Delhi Riots 2020: दिल्ली में चार साल पहले 2020 में भड़के दंगे के मामले में साजिश रचने के आरोपी सलीम मलिक उर्फ मुन्ना की जमानत याचिका खारिज हो गयी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुये कहा कि अदालत के समक्ष जो साक्ष्य आये हैं, उनसे साफ होता है कि सलीम मलिक दंगे से पहले, दंगे की तैयारी के लिये हुयी एक बैठक में शामिल था।
फरवरी 2020 में दिल्ली में भड़के दंगों ने 53 लोगों की जान ले ली थी, जबकि दो सौ से अधिक घायल हो गये थे। इस दौरान कई घरों, दुकानों, वाहनों को फूंक डाला गया था। दंगों के बाद 2000 से ज्यादा लोग हिरासत में लिये गये या गिरफ्तार किये गये थे। पुलिस और क्राइम ब्रांच की जांच के बाद ऐसे लोगों को चिह्नित किया गया, जिन पर दंगों की साजिश रचने के आरोप थे।
दंगों की साजिश रचने का एक आरोपी सलीम मलिक उर्फ मुन्ना भी है, जिसे 11 मार्च 2020 को गिरफ्तार किया गया था। सलीम मलिक पर दो मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से एक दंगे के षड्यंत्र का मुकदमा है। इस मामले में क्राइम ब्रांच की ओर से 16 सितंबर 2020 को अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी गयी थी।
इस मामले में सलीम मलिक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद, बिलाल ए खान, अंशु कपूर और सिदरा खान हाईकोर्ट की जस्टिस सुरेश कुमार और जस्टिस मनोज जैन की बेंच के समक्ष जमानत याचिका दायर की गयी थी। मामले में दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद हाईकोर्ट ने सलीम मलिक की जमान याचिका खारिज कर दी।
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अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस मामले में दायर की गयी चार्जशीट में उल्लेख और अदालत के समक्ष उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर प्रथमदृष्ट्या सलीम मलिक की संलिप्तता स्पष्ट होती है। ऐसे में यूएपीए एक्ट की धारा 43डी और सीआरपीसी 437 को ध्यान में रखते हुये, उसे जमानत नहीं दी जा सकती है।
हथियार-बम जुटाने, कैमरे तोड़ने पर हुयी थी चर्चा
अदालत ने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि सलीम मलिक 20-21 फरवरी 2020 और फिर 22-23 फरवरी 2020 को चांद बाग क्षेत्र में हुयी बैठकों में शामिल हुआ था। यह भी साफ हुआ है कि इन बैठकों में दिल्ली में हिंसा भड़काने के तरीकों पर चर्चा की गयी थी। यहां दंगों की वित्तीय मदद, पेट्रोल बम हथियार जुटाने और क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरे तोड़ने पर भी बातचीत की गयी थी।
बचाव पक्ष की ओर से ये दलीलें अदालत में दी गयीं
बचाव पक्ष ने अदालत में कहा कि सलीम को गलत तरीके से साजिश रचने के मुकदमे में फंसाया गया है। अब तक बताये गये हथियार की बरामदगी नहीं हो सकी है। दूसरा मुकदमा दस दिन से भी अधिक समय बीत जाने के बाद दर्ज किया गया। वह किसी ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप में नहीं था, जिसमें कथित तौर पर साजिश रची गयी।
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कांस्टेबल रतनलाल की हत्या में भी आरोपी है मलिक
24 फरवरी 2020 को दिल्ली के चांद बाग क्षेत्र में उन्मादियों की भीड़ ने दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल रतनलाल को मार डाला था। इस घटना में शाहदरा के तत्कालीन डीसीपी अमित कुमार शर्मा और गोकुलपुरी के तत्कालीन एसीपी अनुज कुमार भी बुरी तरह जख्मी हो गये थे। इस मामले में 25 फरवरी 2020 को दयालपुरी थाने के कांस्टेबल सुनील की ओर से रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी।
मलिक पर लगा भड़काने वाले भाषणों का आरोप
इस मामले की जांच आगे बढ़ने के दौरान, जब सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्ड आदि की जांच की गयी, तब क्राइम ब्रांच की ओर से सलीम मलिक और अन्य के खिलाफ दंगे की साजिश रचने का भी मुकदमा दर्ज किया गया। कांस्टेबल सुनील ने अपने बयानों में कहा था कि आरोपी सलीम मलिक ने सीएए के खिलाफ 2019-20 में हुये प्रदर्शनों के दौरान लोगों को भड़काने वाले भाषण दिये।
जाफराबाद में रोड ब्लॉक की थी, इसके बाद भड़का दंगा
सलीम मलिक उर्फ मुन्ना पर आरोप है कि 23 फरवरी 2020 को उसने जाफराबाद क्षेत्र में लोगों को भड़काकर सड़क को पूरी तरह ब्लॉक कर दिया था। इसके बाद, जब 24 फरवरी को डीसीपी, एसीपी और पुलिसकर्मी सड़क खुलवाने के लिये बातचीत करने पहुंचे थे। इसी दौरान भीड़ ने जवानों पर हमला कर दिया था।
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ताहिर हुसैन से रकम ले रहा था सलीम मलिक
सलीम मलिक पर यह भी आरोप है कि दिल्ली दंगों के मुख्य साजिशकर्ता करार दिये गये ताहिर हुसैन का वह सक्रिय साथी था। सीएए के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के दौरान लंगर, मंच व्यवस्था, लोगों को धरने पर जुटाने समेत अन्य कार्यों के लिये वह और उसके साथी ताहिर हुसैन से नियमित रकम ले रहे थे।
पहले भी खारिज हो गयी थी जमानत याचिका
सलीम मलिक की ओर से सबसे पहले 13 नवंबर 2021 को जमानत याचिका अदालत के समक्ष दाखिल की गयी थी। 14 मार्च 2022 को इस मामले के सहआरोपी को जमानत मिल गयी थी, लेकिन 06 अक्टूबर 2022 को अदालत ने मलिक की याचिका खारिज कर दी थी।
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