Underworld Don PP: महाराष्ट्र और उत्तराखंड में जरायम की दुनिया का कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे उर्फ पीपी उर्फ बंटी पांडे अपने किये पर पछतावा कर रहा है!! जेल में सजा काट रहा पीपी अब संन्यास लेकर प्रायश्चित करना चाहता है। उसने जेल प्रशासन को पत्र लिखकर संन्यास लेने के लिये जरूरी धार्मिक अनुष्ठान करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है। जेल प्रशासन की ओर से उच्चाधिकारियों को जानकारी दे दी गयी है। मामले की जांच की जा रही है।

प्रकाश पांडे उर्फ बंटी पांडे उर्फ पीपी (Underworld Don Bunty Pandey) इस वक्त उत्तराखंड की अल्मोड़ा जेल में है। इससे पहले वह देहरादून, टिहरी और सितारगंज जेलों में रखा गया था। दो महीने पहले ही पीपी को अल्मोड़ा लाया गया है, लेकिन 45 साल के इस कुख्यात अपराधी ने अपने हालिया कदम से उत्तराखंड के पुलिस महकमे की चिंता बढ़ा दी है।

दरअसल, 13 मार्च 2024 को प्रकाश ने अल्मोड़ा जेलर को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उसने लिखा है कि वह अपने जीवन में किये कर्मों का पश्चाताप कर रहा है। पीपी के अनुसार उसका हृदय अब बदल गया है और उसे समझ आ गया है कि उसने जो भी काम किये, वे गलत थे। पीपी ने पत्र में लिखा है कि वह सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार संन्यास लेना चाहता है। इसके लिये उसने जेल के मंदिर में अनुष्ठान करने की अनुमति मांगी है।

पीपी के इस पत्र के बाद जेल प्रशासन समेत राज्य का पुलिस महकमा हरकत में है। बताया जा रहा है कि पीपी के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुये उसकी बात पर भरोसा नहीं किया जा रहा है। जेल प्रशासन की ओर से उच्च अधिकारियों को पूरे मामले की जानकारी दी गयी है। इसके बाद पूरे मामले की जांच भी शुरू कर दी गयी है।

सूबेदार का बेटा, कैसे बना अपराधी

70 के दशक में उत्तराखंड के अल्मोड़ा में खनौइया गांव में आर्मी सूबेदार के घर जन्मे प्रकाश पांडे की मां तभी चल बसी थीं, जब वह काफी छोटा था। पिता ने दूसरी शादी की, लेकन प्रकाश इसे लेकर पिता से नाराज रहने लगा और घर छोड़कर ननिहाल में मामा-मामी संग रहने लगा। बताते हैं कि जब वो आठवीं कक्षा में था, तब उसने अपने से दो क्लास सीनियर एक लड़के को बुरी तरह पीट डाला था। इस एक घटना ने न सिर्फ उसे स्कूल में चर्चित करवा दिया, बल्कि यह उसकी बदमाशी की शुरूआत भी बन गयी।

गिरोह बनाकर शराब-लीसे के धंधे में कूदा

पीपी को बदमाशी से बनने वाला दबदबा पसंद आने लगा। उसने स्कूली पढ़ाई पूरी होते-होते कुछ लड़कों को साथ लेकर एक गैंग बना लिया और गांव और आसपास के इलाकों में अवैध शराब का धंधा करने लगा। कुछ समय बाद उसने लीसा के अवैध कारोबार में भी हाथ डाल दिया। कुछ ही समय में पीपी ने अपने आपराधिक धंधों का दायरा अल्मोड़ा, रानीखेत से हल्द्वानी तक बढ़ा लिया।

90 के दशक में मुंबई पहुंचा पीपी

पीपी शराब और लीसे के धंधे में चांदी काट रहा था, लेकिन उसकी महत्वाकांक्षा अपराध की दुनिया में बड़ा नाम बनने की थी। यही वजह थी कि डॉन बनने की चाहत लिये, वह अकेला ही मुंबई पहुंच गया। 90 के दशक में जब वह पहली बार मुंबई पहुंचा, तब मुंबई बम धमाकों के असर से पूरी तरह उबर नहीं सकी थी। इन धमाकों की वजह से, धमाकों के जिम्मेदार अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम और कभी उसके दाहिने हाथ रहे छोटा राजन के बीच दरार पड़ चुकी थी।

पीपी से नाम बदल बंटी रखा, छोटा राजन के खास विक्की और फरीद तनाशा से दोस्ती

पीपी ने मुंबई जाने के बाद अपना नाम बदलकर बंटी पांडे कर लिया। छोटा राजन के दो करीबियों विक्की मल्होत्रा और फरीद तनाशा से उसने दोस्ती की। फरीद तनाशा अब मर चुका है, जबकि विक्की मल्होत्रा के बारे में बताया जाता है कि वह छोटा राजन की गिरफ्तारी के बाद से उसका अफ्रीका और अन्य देशों में फैला पांच हजार करोड़ का कारोबार संभालता है। विक्की और फरीद की मदद से ही पीपी की मुलाकात छोटा राजन से हुयी।

