Congress Candidate Haridwar: हरिद्वार लोकसभा सीट पर कांग्रेस में आखिर वीरेंद्र रावत के नाम पर मुहर लग गयी। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उत्तराखंड के दूसरे नेताओं की दावेदारी के बीच अपने बेटे के लिये संसदीय सीट का टिकट झटक लाने में कामयाब रहे। नारसन से शुरू हुये रोड शो के साथ रावत अपने बेटे संग हरिद्वार पहुंचकर जनसंपर्क में जुट गये हैं।

उत्तराखंड में कांग्रेस ने पांच में से तीन लोकसभा सीटों के लिये 12 मार्च को प्रत्याशियों की घोषणा कर दी थी। इनमें अल्मोड़ा से प्रदीप टम्टा, टिहरी से जोत सिंह गुनसोला और पौड़ी से गणेश गोदियाल के नाम शामिल थे, लेकिन हरिद्वार और नैनीताल सीट पर अंदरूनी सियासत के चलते उम्मीदवार तय नहीं किये जा सके थे।

नैनीताल में प्रकाश को टिकट, दीपक का इस्तीफा

शनिवार रात जारी सूची में पार्टी ने इन दोनों सीटों पर चल रहे कयासों के दौर पर विराम लगाते हुये उम्मीदवारों के नाम तय कर दिये। नैनीताल से प्रकाश जोशी तो हरिद्वार से वीरेंद्र रावत को मैदान में उतारा गया है। वीरेंद्र रावत पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र हैं। रावत लंबे समय से बेटे के लोकसभा टिकट के लिये जोर लगाये हुये थे।

कांग्रेस नेतृत्व को था हरीश पर ज्यादा भरोसा

जानकारी के अनुसार हरिद्वार से पहले सांसद चुने जा चुके हरीश रावत इस चुनाव में कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व की पहली पसंद बने हुये थे। पार्टी का मानना था कि रावत को मैदान में उतारने से कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी पर भी लगाम कसी जा सकेगी। हालांकि, हरीश रावत खुद चुनाव में उतरने के बजाय बेटे को ही मौका देने के पक्ष में बने रहे।

इन दिग्गजों ने की थी टिकट पर दावेदारी

हरिद्वार संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट पर उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के अलावा वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष करन सिंह माहरा ने भी दावा किया था। हरीश रावत लगातार अपने बेटे वीरेंद्र रावत के लिये टिकट की पैरवी कर रहे थे। माहरा ने तो हरीश रावत के नाम पर कदम खींचने की बात भी कह दी थी, लेकिन आखिर पार्टी ने वीरेंद्र को ही प्रत्याशी बनाया।

दस साल पहले पत्नी को भी लड़ाया चुनाव

हरिद्वार लोकसभा सीट पर वर्ष 2014 के चुनाव में हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था। इससे पहले हरीश रावत ही यहां के सांसद थे, लेकिन बाद में वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बना दिये गये थे। रेणुका के सामने भाजपा के उम्मीदवार रमेश पोखरियाल निशंक थे। निशंक ने यह चुनाव जीत लिया।

2014 से भाजपा के कब्जे में है यह सीट

हरीश रावत वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट से सांसद चुने गये थे। इसके बाद 2014 और फिर 2019 के दोनों लोकसभा चुनावों में यह संसदीय क्षेत्र भाजपा के कब्जे में है। दोनों चुनावों में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा था। हालांकि, इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया है।

जीत के लिये पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र से मुकाबला

भाजपा ने इस बार हरिद्वार लोकसभा सीट के लिये उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस की ओर से लोकसभा में हरिद्वार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिये अब वीरेंद्र रावत को त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुकाबला करना है।

सोशल मीडिया पर पोस्ट से बढ़ी थीं चर्चाएं

कुछ दिन पहले हरीश रावत ने एक्स और फेसबुक पर एक पोस्ट की थी। इसमें उन्होंने लिखा था कि उनकी हालत अर्जुन की तरह हो गयी है। चुनाव सामने है, उनके पास धनुष-बाण भी हैं, लेकिन वह कुछ कर नहीं पा रहे हैं। माना जा रहा था कि पार्टी नेतृत्व की ओर से उनके बेटे पर सहमति बनने में हो रही देरी से वह अपनी परेशानी पोस्ट के जरिये जाहिर कर रहे थे।

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टिकट की घोषणा होते ही रोड शो

बेटे को टिकट की घोषणा होते ही पूर्व सीएम हरीश रावत दिल्ली से हरिद्वार के लिये निकल गये। यूपी-उत्तराखंड की सीमा पर नारसन के पास कार्यकर्ताओं के हुजूम ने उनका स्वागत किया। यहां से वह बेटे वीरेंद्र रावत और अन्य नेताओं, पदाधिकारियों संग रोड शो करते हुये हरिद्वार के लिये निकले। रास्ते में कई जगह पार्टी कार्यकर्ताओं से भी उन्होंने मुलाकात की।

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