Uttarakhand Politics: विजिलेंस जांच को लेकर पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने भाजपा और सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने पूछा है कि अगर तत्कालीन मंत्री हरक सिंह भ्रष्ट थे ने तो तत्कालीन मुख्यमंत्री और सरकार भ्रष्ट क्यों नहीं?

पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के पुत्र के देहरादून स्थित मेडिकल कॉलेज और पेट्रोल पंप पर बुधवार को विजिलेंस टीम जांच को पहुंची थी। इस दौरान टीम दोनों जगहों से दस्तावेज के साथ दो जेनरेटर भी ले गयी थी। बताया गया कि ये जेनरेटर सरकारी खर्च से कॉर्बेट पार्क की पाखरो रेंज के लिये खरीदे गये थे।

हरक पर जांच की आंच के बीच सियासी पारा भी चढ़ गया है। कांग्रेस-भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की हरक पर टिप्पणी चर्चाओं में है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाये हैं।

उधर, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने भी इस पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा है। उनका कहना है कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कभी कुछ गलत नहीं किया। कहा कि मामले में सरकार को तीन साल बाद कार्रवाई की याद तब क्यों आयी, जब वह भाजपा छोड़ कांग्रेस में चले गये हैं।

(VC: Social Media)

उन्होंने सवाल किया कि अगर उन्होंने भ्रष्टाचार किया था तो आखिर तत्कालीन भाजपा सरकार ने उन्हें अंत तक मंत्री पद पर क्यों रखा गया? अगर तब कार्रवाई नहीं हुयी तो क्या यह माना जाये कि तत्कालीन सरकार ही भ्रष्ट थी? यहां बता दें कि यह मामला तब का है, जब त्रिवेन्द्र सिंह रावत मुख्यमंत्री थे।

नहीं पता था जेनरेटर सरकारी: हरक का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी कि ये जेनरेटर सरकारी हैं। कोरोना काल में जब अस्पताल में कोविड केयर सेंटर बना, तब उन्होंने कई लोगों से मदद के लिये कहा था। तब स्वास्थ्य विभाग ने भी वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर दिये थे। लेकिन मालूम नहीं था कि ये जेनरेटर वन विभाग ने भेजे हैं।

पत्र भेजा, लेकिन नहीं ले गया विभाग: हरक का कहना है कि जब वह मंत्री नहीं रहे और सरकारी आवास छोड़ा तो सम्पत्ति विभाग की ओर से सभी सरकारी सामान ले जाया गया था। कहा कि जेनरेटर के सम्बंध में भी वन विभाग को पत्र भेजा गया, लेकिन विभाग इन्हें नहीं ले गया।

त्रिवेन्द्र भी कह रहे भाजपा सरकार भ्रष्ट: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के बयान पर हरक ने कहा कि वह चार साल उनके मुख्यमंत्री रहते हुये मंत्री रहे। अब उन्हें यानी तत्कालीन मंत्री को भ्रष्ट कहना यही इशारा करता है कि तत्कालीन भाजपा सरकार ही भ्रष्ट थी। कहा कि उन पर आरोप लगाकर खुद त्रिवेन्द्र भी यही कह रहे हैं।

अपने सलाहकारों की जांच करायें त्रिवेन्द्र: हरक का कहना है कि वह बोलेंगे तो बड़ी बात निकल जायेगी। उनका कहना है कि उन पर सवाल उठाने से पहले त्रिवेन्द्र को अपने चार साल के कार्यकाल की जांच करानी चाहिये।

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