हाईप्रोफाइल नेता की हत्या कर जीता भरोसा

जानकारी के अनुसार दाउद से खतरे के चलते छोटा राजन किसी नये शख्स पर भरोसा नहीं करता था। विक्की और फरीद के मिलाने पर उसने पीपी की परीक्षा ली। उसे महाराष्ट्र के एक हाईप्रोफाइल यूनियन लीडर की हत्या के लिये कहा। पीपी ने कुछ दिन बाद ही उस नेता की हत्या कर दी। इसके बाद वह छोटा राजन के नजदीकी भरोसेमंद लोगों में शामिल हो गया। मुंबई समेत महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में छोटा राजन के लिये उगाही, फिरौती की जिम्मेदारी अब उस पर ही थी।

छोटा राजन पर हमले के वक्त साथ, फिर अलग हुआ

वर्ष 2000 में बैंकॉक में छोटा राजन पर हमला हुआ था, जिसमें छोटा राजन का साथी रोहित वर्मा मारा गया, जबकि वो बुरी तरह जख्मी हो गया था। बताते हैं कि छोटा राजन को घायल हालत में हमले वाली जगह से निकालकर ले जाने वाला बंटी पांडे ही था। इस घटना के बाद बंटी अंडरग्राउंड रहने लगा। कुछ समय बाद ही वो छोटा राजन से अलग हो गया और अपना गिरोह बनाकर फिरौती वसूलने का काम करने लगा।

फिल्म में काम देने का झांसा देकर मांगी फिरौती

2004 में Underworld Don PP उर्फ बंटी ने फिरौती वसूलने का नया तरीका अपनाया। उसने यूपी के अखबारों में विज्ञापन निकाला। इसमें बॉलीवुड फिल्म के लिये युवा कलाकारों को मौका देने की बात लिखी गयी थी। कई युवकों ने विज्ञापन देख पीपी के लोगों से संपर्क किया, जिनमें से उसने अमीर घरों के 12 युवकों को चुना और मुंबई बुला लिया। इन सभी को पुणे में बंधक बनाने के बाद उनके परिवारों को फोन कर फिरौती मांगी गयी। हालांकि, यूपी एसटीएफ और मुंबई पुलिस की सक्रियता से वह रकम वसूल नहीं कर सका और सभी बंधक छुड़ा लिये गये। पीपी पुलिस की पकड़ में नहीं आया।

हल्द्वानी में रमेश बंबइया से रही अदावत

रानीखेत के रहने वाले रमेश चिलवाल का बचपन बंबई (अब मुंबई) में बीता था, उसके पिता वहां एक अस्पताल में काम करते थे। जब पीपी मुंबई पहुंचा था, लगभग उसी समय रमेश मुंबई से हल्द्वानी आ गया था। रमेश ने कुमाऊं मंडल में अवैध शराब, लीसा और खनन माफिया के तौर पर पहचान बना ली। वर्चस्व टूटता देख पीपी की रमेश से जंग छिड़ गयी। दोनों के बीच लंबी गैंगवार चली। रमेश को खनन कारोबारी विनीत जोशी की हत्या में गिरफ्तार किया गया था। आजीवन कारावास की सजा काटते हुये कुछ साल पहले जेल में ही उसकी मौत हो गयी।

वियतनाम में रहकर धंधा चलाता था पीपी उर्फ बंटी

मुंबई क्राइम ब्रांच के अलावा उत्तराखंड पुलिस भी लगातार पीपी उर्फ बंटी की तलाश में थी, लेकिन उसका कुछ सुराग नहीं मिल रहा था। 2010 में मुंबई क्राइम ब्रांच ने बंटी के एक गुर्गे की कॉल ट्रेस की। पता चला कि उसे वियतनाम से सैटेलाइट फोन से कॉल की गयी थी। कॉल करने वाला बंटी था। पुलिस ने इंटरपोल से संपर्क किया और इंटरपोल टीम जब वियतनाम पहुंची तो वहां के एक गांव में पीपी उर्फ बंटी विजय सुभाष शर्मा के नाम से दाल-मसाले का कारोबार करता मिला।

जब दाउद को मारने पहुंच गया पाकिस्तान

गिरफ्तारी के बाद पीपी उर्फ बंटी ने दावा किया था कि छोटा राजन के कहने पर वह विक्की और फरीद दाउद को मारने उसके नजदीक पहुंच गये थे, लेकिन दाउद उस जगह नहीं आया, जहां ये तीनों घात लगाकर बैठे थे। बंटी ने पुलिस को बताया कि 1998 में वे तीनों पाकिस्तान पहुंचे। दाउद वहांएक मस्जिद में हर रोज नमाज के लिये जाता था। लेकिन दाउद को भनक लग गयी। वह अगले कुछ दिन मस्जिद में आया ही नहीं। ऐसे में तीनों को लौटना पड़ा।

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