Girija Devi temple Ramnagar: अगर आप, नैनीताल जिले के रामनगर में स्थित प्रसिद्ध मां गिरिजा मंदिर (गर्जिया देवी), में दर्शन करने जाने की सोच रहे हैं, तो ठहर जाइये। मंदिर में 10 मई से अगले 40 दिन तक कपाट बंद रहेंगे। इस दौरान श्रद्धालुओं के दर्शन पर रोक लगायी गयी है। मंदिर जिस टीले पर स्थित है, उसके ट्रीटमेंट और मरम्मत के लिये, यह फैसला लिया गया है।

रामनगर का मां गिरिजा मंदिर, कोसी नदी के बीचोंबीच एक पहाड़ी टीले पर स्थित है। वर्षों पहले, मंदिर तक पहुंचने के लिये नदी को पार कर जाना पड़ता था। बरसात के दौरान कोसी के उफान पर आने के दौरान, श्रद्धालु कई बार मंदिर में नहीं जा पाते थे, लेकिन अब मंदिर तक जाने के लिये पुल का निर्माण किया जा चुका है।

बरसात के दौरान कोसी का जलस्तर बढ़ने से टीले को भी नुकसान पहुंचता रहा है। पिछले कुछ समय से, टीले पर गहरी दरारें आ गयी थीं। इससे मंदिर पर भी खतरा बना हुआ था। इसे देखते हुये, टीले पर सुरक्षात्मक कार्य, ट्रीटमेंट का काम शुक्रवार 10 मई 2024 से शुरू हो गया है। जानकारी के अनुसार, ट्रीटमेंट का काम अनुमानित 40 दिन तक चलेगा। ऐसे में, इस अवधि में मंदिर के कपाट बंद रखने का निर्णय लिया गया है।

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5.86 करोड़ की लागत से होना है ट्रीटमेंट

टीले के ट्रीटमेंट और अन्य सुरक्षा कार्यों के लिये, फरवरी 2024 में पांच करोड़ 86 लाख की रकम मंजूर कर ली गयी थी। मार्च से कार्य शुरू भी हो गया था, लेकिन इस बीच लोकसभा चुनाव 2024 की आचार संहिता लग जाने से, काम रोक दिया गया था। अब शुक्रवार से यहां दोबारा काम शुरू कर दिया गया है।

मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से की अपील

मंदिर समिति और अधिकारियों की बैठक में ट्रीटमेंट कार्य के दौरान कपाट बंद रखने का निर्णय लिया गया। इस दौरान दर्शनों पर पूरी तरह रोक लागू रहेगी। इसे देखते हुये, मां गिरिजा मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है, कि वे 10 से 30 मई तक मंदिर में दर्शन के लिये नहीं आयें।

पुलिस मंदिर आ रहे लोगों को लौटा रही

मंदिर से करीब एक किलोमीटर पहले, पुलिस ने बैरियर लगाया है। यहां मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर के कपाट बंद होने की जानकारी देकर लौटाया जा रहा है। हालांकि, अक्षय तृतीया के कारण, शुक्रवार को कई श्रद्धालु, विशेष पूजन के लिये, मंदिर पहुंचे हैं। उनके लिये मंदिर की धर्मशाला परिसर में पूजन की व्यवस्था की गयी है।

यह है मां गिरिजा देवी मंदिर से जुड़ी मान्यता

मां गिरिजा देवी, पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। मान्यता और पारंपरिक कहानी के अनुसार, बहुत पहले, कोसी नदी की बाढ़ में एक पहाड़ी टीला बहकर इस स्थान तक आ गया। टीले पर माता का छोटा मंदिर पहले से अवस्थित था। टीला बहता हुआ, सुंदरखाल जहां आज मंदिर है पहुंचा, तो यहां अवस्थित भैरव देवता ने आवाज देकर, देवी को रोका।

बताया जाता है, कि भैरव देवता ने कहा- ठहरो बहन, कहां जा रही है, यहीं ठहर जाओ, मेरे साथ यहीं निवास करो। मान्यता है कि भैरव देवता की बात सुनकर, माता यहीं ठहर गयीं। तबसे यहां, टीले पर मां गिरिजा और टीले के नीचे भैरव देवता का वास मानकर पूजा-अर्चना होती रही है।

1950 के दशक में, मंदिर में भगवान गणेश, भैरव देवता और तीन महादेवियों की मूर्तियां स्थापित की गयीं। कहा जाता है, कि जिस वक्त मूर्ति स्थापना की जा रही थी, तभी मां भगवती का वाहन, एक बाघ मंदिर के पास आ गया और गर्जना करने लगा। इसे संकेत मानकर उसकी गर्जना पर मंदिर का नाम गर्जिया देवी भी कहा जाता है।

अल्मोड़ा बैराज से छोड़ा पानी, कोसी का जलस्तर बढ़ा

मां गिरिजा देवी मंदिर में गुरुवार शाम, कोसी नदी का जलस्तर बढ़ गया। मंदिर समिति की ओर से जानकारी दी गयी कि पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश के बाद अल्मोड़ा बैराज से कोसी में पानी छोड़ा गया था। सूचना मिलने पर तत्काल, नदी में नहाने उतरे श्रद्धालुओं को लाउडस्पीकर पर पानी बढ़ने की घोषणा कर, सुरक्षित निकाल लिया गया।

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