Uttarakhand Disaster: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की मदमहेश्वर घाटी में फंसे यात्रियों को निकालने का काम तेज हो गया है। मौसम साफ होने के बाद यहां अस्थाई हेलीपैड बनाकर रेस्क्यू शुरू कर दिया गया। अब तक 40 यात्रियों को हेलीकॉप्टर से निकाल लिया गया है। इससे पहले मंगलवार को 52 यात्रियों को पैदल रास्ते से निकाला गया था।

पंचकेदार में शामिल भगवान मदमहेश्वर धाम में बीते दिनों बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। रविवार को भारी बारिश के बाद क्षेत्र में मधुगंगा नदी उफान पर आ गयी थी। इससे मदमहेश्वर घाटी में पैदल मार्ग पर गौंडार गांव में बनतोली के पास बना पुल बह गया था।

पुल बह जाने से धाम और घाटी में 250 से अधिक यात्री फंस गये थे। सूचना पर सोमवार को ddrf, sdrf और पुलिस टीमें पहुंच गयी थीं, लेकिन नदी का जलस्तर बहुत अधिक होने के कारण राहत-बचाव कार्य शुरू नहीं हो सका था।

मंगलवार को नदी का जलस्तर कम होने के बाद जवानों ने नदी के आरपार रस्सियां डालकर यात्रियों को निकालना शुरू किया। देर शाम तक यहां से 52 यात्री निकाल लिये गये थे। मौसम खराब होने के कारण देर शाम अभियान रोक दिया गया था। उधर, क्षेत्र में घनी धुंध छाने के कारण हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सका था।

बुधवार सुबह मौसम खुलने के बाद एक बार फिर राहत अभियान शुरू हुआ। मदमहेश्वर धाम से करीब सात किलोमीटर नीचे नानू में अस्थाई हेलीपैड तैयार किया गया। इसके बाद यहां से हेलीकॉप्टर के जरिये यात्रियों को निकालने का काम शुरू हुआ।

सुबह 11 बजे तक क्षेत्र से 40 यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया था। इस तरह अब तक 92 यात्री यहां से निकाले जा चुके हैं। यात्रियों को हेलीकॉप्टर से राँसी में छोड़ा जा रहा है। राँसी से यात्री सड़क मार्ग से गंतव्यों को भेजे जा रहे हैं।

ग्रामीणों ने की भरपूर मदद: मदमहेश्वर घाटी में फंसे यात्री हों या राहत-बचाव कार्य में लगे जवान, स्थानीय ग्रामीणों ने सबकी भरपूर मदद की। बुधवार सुबह जब नानू में हेलीपैड बनाने की तैयारी शुरू हुयी तो संसाधनों की कमी आड़े आने लगी। इस पर स्थानीय ग्रामीण, विशेष तौर पर महिलाएं आगे आयीं। ग्रामीणों की मदद से ही हेलीपैड बन सका, जिसके बाद हेलीकॉप्टर की उड़ान यहां सम्भव हो सकी।

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