Haldwani Riots Mastermind: हल्द्वानी के बनभूलपुरा में भड़के दंगों का मास्टरमाइंड बताया जा रहा अब्दुल मलिक फरार है। उसकी तलाश लगातार जारी है। इस बीच नगर निगम हल्द्वानी-काठगोदाम अब्दुल मलिक के नाम 2.44 करोड़ का वसूली नोटिस जारी कर चुका है। आइये जानते हैं, आखिर कौन है अब्दुल मलिक?

हल्द्वानी में बीते दिनों भड़के दंगे के बाद हलद्वानी का बनभूलपुरा क्षेत्र और यहां स्थित ‘मलिक का बगीचा’ चर्चाओं में है। इस बगीचा से अतिक्रमण हटाने के दौरान ही उपद्रवियों की भीड़ ने पथराव और आगजनी की थी। जिस ‘मलिक का बगीचा’ में अवैध निर्माण ढहाने और कब्जे हटाने का काम हुआ, वहां बनभूलपुरा के आजाद नगर, लाइन नम्बर 08 के रहने वाले अब्दुल मलिक का परिवार काबिज था।

दंगों के बाद पुलिस की अब तक की जांच के बाद अब्दुल मलिक को ही इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। आशंका है कि मलिक ने ही लोगों को भड़काया, जिसके बाद उपद्रवियों की हिंसक भीड़ ने पुलिस पर भी हमला कर डाला। बताया जाता है कि मलिक पर दंगे भड़काने का आरोप नया नहीं है, वह इससे पहले भी इसी तरह की घटना करवा चुका है। उस पर पहले भी आपराधिक मुकदमे दर्ज हुए हैं।

26 साल पहले हत्या में आया था नाम: अब्दुल मलिक का नाम 1998 में समाजवादी युवजन सभा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष अब्दुल रऊफ सिद्दीकी की हत्या में आया था। सिद्दीकी भी बनभूलपुरा के ही रहने वाले थे। मार्च 98 में रऊफ को बरेली के भोजीपुरा में गोलियों से भून डाला गया था। तब वह अपने दो साथियों संग कार में हल्द्वानी से लखनऊ जा रहे थे। सिद्दीकी के बड़े भाई अब्दुल मतीन सिद्दीकी वर्तमान में समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रभारी हैं।

सत्ता में ऊपर तक रही मलिक की पहुंच

सिद्दीकी की हत्या का मामला सीबीसीआईडी को सौंपा गया था। बताया जाता है कि यह जांच सीबीसीआईडी को देने के पीछे भी अब्दुल मलिक का ही हाथ था, क्योंकि उसकी तब सत्ता में ऊंची पहुंच थी। बताया जाता है कि उसे लगता था कि वह जांच को प्रभावित कर लेगा।

अब्दुल मलिक

तब गिरफ्तारी पर हुई थी हिंसा

जानकारी के अनुसार पुलिस मलिक को गिरफ्तार करना चाहती थी, लेकिन हत्या की जांच सीबीसीआईडी के पास जाने से पुलिस कार्रवाई नहीं कर सकती थी। लेकिन, इसी बीच एक पुराने मामले को खोला गया। बताया जाता है कि इस मामले में पुलिस टीम एक दिन अचानक मलिक के घर पहुंच गयी। उसे पुलिस की इस कार्रवाई का अंदाजा नहीं था।

लेकिन, पुलिस जब उसे ले जाने लगी, तभी उपद्रवियों ने टीम को घेर लिया। भारी पथराव और आगजनी ठीक उसी तरह की गई, जैसी बीते दिनों अतिक्रमण हटाने के दौरान की गई थी। पुलिस टीम किसी तरह अब्दुल को लेकर कोतवाली जाने में सफल रही थी। इस दौरान तत्कालीन एसपी समेत कई पुलिस जवान घायल हुए थे।

रासुका का आरोपी भी रहा मलिक

बनभूलपुरा दंगे के मामले में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दंगाइयों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की बात कही है। जानकारी के अनुसार अब्दुल मलिक पर पहले भी इस कानून के तहत कार्रवाई की गई है। उसके खिलाफ 302 (हत्या), 307 (हत्या के प्रयास) समेत सात मुकदमे दर्ज रहे हैं, जिनमें एक रासुका का भी था।

30 जनवरी को किया था विरोध

नगर निगम की टीम ने 30 जनवरी 2024 को मलिक का बगीचा में अवैध निर्माण ढहाने और जमीन कब्जामुक्त करने का नोटिस दिया था। उस दिन अब्दुल मलिक नोटिस तामील करवाने गये नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय से भिड़ गया था। उसने कब्जा नहीं देने की बात कही थी। इसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल है। देखिये वीडियो:

अब्दुल मलिक का 30 जनवरी का वायरल वीडियो

99 साल लीज का है दावा, फ्रीहोल्ड नहीं कराई

वायरल वीडियो में अब्दुल मलिक कहता है कि यह जमीन 99 साल के लिये उसके परिवार को लीज पर मिली है। नगर आयुक्त पूछते हैं कि क्या इस नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करवाया है तो वह जवाब देता है कि फ्रीहोल्ड करने की जरूरत नहीं है। इस पर आयुक्त कह रहे हैं कि जमीन फ्रीहोल्ड नहीं है तो निगम इसे अपने कब्जे पर लेगा।

घटना के दिन कहाँ था मलिक

बताया जा रहा है कि, जिस दिन बनभूलपुरा में बवाल हुआ, उस दिन मलिक वहां नहीं था। लेकिन, अब तक कि जांच में साफ हुआ है कि बवाल की तैयारी 30 जनवरी को नोटिस मिलने के बाद ही कर ली गयी थी। खुद जिलाधिकारी यह बात कह चुकी हैं। यही वजह है कि मलिक को इस दंगे का मुख्य सूत्रधार माना गया है। समझा जा रहा है कि वह खुद को बचाने के लिए, उस दिन क्षेत्र से बाहर चला गया।

बगीचा में अस्थाई पुलिस चौकी बनी

मुख्यमंत्री धामी ने एक दिन पहले ही मलिक का बगीचा में थाना बनाने की घोषणा की है। इसके बाद बगीचा में नैनीताल पुलिस ने अस्थाई चौकी बना ली है। यहां दो दरोगा, एएसआई और कुछ जवान भी तैनात कर दिये हैं। फिलहाल इस चौकी पर तैनात टीम का काम जमीन की देखरेख है। बताया गया है कि जल्द ही यहां थाने का काम शुरू होगा।

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