत्र दाखिल करने के लिये निकले।

प्रधानमंत्री मोदी बोले- डरो मत, भागो मत

राहुल गांधी के अमेठी से रायबरेली जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तंज कसा है। बंगाल में एक जनसभा के दौरान पीएम मोदी ने कहा- मैंने पहले ही ये भी बता दिया था कि शहजादे वायनाड में हार के डर से अपने लिए दूसरी सीट खोज रहे हैं। अब इन्हें अमेठी से भागकर रायबरेली सीट चुननी पड़ी है। ये लोग घूम-घूमकर सबको कहते हैं- डरो मत! मैं भी इन्हें यही कहूंगा – डरो मत! भागो मत!

राहुल की सीट बदलना कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा

राहुल के सीट बदल लेने पर उठ रहे सवालों को लेकर, कांग्रेस ने अपना पक्ष रखा है। जयराम रमेश का कहना है कि राहुल का रायबरेली जाना, कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा रहा। उनका कहना है कि इस सीट पर इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी सांसद रही हैं, लिहाजा यह सीट एक जिम्मेदारी की तरह है।

जयराम रमेश का कहना है कि कांग्रेस के लिये सिर्फ अमेठी-रायबरेली नहीं, बल्कि उत्तर से दक्षिण तक, पूरा देश कार्यक्षेत्र रहा है। राहुल गांधी तीन बार उत्तर प्रदेश की अमेठी से तो एक बार केरल की वायनाड सीट से सांसद बने हैं। उनका कहना है कि पीएम मोदी में साहस है तो वह कभी विन्ध्य क्षेत्र से नीचे, यानी दक्षिण भारत की किसी सीट पर चुनाव लड़कर दिखायें।

कौन हैं अमेठी के कांग्रेस उम्मीदवार किशोरीलाल शर्मा

अमेठी से कांग्रेस प्रत्याशी किशोरीलाल शर्मा को गांधी परिवार का करीबी माना जाता है। मूलतः पंजाब के लुधियाना निवासी किशोरीलाल शर्मा, पहली बार राजीव गांधी के चुनाव में अमेठी आये थे। इस दौरान वह राजीव गांधी के नजदीक आये और यह सिलसिला सोनिया गांधी से राहुल गांधी तक भी जारी है।

1999 में सोनिया गांधी ने अमेठी सीट से चुनाव लड़ा तो यहां प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी किशोरीलाल शर्मा ही उठाते रहे। बाद में राहुल गांधी अमेठी आये और सोनिया गांधी रायबरेली गयीं, तो किशोरीलाल ने इन दोनों ही सीटों की जिम्मेदारी खुद पर ले ली। लंबे समय तक दोनों क्षेत्रों में सक्रिय रहने के चलते कांग्रेस ने उन्हें इस बार अमेठी से मैदान में उतारा है।

रायबरेली सीट से ये चुने गये सांसद

1952, 1957 में राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी रायबरेली से सांसद चुने गये। 1962 में आरपी सिंह यहां से जीते। 1967 में इंदिरा गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ा और जीतीं। 1977 तक वह लगातार यहां से चुनी जाती रहीं। 1980, 1984, 1989 और 1991 में शीला कौल और फिर 1991, 1996 में कैप्टन सतीश शर्मा ने कांग्रेस को यहां से जीत दिलायी। इसके बाद 2004 के चुनाव से 2019 तक सोनिया गांधी यहां से चुनाव लड़ती और सांसद चुनी जाती रही हैं।

तीन बार कांग्रेस से छिन गयी थी यह सीट

1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी के राजनारायण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 55 हजार वोटों के अंतर से शिकस्त दे दी थी। इससे पूर्व 1971 में इंदिरा गांधी जीती थीं, लेकिन धांधली के आरोपों के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके निर्वाचन को रद्द कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया था। इनके अलावा 1996 और 1998 में भाजपा के अशोक सिंह यहां से चुनाव जीते थे।

अमेठी सीट पर तीन बार सांसद रहे राहुल

अमेठी संसदीय सीट पर 1967 से 2019 तक हुये 17 लोकसभा चुनावों में 13 बार कांग्रेसी सांसद चुने जाते रहे। राहुल गांधी वर्ष 2004 से 2014 तक लगातार तीन बार यहां से जीते, जबकि उनकी मां सोनिया गांधी 1999 में यहां से सांसद रहीं। इससे पहले उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी तीन बार अमेठी से चुनाव जीता। इसके अलावा 1980 में राहुल के चाचा संजय गांधी यहां से सांसद बने थे।

प्रियंका को चुनाव नहीं लड़ने देना चाहते राहुल

राहुल के रायबरेली जाने के बाद, अमेठी से प्रियंका गांधी के नाम पर भी चर्चाएं चल रही थीं। लेकिन कांग्रेस ने यहां से किशोरीलाल शर्मा को टिकट दे दिया है। पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम का कहना है- प्रियंका गांधी के साथ पार्टी और परिवार में बड़ी साजिश की गयी है। उनका आरोप है कि राहुल गांधी नहीं चाहते हैं कि प्रियंका गांधी चुनाव लड़ें।

प्रमोद कृष्णम का कहना है कि उन्होंने पहले ही कहा था कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव नहीं लड़ेंगे। उनका कहना है कि राहुल गांधी ने जिस तरह अमेठी से पलायन किया है, उनकी जगह अगर कोई विश्वसनीय नेता होता, तो राहुल गांधी को वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने चुनाव मैदान में उतरना चाहिये था।

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