Umesh Kumar MLA: हरिद्वार से लोकसभा चुनाव 2024 में निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार ने उत्तराखंड पुलिस पर राजनीतिक दबाव में काम करने का आरोप लगाया है। खुद पर दर्ज कराये मुकदमे को झूठा करार देते हुये उमेश ने राज्य के डीजीपी के नाम एक वीडियो सन्देश जारी किया है। उमेश का कहना है कि पुलिस तीन दिन के भीतर मामले की जांच करे, आरोप सही निकले तो उन्हें गिरफ्तार करे। तीन दिन में जांच नहीं होती है तो वह आंदोलन शुरू कर देंगे।

हरिद्वार जिले के खानपुर विधानसभा क्षेत्र से 2022 के विधानसभा चुनाव में उमेश कुमार ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीत दर्ज की। इस सीट पर उन्होंने बसपा के रवींद्र सिंह को करीब 7000 वोट के अंतर से मात दी थी। भाजपा ने पूर्व विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन की पत्नी कुंवरानी देवयानी सिंह को मैदान में उतारा था, लेकिन वह तीसरे स्थान पर रही थीं।

अब लोकसभा चुनाव में भी उमेश कुमार ने हरिद्वार संसदीय सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा है। इस चुनाव में उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कांग्रेस से पूर्व सीएम हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत से हुआ।

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चुनाव प्रचार के दौरान 16 अप्रैल को भगवानपुर थाने में मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया गया था। उमेश का कहना है कि यह मुकदमा गलत है। उनका कहना है कि उनके रोड शो का रूट पहले से तय था। रुड़की, मंगलौर, झबरेड़ा से उनके वाहन आराम से निकले, कहीं दिक्कत नहीं रही। उमेश का आरोप है कि भगवानपुर में, भाजपा समर्थकों ने जानबूझकर रोड शो में व्यवधान डालते हुये गालीगलौज की।

गुरुवार को, उमेश कुमार ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो सन्देश जारी किया। डीजीपी और हरिद्वार एसएसपी को सम्बोधित वीडियो में उमेश कहते हैं कि सत्ता के दबाव में एकपक्षीय कार्रवाई करना अच्छी पुलिसिंग नहीं है। उनका कहना है कि अगर मुकदमा सही है, जांच में आरोप सही निकले तो उन्हें अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया।

उन्होंने पूछा कि क्या घटनास्थल की सीसीटीवी फुटेज ली गयीं, क्या कॉल डिटेल ली गयी हैं? उमेश का कहना है कि वह एसएसपी को चेतावनी दे रहे हैं कि तीन दिन के भीतर मामले की जांच कर सच्चाई सामने लायें। वह गलत हैं तो पुलिस गिरफ्तार करे और नहीं हैं तो मामला लहतम किया जाये। ऐसा नहीं किया गया तो वह एसएसपी के खिलाफ आंदोलन शुरू कर देंगे।

डीजीपी का एसएसपी, एसपी पर नियंत्रण नहीं’

वीडियो में उमेश कह रहे हैं कि डीजीपी का अपने एसएसपी, एसपी पर नियंत्रण नहीं है। उनका कहना है कि हरिद्वार में अधिकारी अनियंत्रित और बेलगाम हो गये हैं। एक विधायक पर मुकदमा दर्ज करके ताकत का प्रदर्शन करने की कोशिश की जा रही है। उनका आरोप है कि चुनाव के दौरान हरिद्वार पुलिस ने सत्ता के दबाव में काम किया।

यह था मारपीट का पूरा मामला

16 अप्रैल को उमेश कुमार ने भगवानपुर क्षेत्र में रोड शो किया था। जब उनकी गाड़ियों का काफिला भगवानपुर पहुंचा, उसी दौरान उसी सड़क पर भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी काफिला पहुंच गया था। आरोप है कि इस दौरान उमेश कुमार के समर्थकों ने त्रिवेंद्र की गाड़ी पर पर्चे फेंकने लगे।

आरोप था कि इस दौरान रावत के सुरक्षाकर्मी अरुण कुमार, चालक गौरव और समर्थक दिनेश केमवाल के साथ मारपीट की गयी। बाद में तीनों ने मेडिकल करवाकर भगवानपुर थाने में तहरीर दी थी। इस पर पुलिस ने उमेश कुमार पर नामजद और करीब 200 वाहनों में सवार अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था।

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रावत के सीएम रहते दर्ज हुआ था राजद्रोह का केस

उमेश कुमार पर त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहने के दौरान राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। उमेश उस दौरान एक न्यूज चैनल के सीईओ थे। उन पर 2018 में चैनल के ही पत्रकार ने आरोप लगाया था कि उमेश ने उसे सीएम का स्टिंग करने के लिये कहा था, लेकिन उसे कुछ गड़बड़ नहीं लगा, सीएम से मुलाकात भी नहीं हो सकी, जिसके चलते स्टिंग नहीं हो सका था। इस पर उमेश ने उसे धमकाया था।

वहीं, झारखंड के रांची में भी एक भाजपा नेता ने उमेश पर केस दर्ज कराया था। आरोप था कि उमेश ने उसे फोन कर उत्तराखंड सरकार गिराने के लिये सीएम के खिलाफ कुछ साक्ष्य देने को कहा था। इसके बाद उमेश पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था। हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने राजद्रोह का मुकदमा निरस्त कर दिया था।

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